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जिदंगी में पापा का महत्व

  जिदंगी में पिता व उनका महत्व  पिता एक उम्मीद है आस है | परिवार की हिम्मत और आस है | बाहर से सख्त और अंदर से नरम है | उसके दिल मे कई दफन नर्म है | पिता संघर्ष की आंधियो मे होशलो की दिवार है | परेशानियों से लडने की दो धारी तलवार है   !   बचपन मे खुश रखने का खिलौना है | नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है | पिता जिम्मेदारी से लदा गाडी का सारथी है | सबको बराबर का हक दिलाता एक महारथी है || सपनो को पूरा करने मे लगने वाली जान है || इसी में तो मां और बच्चो की पहचान है || पिता जमीर है जागीर है | जिसके पास है वो सबसे अमीर है | कहने को तो कहता है उपर वाला देता है सबकुछ  पर खुदा का सब कुछ एक रुप पिता का शरीर  ही है | पापा है तो सब काम बन जाते है | BUY. NOW   घर के सारे मेहमान रह जाते है | जिनके घर नही होते है पापा , वो घर सुनसान रह जाते हैं  , पापा का अमीर होना या गरीब होना  मायने नही रखता | पापा है तो सब गरीबी भी निकल जाती है | बस घर  पापा हो तो ये अंधेरी राते भी निकल जाती है | जीवन की हर बात एक सुखी पल में निकल जाती है | पापा है तो गुस्सा भी कर देता | घर में कैसे रहना है वो भी बता देता |