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जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता

  बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता    कन्यादान जब पूरा हुआ,  आया समय विधाई का || हंसी-खुशी सब काम हुआ था ,  सारी रस्म अदाई  का |  बेटी के कातर स्वर ने , बाबुल को झकझोर दिया | पूछ रही थी पापा तुमने , क्या सचमुच में छोड़ दिया ||  अपने आंगन की फुलवारी , मुझको सदा कहा तुमने ,  मेरे रोने को पल भर भी ,  बिल्कुल नहीं सहा तुमने ||  क्या इस आंगन के कोने में , मेरा कुछ स्थान  नहीं ,  अब मेरे रोने का पापा,  तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं,  देखो अंतिम बार देहरी , लोग मुझे पुजवाते  हैं || 👉Buy NoW👈   आकर के पापा क्यों इनको , आप नहीं धमकाते हैं  || नहीं रोकते चाचा, ताऊ, भैया से भी , आस नहीं ऐसी भी क्या निशठूरता है ,  कोई आता पास नहीं || बेटी की बातों को सुनके ,  पिता नहीं रह सकता खड़ा ,  उमड़ पड़े आंखों से आंसू , बदहवास का दौड़ पड़ा , कातर बछिया सी वह बेटी , लिपट पिता से रोती थी , जैसे यादों के अक्सर वह , अश्रु बिंदु से धोती थी || मां  को लगा गोद से कोई ,  मानो सब कुछ छीन चला ||  फूल सभी घर की फुलवारी से , क्यों कोई क्यों बिन चला ||  छोटा भाई भी कोने में,  बैठा बैठा सुबक रहा ||  उसको कौन करेगा चुप , अब क

संसार के अजीब - गरीब पहिये

  संसार के अजीब -  गरीब पहिये   गरीब मिलो चलता है , भोजन पाने के लिए , अमीर मिलो चलता है , उसे पचाने के लिए  Buy Now 👈👈  किसी के पास खाने के लिए , एक वक्त की रोटी नहीं , किसी के पास एक रोटी,  खाने के लिए वक्त नहीं , कोई अपनों के लिए , अपनी रोटी छोड़ देता है,  कोई रोटी के लिए , अपनों को छोड़ देता है, Buy Now👈👈  दौलत के लिए सेहत खो देता है , सेहत पाने के लिए दौलत को देता है , जीता ऐसे हैं जैसे कभी मरेगा नहीं,  और मर ऐसे जाता है,  जैसे कभी जिया ही नहीं,  1 मिनट में जिंदगी नहीं बदलती,  1 मिनट में लिया गया,  फैसला जिंदगी बदल देता है ! कविता पसंद आऐ तो शेयर जरूर करे | विडियो भी देखे 👈👈 ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया .. ..