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अक्तूबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अपने अपने व्यवहार का ज्ञान ये संस्कार आपको जीवन मे खुश कर देंगे ||

 अपने अपने  व्यवहार का ज्ञान ये संस्कार आपको जीवन मे खुश कर देंगे ||  एक गांव की 4 महिलाएं कुए पर पानी भरने गई |पानी भरते समय चारों महिला इधर-उधर की बातें कर रही थी |कुछ समय बात करने के बाद वह अपने बेटों की तारीफ करने लगी | पहली महिला बोली मेरा बेटा काशी से पढ़ कर आया है |वह संस्कृत विषय का विद्वान हो गया है| बड़े से बड़ा ग्रंथ अपने मुंह जुबानी याद है और वह बड़े विश्वविद्यालय में नौकरी भी करने लगा है|  दूसरी महिला बोली मेरे बेटे ने विज्ञान की पढ़ाई की है |वह वैज्ञानिक बन गए हैं और 1 दिन सबसे बड़ा वैज्ञानिक बन जाएगा | तीसरी महिला बोली मेरे बेटे ने अच्छी शिक्षा ली है |वह शिक्षक बन गया और दूसरे गांव के विद्यालय में पढ़ाने के लिए जाता है | चौथी महिला यह सब कुछ चुपचाप सुन रही थी| लेकिन उसने कुछ नहीं बोला |बाकी महिलाओं से रहा नहीं गया |उन्होंने उस महिला से पुछा बहन तुम भी बताओ कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या कर रहा है| इस पर चौथी महिला ने थोड़ा संकोच करते हुए धीमी आवाज में काम मेरा बेटा पढ़ा लिखा नहीं है |मैं खेतों में काम करता है यह सब बातचीत होने के बाद चारों महिला पानी का घड़ा लेकर अपने घरों म

अपने बीते दिनो से सीखे - तो कभी घंमड नही होगा

 घमंड  एक राज्य के राजा ने अपनी बढ़ती उम्र को देखकर यह फैसला किया कि वह राज पाठ से संयास ले लेगा |परंतु उसका कोई पुत्र नहीं था जिससे वह राज्य शॉप कर जिम्मेदारी से मुक्त होता |राजा की एक पुत्री थी| जिसकी विवाह की योजना भी राजा को बना ली थी इसलिए उसने मंत्रियों को बुलवाया और कहा कि कल प्रांत जो भी व्यक्ति सबसे पहले इस नगर में प्रवेश करेगा उसे राजा का नियुक्ति की जाएगी और मेरी पुत्री का विवाह भी उसी के साथ कर दिया जाएगा | अगले दिन राज्य के सैनिक फटे हाल कपड़े पहने एक युवक को ले आया और उसका राज्य अभिषेक किया गया | राजा अपनी पुत्री का विवाह उसी वक्त के साथ करके जिम्मेदारियों को चौक पर शाम 1:00 प्रस्थान कर दिए |धीरे-धीरे समय बीतता गया और उस युवक ने राज्य की बागडोर संभाली और एक अच्छे राजा की तरह राज्य की सेवा में लग गया | Buy Now उस महल में एक छोटी सी कोटरी थी | जिसकी चाबी राजा अपने कमर में लटका कर  रहता था|  सप्ताह में एक बार वह उस कोठरी में जाता आधा एक घंटा अंदर और बाहर निकल कर बड़ा ताला उसमे  लगा देता था और अपने अन्य कार्यों में लग जाता था |इस तरह राजा के बार-बार उस कमरे में जाने से सेनापत

फौजी की पेंशन वो कैसे पाऐगा , काहानी फौजी के कलमो से ✍🏻

 बना ले मन पेंशन जाने का,  वरना बहुत पछताएगा | घुटनों में जब जान रहे ना,  दर-दर ठोकर खाएगा ||  दे दे कर तू रात की ड्यूटी , उल्लू सा बन जाएगा ||  दिन भर के तू हुकुम मानकर,  नौकर खुद को पाएगा || सीटी बजते ही का उठना,  झंझट सब खत्म हो जाएगा ||  बना ले मन पेंशन जाने का , वरना बहुत पछताएगा ||  खा खा कर तू अंडे मुर्गी , और चना प्लेट भर खाएगा ,  दो तीन पैग रोज दारू पीकर,  जब औवर वेट हो जाएगा ||  मेडिकल का बड़ा है लोचा,  कितना वेट घटाऐगा ||   तरकी का  सपना लेकर , मन को कितना समझाएगा || सुबह शाम सब को बहला कर , कितना दौड़ लगाएगा || रूखी सूखी खाकर भी तू,  पूरी मौजूद उडाऐगा ||  बना ले पेंशन जाने का,  वरना बहुत पछताएगा || For Buy Click On The Image     नकली सितारों की चाहत में , कब तक गला कट आएगा || जब जब हक की बात करेगा |  तब तब मारा जाएगा |  बूढ़े घोड़ों की हालात में , 1 दिन निकाला जाएगा , मनाले पेंशन वरना बहुत पछताएगा , खुद का बिजनेस करके एक दिन , मालिक जब बन जाएगा || जाने कितने जरूरतमंद का , सहारा तू बन जाएगा ||  रिश्तेदार भी प्यार करेंगे,  जब तू नोट उठाएगा || बना ले मन पेंशन जाने का , वरना बह

बेटिया ही नही बेटे भी पराए होते हैं|

 बेटे भी पराए होते हैं|      उठ कर पानी तक ने पीने वाले अब अपने कपड़े खुद धो लेते हैं कल तक जो घर के लाडले थे ||     आज वह अकेले में रो लेते हैं |   बाप के डाटने पर मम्मी से शिकायत करने वाले अब जमाने के सौ नखरे करे सह लेते हैं |      सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए हो जाते हैं खाने में तो    नखरे करने वाले खुद पका के कच्चा पक्का खा लेते हैं  |      बहन को छोटी-छोटी बात पर तंग करने वाले अब बहन को याद करके रो लेते हैं |      मम्मी की बाजू पर सर रखकर सोने वाले बगैर बिस्तर ही सो जाते हैं|       सिर्फ बेटियां भी पराए हो जाते हैं || कभी घर के अलावा कही सो ना पाते थे | अब जहाँ भी जगह मिले वही सो लेते है |    कभी घर पर मेहमान आने पर भी पास नहीं आ पाते थे | और आज दूसरो के पास जा जाकर घर चलाने की बात कर लेते है |कयोकि बेटियों को ही नही घर चलाना अब बेटे भी घर बसाने की बात कर लेते है |    For Buy Click The Link   कयोकि बेटिया ही नही बेटे भी पराये हो जाते है |   कभी घर से बाहर कदम तक नही रख पाते थे | आज वो दूसरे देश और शहरो मे अपना ठिकाना ढूंढ लेते है |  कयोकि बेटिया  ही नही बेटे भी घर से पराये