बना ले मन पेंशन जाने का,
वरना बहुत पछताएगा |
घुटनों में जब जान रहे ना,
दर-दर ठोकर खाएगा ||
दे दे कर तू रात की ड्यूटी ,
उल्लू सा बन जाएगा ||
दिन भर के तू हुकुम मानकर,
नौकर खुद को पाएगा ||
सीटी बजते ही का उठना,
झंझट सब खत्म हो जाएगा ||
बना ले मन पेंशन जाने का ,
वरना बहुत पछताएगा ||
खा खा कर तू अंडे मुर्गी ,
और चना प्लेट भर खाएगा ,
दो तीन पैग रोज दारू पीकर,
जब औवर वेट हो जाएगा ||
मेडिकल का बड़ा है लोचा,
कितना वेट घटाऐगा ||
तरकी का सपना लेकर ,
मन को कितना समझाएगा ||
सुबह शाम सब को बहला कर ,
कितना दौड़ लगाएगा ||
रूखी सूखी खाकर भी तू,
पूरी मौजूद उडाऐगा ||
बना ले पेंशन जाने का,
वरना बहुत पछताएगा ||
नकली सितारों की चाहत में ,
कब तक गला कट आएगा ||
जब जब हक की बात करेगा |
तब तब मारा जाएगा |
बूढ़े घोड़ों की हालात में ,
1 दिन निकाला जाएगा ,
मनाले पेंशन वरना बहुत पछताएगा ,
खुद का बिजनेस करके एक दिन ,
मालिक जब बन जाएगा ||
जाने कितने जरूरतमंद का ,
सहारा तू बन जाएगा ||
रिश्तेदार भी प्यार करेंगे,
जब तू नोट उठाएगा ||
बना ले मन पेंशन जाने का ,
वरना बहुत पछताएगा ,
बच्चो का बन मार्ग -दर्शक,
उनको राह दिखाएगा ||
मां बापू की सेवा करने ,
का मौका तू पाएगा ||
देश का मान बढ़ा कर ,
अब तो घर का फर्ज निभाएगा |
बना ले मन पेंशन जाने का ,
वरना तू पशताऐगा ||
जय हिंद वंदे मातरम
फौजी की काहानी फौजी के कलमो से ✍🏻
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