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सितंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दो व्यक्तियों के मेहनत मे फर्क

 दो व्यक्तियों के मेहनत मे फर्क    अनिल और सुनील एक जगह से पढ़े और एक साथ एक   फोल - सेल कंपनी में विक्रेता के पद पर काम करना चालू किया |   वह दोनों ही मेहनती और लग्नी थे | कुछ समय बाद उसके अधिकारी ने अनिल का पद विक्रेता से मैनेजर पर  कर दिया | फिर एक दिन सुनील से रहा नहीं गया और उसने अपने बॉस को शिकायत कर दी कि  आप मेहनती व्यक्ति की तरफ ध्यान नहीं देते और जो ज्यादा मेहनत करते हैं |उसका प्रमोशन नहीं करते इसलिए मैं अपनी इस नौकरी से इस्तीफा दे रहा हूं |    फिर उसने बॉस उसके बॉस ने बोला ठीक है पर एक बात सुनो  इस्तीफा से पहले आप अपने में और सुनील के बीच अंतर तो देखना|      तभी उसका बॉस अनिल को भी वही बुला लेता है और दोनों को एक प्रश्न करता है कि जाओ मार्केट में जाकर तरबूज देखकर आओ कि किस तरह के तरबूज है और क्या भाव है | तभी वह दोनों वहां से चले गए और मार्केट में पहुंचे | तभी सुनील ने जल्दी से रेट और भाव करके जल्दी से अपने बॉस को बता दिए कि तरबूज ₹20 किलोग्राम में मिल रहे हैं | तभी अनिल को भी वहां उसे उसके आने के बाद बुलाया और  बोला साहब हां मैंने दो जगह तरबूज देखे वहां ₹20 किलोग्राम और  15

एक गुस्सेल सांप की काहानी :- घमंड सबको खत्म कर देता है |शांत स्वभाव हर किसी का दिल जीत लेते है ||

 एक गुस्सेल सांप की काहानी :- घमंड सबको  खत्म कर देता है |शांत स्वभाव हर किसी का दिल जीत लेते है ||  एक समय की बात है एक बढ़ई अपनी दुकान को बंद करके अपने घर लौटा   | एक काला जहरीला सांप उसकी दुकान में रात को घुस गया | सांप  बहुत भूखा था और इधर से उधर खाना खाने के लिए भटका और वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहा था तभी गलती से वह तेज धार आरी   के ऊपर फस गया उसकी वजह से उसका शरीर पर चोट आई और इस चोट को वह जेल नहीं पाया तभी सांप ने अपने तेज दातो  से उस तेज धार  को वार करना  चालू किया | For Buy Click Here     इसकी वजह से सांप को जरा ज्यादा खून उसके मुंह से बहने लगा ज्यादा घमंड के कारण उसने उससे बदला लेने की सोची |  तभी उसका मुंह तेजधार आदि के ब्लेड में घुस गया गया | अगले दिन पूरी तरह से कटा हुआ कोबरा मरा हुआ मिला |  इसलिए नहीं कि उसमें गुस्सा था बल्कि बहुत घमंड था और अकड़ कि जब भी कोई गुस्सा हो तो किसी को नुकसान मत पहुंचाओ !  खुशहाल जीवन के लिए कुछ चीजें खानी पड़ेगी और कुछ छोड़नी पड़ेगी और मुझे नहीं है कि हम हर बात का जवाब दें और अपने आपसे पूछे कि क्या यह सही है या गलत और यदि हम अपनी जिंद

बचपन एक जमाना था , पता नही कयू इतना मस्त आना था ||

  बचपन एक जमाना था  ,पता नही कयू इतना मस्त आना था || एक बचपन का जमाना था,  जिस में खुशियों का खजाना था  चाहत चांद को पाने की थी , पर दिल मृत्यु का दीवाना तितली का दिवाना था..  खबर ना थी कुछ सुबह की , ना शाम का ठिकाना था.. थक कर आना स्कूल से , पर खेले भी जाना था..  For Buy Click Here  मां की कहानी थी , परियों को फसाना था..  बारिश में कागज की नाव थी , हर मौसम सुहाना था..  रोने की वजह ना थी , ना हंसने का बहाना था ..  क्यों हो गए हम इतने बड़े,  इससे अच्छा तो वह बचपन का जमाना था..  वह बचपन का जमाना था.. काहानी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे || Buy Now .  यहाँ पर Click करे और पढे ढेर सारी कहानियां ✍🏻 ✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरिया .. .