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बचपन एक जमाना था , पता नही कयू इतना मस्त आना था ||

 बचपन एक जमाना था  ,पता नही कयू इतना मस्त आना था ||

एक बचपन का जमाना था,

बचपन एक जमाना पता नही कयू इतना मस्त आना था ||


 जिस में खुशियों का खजाना था

 चाहत चांद को पाने की थी ,

पर दिल मृत्यु का दीवाना तितली का दिवाना था..

 खबर ना थी कुछ सुबह की ,

ना शाम का ठिकाना था..

थक कर आना स्कूल से ,

पर खेले भी जाना था.. 

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 मां की कहानी थी ,

परियों को फसाना था..

 बारिश में कागज की नाव थी ,

हर मौसम सुहाना था..

 रोने की वजह ना थी ,

ना हंसने का बहाना था ..

 क्यों हो गए हम इतने बड़े,

 इससे अच्छा तो वह बचपन का जमाना था..

 वह बचपन का जमाना था..

बचपन एक जमाना पता नही कयू इतना मस्त आना था ||

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✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरिया


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