सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोबाइल की वजहे से दूरियां और बच्चों के प्यार मे कमियां

  मोबाइल की वजहे से  दूरियां और बच्चों के प्यार मे कमियां  कैसे बढ़ गई है दूरियां कैसे हो गए परिवार और आज कि इस काहानी  मैं आपको बताऊंगा कि एक मोबाइल की वजह से  कैसे अपने परिवार को एक दूसरे से  अलग हो गए है जिससे वह अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे और बच्चे अपना अलग महसूस करते हैं |    चलिए  आगे कहानी में पढ़िऐ       एक रात मैं  अपनी क्लास के बच्चों के एग्जाम पेपर चेक कर रही थी | मेरे पति भी मेरे पास ही बैठे थे | वह फोन में गेम खेल रहे थे | अचानक मेरी आंखों से आंसू बहने लगे उन्होंने पूछा तुम क्यों रो रही हो |  मैंने बताया कि एग्जाम में मैंने (माय विश )मेरी चाहा विषय पर निबंध लिखना दिया था |  मेरे पति ने गेम को आगे बढ़ाते हुए पूछा तो इसमें रोने वाली कौन सी बात है | मैंने आंखें पूछते हुए कहा मैं तुम्हें पढ़कर सुनाती हूं एक बच्चे ने क्या लिखा है |   मेरे पेरेंट्स अपने मोबाइल से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं | उसकी इतनी केयर करते हैं कि मेरी देखभाल करना भूल जाते हैं | जब मेरे पापा शाम को थके हारे काम से घर तक लौटते हैं तो उस समय उसके पास मोबाइल फोन के लिए समय होता है | मेरे लिए नहीं,  जब मे

गरीब विधवा औरत और उसके बच्चे, गाँव की नौकरानी और उसकी किस्मत- भाग्य

गरीब विधवा औरत और उसके बच्चे, गाँव की नौकरानी और उसकी किस्मत- भाग्य   अमीरपुर गांव में सरिता नाम की एक गरीब विधवा महिला रहती थीl  उसके दो बच्चे थे l एक लड़का और एक लड़की लड़के का नाम रोशन था और लड़की का नाम पिंकी था | वह घरों में जाकर नौकरानी का काम करती थी l एक छोटे से किराए के मकान में रहती थीl जिस का किराया ₹200 था l जहां सरिता 2 साल पहले ही रहने आई थी l एक दिन जब सरिता काम पर जाने लगी तो बच्चों से कहने लगी कि मैंने खाना बनाकर रख दिया है खा लेना मुझे शाम को आने में देरी हो जाएगी तब उसकी लड़की पिंकी ने पूछा कि मां हम इतने छोटे से मकान में क्यों रहते हैंl लोगों के घर तो बहुत बड़े-बड़े होते हैं lहम छोटे से मकान में क्यों रहते हैंl  तब रोशन कहता है कि हम रात में बहुत गर्मी लगती हैंऔर मच्छर भी काटते हैं | मा पंखा ठीक  करवाने पर भी हल्का चलता है | तब उनकी मां बोलती है कि मुझे कोई बड़ा काम मिल जाने दो तब मैंने पंखा ले आएंगे अब ठीक है सरिता अपने बच्चों को दिलासा देकर काम के लिए चली जाती है पर इतनी मजदूरी कौन देता जिसे वह मैं पंखा ले लेती  | Buy Now    एक दिन सरिता सोच रही थी कि क्या पता पंख