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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छोड़ दीजिए एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा तो, सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए !!

                   छोड़ दीजिए जो आपको छोड गये |     एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा तो,  सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए !!    बच्चे बड़े होने पर वह खुद निर्णय लेने लगे तो , उनके पीछे लगा छोड़ दीजिए !!!     गिने चुने लोगों से आपके विचार मिलते हैं , एक दो से  नहीं जुड़े तो उन्हें छोड़ दीजिए !!      एक उम्र के बाद कोई आपको ना पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है , तो दिल पर लेना छोड़ दीजिए !!    अपने हाथ कुछ नहीं यह अनुभव आने पर ,  भविष्य की चिंता करना छोड़ दीजिए !!     इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ता है , तो अपने आप की  अपेक्षा करना छोड़ दीजिए ||     हर किसी का जीवन अलग कद, रंग सब अलग है , इसलिए तुलना करना छोड़ दीजिए !!   बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए. ,  रोज जमा खर्च की चिंता करना छोड़ दीजिए  |||       अच्छा लगे तो ठीक ना लगे तो  ,  हल्के में लेकर छोड़ दीजिए || छोड दिजिये उनको जो तुम्हे छोडने से खुश हो | छोड दिजिये उन्हे जो आपने देखने से दुखी हो | छोड दिजिये उन्हे भी जो अलग से बसा कर अलग रहना सीख गया हो |||   Buy Now    छोड दिजिये उन्हे भी जो बडो -बूदढो को आदर

कजूंस सेठ के घर की काहानी

  कजूंस सेठ के घर की काहानी         एक दिन एक बहुत बड़े कजूंस सेठ के घर में कोई मेहमान आया!! कजूंस ने अपने बेटे से कहा, आधा किलो बेहतरीन मिठाई ले आओ। बेटा बाहर गया और कई घंटों बाद वापस आया। कंजूस ने पूछा मिठाई कहाँ है। बेटे ने कहना शुरू किया-" अरे पिताजी, मैं मिठाई की दुकान पर गया और हलवाई से बोला कि सबसे अच्छी मिठाई दे दो। हलवाई ने कहा कि ऐसी मिठाई दूंगा बिल्कुल मक्खन जैसी। फिर मैंने सोचा कि क्यों न मक्खन ही ले लूं। मैं मक्खन लेने दुकान गया और बोला कि सबसे बढ़िया मक्खन दो। दुकान वाला बोला कि ऐसा मक्खन दूंगा बिल्कुल शहद जैसा।|  मैने सोचा क्यों न शहद ही ले लूं। मै फिर गया शहद वाले के पास और उससे कहा कि सबसे मस्त वाला शहद चाहिए। वो बोला ऐसा शहद दूंगा बिल्कुल पानी जैसा साफ। एक दम मस्त | Buy Now   तो पिताजी फिर मैंने सोचा कि पानी तो अपने घर पर ही है और मैं चला आया खाली हाथ। कंजूस बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को शाबासी दी। लेकिन तभी उसके मन में कुछ शंका उत्पन्न हुई। "लेकिन बेटे तू इतनी देर घूम कर आया। चप्पल तो घिस गयी होंगी।" "पिताजी ये तो उस मेहमान की चप्पल हैं जो घर पर आय

फर्क एक बेटा बेटी में,बेटा भाग्य से व बेटी सौभाग्य से होती है |

  फर्क एक बेटा बेटी में, फर्क एक बेटा बेटी में, ak bata ,beta born by luck and beti born by luckilly  बेटा तन है  तो बेटी मन है | बेटा वंश है  तो बेटी अंश है |  बेटा ऑन है  तो बेटी शान है |  बेटा मन है  तो बेटी गुमान है |  बेटा वारिस है  तो बेटी पारस है | बेटा संस्कार है  तो बेटी संस्कृति है | बेटा भाग्य है  तो बेटी विधाता है|  बेटा दवा है  Buy Now   तो बेटी दुआ है |  बेटा शब्द है  तो बेटी अर्थ है | बेटा राज है  तो बेटी भाग है  बेटा गीत है  तो बेटी संगीत है | बेटा एक प्रेम है  तो बेटी पूजा है ||  बेटा हथियार  है  तो बेटी हाथ है || बेटा सुंगध  है  तो बेटी फूल है || बेटा है तो बेटी है | अन्यथा जीवन एक शब्द है || बेटा भी , बेटियों से कम नही  यहाँ बेटा नही | तो वहाँ बेटी भी नही |  याद रखे बेटा ही सब कुछ नही || बेटिया भी हमारी जीवन दाता है || पर बेटा नही तो बेटी भी नही | ये एक जोडी है बेटा बेटी की,  जहाँ एक बेटा ,बेटी से परिवार बनता है  उस परिवार से ही बनते है वो रिशते नाते || अतं काहानी का अर्थ यह है कि बेटा ,बेटी समान है | बेटा ,बेटी में अंतर ना समझे || ये पंक्तियां अच्छी लगे तो अपने बेटा

बहन शादी के बाद बोझ कयो लगती है कयो आ जाती है हमारे घर मैं खर्च करवाने |

  बहन शादी के बाद बोझ कयो लगती है कयो आ जाती है हमारे घर मैं खर्च करवाने | बहन की शादी को 6 साल हो गए थे | मैं कभी उसके घर नहीं गया | होली दिवाली भैया दूज पर कभी-कभी मम्मी पापा जाते हैं |मेरी बीवी एक दिन मुझे कहने लगी आपकी बहन जब भी आती है उसके बच्चे घर के हाल बिगड़ कर रख देते हैं खर्च डबल हो जाता है और तुम्हारी मां हमसे छुपा-छुपा कर कभी उसको साबुन की पेटी दे देती है|  कभी बड़े-बड़े बर्तन, कभी कपड़े और कभी डब्बे और कभी-कभी तो चावल का ठेला भी भर कर दे देती है | अपनी मां को बोलो यह हमारा घर है यहां पर कोई गोदाम सेंटर नहीं है मुझे बहुत गुस्सा आया मैं मुश्किल से खर्च पूरा कर रहा हूं और मां सब कुछ बहन को दे देती है बहन एक दिन घर आई हुई थी|     उसके बेटे ने टीवी का रिमोट तोड़ दिया मैं  गुस्से में कह रहा था मां बहन को बोलो कि भैया दूज पर आया करें बस और जो आप साबुन सर्फ चावल का ठेला भरकर दे देती है उसे बंद करें सब कुछ बंद करें मां चुप रही लेकिन बहन ने मेरी सारी बातें सुन ली थी बहन कुछ ना बोली 4:00 बज रहे थे अपने बच्चों को तैयार किया और कहने लगी भाई मुझे बस स्टॉप तक छोड़ आओ और मैं झूठे मुंह कहा

चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!

  चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!! चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं ,  जिधर न हो कोई गम, वो जगह ढूंढते हैं | बहुत उड़ लिए मुझे आसमानों में यारों,  चलो जमी पे ही कहीं ,हम सतह ढूंढते हैं |  छूटा संग कितनो का जिंदगी की जंग में,  चलो उनके दिलों की ,हम गिरह ढूंढते हैं | बहुत वक्त  गुजरा भटके  हुए अंधेरों में, Buy Now चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!  चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!! यहाँ से ओर पोस्ट भी पढे Click Here विडियो देखे |   ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया   ... .. .