चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!
चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं ,
जिधर न हो कोई गम, वो जगह ढूंढते हैं |
बहुत उड़ लिए मुझे आसमानों में यारों,
चलो जमी पे ही कहीं ,हम सतह ढूंढते हैं |
छूटा संग कितनो का जिंदगी की जंग में,
चलो उनके दिलों की ,हम गिरह ढूंढते हैं |
बहुत वक्त गुजरा भटके हुए अंधेरों में,
चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!
चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!
यहाँ से ओर पोस्ट भी पढे Click Here
...
..
.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें