सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मै और मेरा बचकना मम्मी के साथ और हमारी दुकान

मै और  मेरा बचकना मम्मी के साथ  और हमारी दुकान  आज की इस काहानी मे मेरी माँ और मेरे जिंदगी के बचपन की यादे के बारे मे बताऊगा ||     मेरा गाँव एक शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | मेरे घर मे मेरे भाई बहन और मम्मी -पापा है | हमारे घर मे एक छोटी सी दुकान है | दुकान का सामान लाने के लिऐ हम शहर जाते थे | वहा पर मे अपनी मम्मी के साथ जाता था |   मम्मी दुकान से सामान खरीदती थी और फिर हम बस स्टेण्ड की तरफ चल पडते थे | कभी कभी सामान जयादा होता तो  रिकशा कर लेते थे | पूरा सामान रिकशा मे रख लेते थे और फिर मे और मम्मी रिकशा मे सवार हो जाते थे |  पन्द्रह रूपये मे रिकशा ड्राईवर बस के समीप उतार देता था | कभी कभी हम बस स्टैण्ड.  के बाहर उतर जाते थे | मेरी मम्मी मुझे पुछती थी कि बेटा समोसा खाऐगा | तो मे भी बचपन मे हा कर देता था | मम्मी मुझे पर्स से दस रुपये निकालकर मुझे दे देती थी | और बोलती थी कि जल्दी खा के आ जाना |  मै तुम्हारा इंतजार कर रही हू | एक मां जो खुद अपने बेटे के लिऐ दस रूपये देती थी और खुद पांच रूपये की चाय तक भी ना पीती थी | फिर मै और मम्मी शहर से बस मे बैठकर गांव आ जाते थे |  गांव