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छोड़ दीजिए एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा तो, सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए !!

                 

 छोड़ दीजिए जो आपको छोड गये |


    एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा तो,

 सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए !!

छोड़ दीजिए        एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा तो,   सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए !!


   बच्चे बड़े होने पर वह खुद निर्णय लेने लगे तो ,

उनके पीछे लगा छोड़ दीजिए !!!

    गिने चुने लोगों से आपके विचार मिलते हैं ,

एक दो से  नहीं जुड़े तो उन्हें छोड़ दीजिए !!

     एक उम्र के बाद कोई आपको ना पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है ,

तो दिल पर लेना छोड़ दीजिए !!

   अपने हाथ कुछ नहीं यह अनुभव आने पर ,

 भविष्य की चिंता करना छोड़ दीजिए !!

    इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ता है ,

तो अपने आप की  अपेक्षा करना छोड़ दीजिए ||

    हर किसी का जीवन अलग कद, रंग सब अलग है , इसलिए तुलना करना छोड़ दीजिए !! 

 बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए. ,

 रोज जमा खर्च की चिंता करना छोड़ दीजिए  |||



      अच्छा लगे तो ठीक ना लगे तो  ,

 हल्के में लेकर छोड़ दीजिए ||


छोड दिजिये उनको जो तुम्हे छोडने से खुश हो |

छोड दिजिये उन्हे जो आपने देखने से दुखी हो |

छोड दिजिये उन्हे भी जो अलग से बसा कर अलग रहना सीख गया हो |||

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छोड दिजिये उन्हे भी जो बडो -बूदढो को आदर करना भूल गये ||

छोड दिजिये उस तर्क  को जो तकदीर लिखने वाले को भूल गये ||

और उन्हे भी छोड दिजिऐ जो आपको इस जीवन में लाऐ | उनसे अलग रहकर घर बसाने की करे |

   उन्हे भी छोड दीजिए |||


छोड़ दीजिए जो आपको छोड गये |



 इस कविता की पकि्तया  जरा सी भी अच्छी लगे तो ये सब करना छोड दीजिए ||

 

अंत मे इसको शेयर जरूर दिजिये और अपनी कोई प्रति- किर्या हो तो आप अवश्य ही नीचे खाली बाक्स मे अपनी टिपण्णी जरूर करे  ||

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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया





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