कविता
न चादर बड़ी कीजिए ,
न ख्वाहिशें दफन कीजिए ,
4 दिन की जिंदगी है ,
बस चैन से बसर कीजिए,
ना परेशान किसी को कीजिए ,
ना हैराण किसी को कीजिए,
कोई लाख गलत भी बोले,
बस मुस्कुरा कर छोड़ छोड़ दीजिए ,
न रूठा किसी से कीजिए ,
न झूठा वादा किसी से कीजिए ,
कुछ फुर्सत के पल निकालिए ,
कभी खुद से भी मिला कीजिए ,
कविता अच्छी लगी हो तो लाइक, शेयर & कामेंट जरूर
कीजिए ||
यहाँ पर Click करे और पढे ढेर सारी कविताऐ !
....
..
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें