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बेटिया ही नही बेटे भी पराए होते हैं|

 बेटे भी पराए होते हैं|

     उठ कर पानी तक ने पीने वाले अब अपने कपड़े खुद धो लेते हैं कल तक जो घर के लाडले थे ||

    आज वह अकेले में रो लेते हैं |

  बाप के डाटने पर मम्मी से शिकायत करने वाले अब जमाने के सौ नखरे करे सह लेते हैं |

     सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए हो जाते हैं खाने में तो    नखरे करने वाले खुद पका के कच्चा पक्का खा लेते हैं  |      बहन को छोटी-छोटी बात पर तंग करने वाले अब बहन को याद करके रो लेते हैं | 

    मम्मी की बाजू पर सर रखकर सोने वाले बगैर बिस्तर ही सो जाते हैं|  

बेटे भी पराए होते हैं|


    सिर्फ बेटियां भी पराए हो जाते हैं ||

कभी घर के अलावा कही सो ना पाते थे | अब जहाँ भी जगह मिले वही सो लेते है |

बेटियों को ही नही घर चलाना अब बेटे भी घर बसाने की बात कर लेते है |   कयोकि बेटिया ही नही बेटे भी पराये हो जाते है |


   कभी घर पर मेहमान आने पर भी पास नहीं आ पाते थे | और आज दूसरो के पास जा जाकर घर चलाने की बात कर लेते है |कयोकि बेटियों को ही नही घर चलाना अब बेटे भी घर बसाने की बात कर लेते है | 

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कयोकि बेटिया ही नही बेटे भी पराये हो जाते है |

  कभी घर से बाहर कदम तक नही रख पाते थे | आज वो दूसरे देश और शहरो मे अपना ठिकाना ढूंढ लेते है |

 कयोकि बेटिया  ही नही बेटे भी घर से पराये हो जाते है ||


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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया

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