एक माँ की सच्ची दर्द भरी कहानी घटना
एक काहानी ऐसी ही है जो कि ऐसी पर थोडी अलग है वो भी देखे..Click Here
यदि काहॎनी सुन के आंखो मे आंसू ना आये तो आप अपनी मां को बोल देना मां तुम मुझे पंसद नही हो !
😪😴😓🤤😥
मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी |
उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया |
मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है |
तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये |
उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की |
अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया |
मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी |
सामने मेरी माँ खड़ी थी, आज भी अपनी एक आँख के साथ | मुझे लगा मेरी कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है | मैंने उनसे पूछा, 'आप कौन हो? मै आपको नहीं जानता | यहाँ आने कि हिम्मत कैसे हुई? तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ |' और माँ ने जवाब दिया, 'माफ़ करना, लगता है गलत पते पर आ गयी हूँ |' वो चली गयी और मै यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं |
एक दिन स्कूल री-यूनियन की चिट्ठी मेरे घर पहुची और मैं अपने पुराने शहर पहुँच गया | पता नहीं मन में क्या आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया | वहां माँ जमीन मर मृत पड़ी थी | मेरे आँख से एक बूँद आंसू तक नहीं गिरा | उनके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा था... वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चिट्ठी थी |
उन्होंने लिखा था :
मेरे बेटे...
मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी ली है | मै अब तुम्हारे घर कभी नहीं आउंगी... पर क्या यह आशा करना कि तुम कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ... गलत है ? मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है |
मुझे माफ़ करना कि मेरी एक आँख कि वजह से तुम्हे पूरी जिंदगी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी
| जब तुम छोटे थे, तो एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी | एक माँ के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आँख के साथ बड़े हो, इसीलिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी |
मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आँख कि मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है | मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है |
चिट्ठी पढ़ कर मेरी दुनिया बिखर गयी | और मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी... मेरी माँ |
शेयर करे यदि आप अपनी मां से प्यार करते हो तो |
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____✍✍✍_अनिल हटरिया_______
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मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी |
उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया |
मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है |
तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये |
उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की |
अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया |
मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी |
सामने मेरी माँ खड़ी थी, आज भी अपनी एक आँख के साथ | मुझे लगा मेरी कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है | मैंने उनसे पूछा, 'आप कौन हो? मै आपको नहीं जानता | यहाँ आने कि हिम्मत कैसे हुई? तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ |' और माँ ने जवाब दिया, 'माफ़ करना, लगता है गलत पते पर आ गयी हूँ |' वो चली गयी और मै यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं |
एक दिन स्कूल री-यूनियन की चिट्ठी मेरे घर पहुची और मैं अपने पुराने शहर पहुँच गया | पता नहीं मन में क्या आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया | वहां माँ जमीन मर मृत पड़ी थी | मेरे आँख से एक बूँद आंसू तक नहीं गिरा | उनके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा था... वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चिट्ठी थी |
उन्होंने लिखा था :
मेरे बेटे...
मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी ली है | मै अब तुम्हारे घर कभी नहीं आउंगी... पर क्या यह आशा करना कि तुम कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ... गलत है ? मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है |
मुझे माफ़ करना कि मेरी एक आँख कि वजह से तुम्हे पूरी जिंदगी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी
| जब तुम छोटे थे, तो एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी | एक माँ के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आँख के साथ बड़े हो, इसीलिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी |
मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आँख कि मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है | मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है |
चिट्ठी पढ़ कर मेरी दुनिया बिखर गयी | और मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी... मेरी माँ |
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____✍✍✍_अनिल हटरिया_______
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Wahh bahut badiya!!!
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंVery emotional story
जवाब देंहटाएंthanks for comment
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