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सबको खुश नही किया जा सकता ?

सबको खुश नही किया जा सकता ?

  एक बार की बात है| एक परिवार एक दिन गांव से बाहर गधे को खरीदने के लिये बाजार गये |

  वहाँ उनहोने एक गधा पसन्द किया | फिर वो गधा लेकर घर की तरफ आने लगे |
   तभी वो एक कस्बे को पार करने वाले थे | ओर आवाज आई |
  हा हा हा !!!!   !!!!
  कितने पागल लोग है | गधा होते हुऐ भी पैदल चल रहे है|
तभी वो सोचे की चलो गधे के उपर बैठकर चलते है|
  ___
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फिर अगले गांव पहुचने वाले थे तब गांव वाले बोले देखो देखो कैसे बेचारे गधे को बेहाल कर रखा है|
   तभी वो सभी वही उतर गये | फिर उनहोने अपने साथ बच्चे को गधे के उपर बैठा दिया|
  फिर चौक से आवाज आई | देखो देखो बेचारा बूढा तो पैदल रहा है| वो हटठा कटठा गधे की सवारी कर रहा है|
   फिर वो बच्चा उतर गया ओर बुढढे को बिठा दिया |
  जैसे जैसे अगले कस्बे मे गये तो बोला कि बुढढा कितना सवारथी है|  कि उसका बैटा तो पैदल चल रहा है|
ओर सभी पैदल चले जा रहे है|
  अभी वो सब परेशान थे |
  अत: उन्होने सुझाव किया कि गधे को हम उठा के लेकर चलते है| फिर उनहोने गधे की टाँगे बाधकर गधे को उठा लिया |
  गाव मे जैसे ही घूसे सब हसने लगे | दैखो दैखो ||
  कितने अच्छे लोग आ रहे है| ये देखो गधे को उठाकर लेकर आ रहे है|
  फिर उन्होने देखा कि कया बात है आखिर ??
अत: निसकरस यह है कि आप जो कर रहे हो वो सही है ओर किसी की बातो मे मत आयो |
   सुझाव देने वाले व काम मे बाधा डालने वाले बहुत है |
अत: अपना काम करे जैसा आपको अच्छा लगता है|
   फिर उन्होने देखा कि हमने सबकी बात मानी पर किसी को कोई बात किसी को कोई बात पसन्द है|
   अत; सब बातो की एक बात सबको खुश नही किया जा सकता |
अपना कार्य करते रहे कोई कुछ बोलता है कोई कुछ!!

जैसा काम मे आपको मन लगता है वैसे अपने दिल से सोच के करो

धन्यवाद !!


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____✍✍✍ _अनिल हटरिया________


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