बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता कन्यादान जब पूरा हुआ, आया समय विधाई का || हंसी-खुशी सब काम हुआ था , सारी रस्म अदाई का | बेटी के कातर स्वर ने , बाबुल को झकझोर दिया | पूछ रही थी पापा तुमने , क्या सचमुच में छोड़ दिया || अपने आंगन की फुलवारी , मुझको सदा कहा तुमने , मेरे रोने को पल भर भी , बिल्कुल नहीं सहा तुमने || क्या इस आंगन के कोने में , मेरा कुछ स्थान नहीं , अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं, देखो अंतिम बार देहरी , लोग मुझे पुजवाते हैं || 👉Buy NoW👈 आकर के पापा क्यों इनको , आप नहीं धमकाते हैं || नहीं रोकते चाचा, ताऊ, भैया से भी , आस नहीं ऐसी भी क्या निशठूरता है , कोई आता पास नहीं || बेटी की बातों को सुनके , पिता नहीं रह सकता खड़ा , उमड़ पड़े आंखों से आंसू , बदहवास का दौड़ पड़ा , कातर बछिया सी वह बेटी , लिपट पिता से रोती थी , जैसे यादों के अक्सर वह , अश्रु बिंदु से धोती थी || मां को लगा गोद से कोई , मानो सब कुछ छीन चला || फूल सभी...
Emotional Story with My Pain & Tear