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कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ !

  कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ ! कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कह उनको की मेरे से अलग हो जाओ ! रात में कहा वो मेरे को दिन में भी मुझे, अकेले नही छोड सके ! कैसे कह दू कि मां -  बाप को दूर हो जाओ | कहाँ से पैसे लाऐ कहाँ से अपना घर मेरे लिऐ बना दिऐ | बिन माँगे वो सब लेकर आऐ | खिलोने से लेकर मेरी मनपसंद की साईकिल लेकर आए | शौक थे बचपन में  गाडी चलाने के ,कहाँ से वो मुझे  खुश रखने के लिऐ अपने सारे गम भूल गये || कैसे कह दू उनको की दूर हो जाओ | उन्होने कभी भुखा तक  सोने नही दिया | आज में कैसे बोल दू की खाना,  खाना है तो खाओ  नही,  तो भूखे सो जाओ | नखरे मेरे हजार उठाते थे | आज में कैसे कह दू की ज्यादा नखरे मत करो || Buy Now .  याद रखो मेरे दोस्त कितना प्यार किया है  उन्होने ,  आज कैसे कह दू की में तो बिना  लाड - प्यार के बडा हुआ हू | कैसे कह दू उनको की अब मेरी जिंदगी है, मेरे को बस जीने दो | मुझे नही पता आप कैसे जीओगे | में कैसे कह दू उनको || की बस...

बाप का दर्द व फर्ज

  बाप का दर्द व फर्ज मां मां मां का गुनगान करते हो | बाप को कया तुम भूल गये | जिसने कमाया तुम्हारे लिये  कया उनको तुम छोड दिये | बाप प्यार नही करता  वो तुम्हे दिखता है  पर बाप से ज्यादा प्यार  करने वाला भी नही | Buy Now    वो एक पत्थर की दिवार की तरह है  जो कभी चोट तक दिलाऐ भी नही | मत सोच की बाप प्यार नही करता | एक दिन ये बाप का फर्ज निभाऐ भी कोई नही | सब साथ छोड जाते है | तक बाप ही ,तुम्हारी पीठ  थपका के आगे बडना हिऐ सिखाता है | , बाप बनना फर्ज है ,बाप बनना एक ज़िम्मेदारी है | तब भी बाप को बोलते है की पापा तुम तो हमे  खिलाने भी ले जाते ही नही || बाप का असली फर्ज और दर्द को दिखाऐ भी कोई नही | सबके नखरे उठाता है फिर भी बाप को  सभी बोलते है अपना फर्ज निभाते ही नही | वो बाप है थोडा रो  भी नही सकता | वो पिता है परिवार का दर्द सह नही सकता | फिर ये कयो बाप का दर्जा दिखाऐ कयो नही | कितना दर्द सहा है  उसने फिर भी एक बार उससे पूछा कयो नही | पापा ,पापा करके तुम बोल दो ना  एक बार पापा को ये हँसते हुऐ दिखाऊ तू सही | दर्द से भरा ...