बाप का दर्द व फर्ज
मां मां मां का गुनगान करते हो |
बाप को कया तुम भूल गये |
जिसने कमाया तुम्हारे लिये
कया उनको तुम छोड दिये |
बाप प्यार नही करता
वो तुम्हे दिखता है
पर बाप से ज्यादा प्यार
करने वाला भी नही |
वो एक पत्थर की दिवार की तरह है
जो कभी चोट तक दिलाऐ भी नही |
मत सोच की बाप प्यार नही करता |
एक दिन ये बाप का फर्ज निभाऐ भी कोई नही |
सब साथ छोड जाते है |
तक बाप ही ,तुम्हारी पीठ थपका के आगे बडना हिऐ सिखाता है | ,
बाप बनना फर्ज है ,बाप बनना एक ज़िम्मेदारी है |
तब भी बाप को बोलते है की पापा तुम तो हमे
खिलाने भी ले जाते ही नही ||
बाप का असली फर्ज और दर्द को दिखाऐ भी कोई नही |
सबके नखरे उठाता है फिर भी बाप को
सभी बोलते है अपना फर्ज निभाते ही नही |
वो बाप है थोडा रो भी नही सकता |
वो पिता है परिवार का दर्द सह नही सकता |
फिर ये कयो बाप का दर्जा दिखाऐ कयो नही |
कितना दर्द सहा है
उसने फिर भी एक बार उससे पूछा कयो नही |
पापा ,पापा करके तुम बोल दो ना
एक बार पापा को ये हँसते हुऐ दिखाऊ तू सही |
दर्द से भरा है वो
तुम्हे कया पता उसके बिना ये घर चलाऐ तो सही ,
सब छोड जाता है ,
भूखा काम पे चला जाता है ,
थोडा से आराम में भी सब सह जाता है |
कोई बन के पिता एक बार फर्ज निभाऐ तो सही ,
में सोचता हूँ पापा ,
आपके बिना में कैसे रहू
कभी अनिल हटरिया से तो कहूं |
चावल,दाल ,आटा खरीद के घर लाता है ,
पैसे थोडे हो तो भी परिवार को सजाता है |
मै कैसे कह दू पापा को तुम कुछ नही करते ,
घर की दिवार से ,घर के कोने तक ,
ये पापा रोशनी ले आते है |
कहते तो मुझे तुम्हारी दादी निकममा है |
पर घर को बिना कुछ बताऐ ये चलाता कोन है ,
पापा बन के देखो तो पता चलेगा की पापा कै जैसा
कोई बन पाता है की नही ,
अपने दुखख. छोड के दुसरो के सुख लाता कोन है |
तुम घर पे बैठ के भाषण देते है |
घर के बाहर तुम्हे बताता कौन है |
तुम्हारे लिऐ वो लड के सब अपने सुख छोड के ,
अपना काम को बिना रूके ये घर फिर चलाता कौन है |
मत रूलाया करो पापा को ,कयोकि
जब तक जान है पापा में ,
तब तक वो तुम्हे और परिवार को घर के बाहर
भेजता भी नही है |
पापा का दर्द कोन समझे ये कोई बताता
थोडी है |
एक दिन पापा के घर ना आने
की खबर सुन के ये रोता कौन कौन है |
मानता हूँ पापा डाटते है मम्मी को भी ,
फिर पापा से ज्यादा लाड लडाता फिर कौन है |
बाप बन के देखो एक दिन ,
फिर ये बाप की तरह झूलाता कौन है |
और मत कहो पापा याद नही करते
पापा कभी प्यार नही ,पापा कभी खुशी नही देते |
उनसे पूछो जिनहे पापा का प्यार मिला ही नही ,
वो आधे भूखे रह गये ,मां को भी अकेले छोड गये |
करे काम. दूसरो के घर जा जा कर ,
फिर पता चला कि पापा रोते कयो नही थे |
कोने में बैठ कर सुबक सुबक रोया वो ,
तुम्हे कया मालूम तुम तो बचपन के खेल में पागल थे |
सारी उम्र कमाया उसने ,
फिर भी बाप का नाम आया नही ,
एक बार बाप बन के तो देखो ,
फिर पता चलेगा कि तेरे जैसे कोई मिला ही नही |
लोग मार देते है उस परिवार को जिसके घर पापा ही नही,
पापा का दर्द तो समझो ,
फिर तुम्हे पता चलेगा की
इस परिवार में मां से ज्यादा
कोई है जो परिवार में ,
जो कहता कुछ नही पर, कर सब देता है |
इस जैसा परिवार में और कौई है ही नही |
बेटा ,बेटी को ही नही वो परिवार को भी पालता है ,
दुशमन संग अपने परिवार के लिऐ लड पडता है |
फिर भी ये दर्द कोई दिखाऐ कोई नही ||
पापा के संग ये प्यार दिखाऐ कोई कयो नही |||
पापा से जुडी ये पकि्तियां अच्छी लगे तो
शेयर व टिपण्णी जरूर करे ||
मै और मेरा प्यारा बेटा हिमांशु हटरिया (सभी परिवारगण ) ||
ये कहानियां भी जरूर पढे Click Now
...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें