मै भी अपना घर सजाऊगा | मै भी अपना घर बनाऊगा | इस भीगी राह को भी अपनाऊगा | जुर्म 36 हुऐ मुझपे पर तुझे एक बात ही सिखाऊगा | मै अपना घर सजाऊगा | सपने आंखो में नही ,दिलो में है | दिल अपनो से है गैरो से नही , आदत बुरी है कमाने की , कमाने के बहाने से घर बनाऐगे | घर में अपना कमरा बनाऐगे | वहाँ अपने कर्मो से अपना मेल मिलाऐगे | जहाँ घर में खुशी होगी ,वहां से हम अपना दीप जलाऐगे | एक ही किताब पढेगे जहाँ दूसरे के साथ ना कभी धोखा होगा | ना कभी किसी का अपमान , बस अपना एक घर बनाऐगे | जहाँ अंधेरा होगा वहाँ अपना हम अपना प्रकाश लगाऐगे | मतलबी लोगो को ठिकाने लगाऐगे | बस अपना घर सजाऐगे | औकात ना दिखानी किसी को , बस अपनापन ना अपनाऐगे | घर की चार दिवारी में वो प्यारो का फूल खिलाऐगे | फूलों की खुशबू सै इस घर को महकाऐगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | कभी लोग सोचते थे कि यै तो अंधा है हम उनको अपनी आंखो की पटटी खोल के बताऐगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | हम भी अपने घर को खुशबू से महाकाऐगे || कर्मो की देन है जिदंगी , अपने से दोस्ती ,बाहर वालो से प्यार रखेगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | ह...
Emotional Story with My Pain & Tear