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मान राखिऐ ऐ बेटी , अपने बापू का सम्मान राखिऐ ऐ बेटी ,

 मान राखिऐ ऐ बेटी , अपने बापू का सम्मान राखिऐ ऐ बेटी , ये काहानी भी पढे मैने तो तुझे पाला है है बेटी , अब आगे तू मेरा मान राखिऐ ऐ बेटी , कभी कमी हो तो मुझे बताइऐ ऐ बेटी , संस्कार कभी कम ना होने दिजिऐ ऐ बेटी , मैने तो तुझे पढने भेजा है | तू पढ के घर आईऐ ऐ बेटी , कभी किसी की बातो में ना आइऐ ऐ बेटी, लोग खडे टाइम पर धोखा दे जाते है |तुम  अपने बाबू का मान राखिऐ ऐ बेटी , तेरी लिऐ मैने सब किया अब तू मेरा कहा मानिऐ ऐ बेटी, Buy Now   घर में घर का सम्मान मत खोईऐ ऐ बेटी , बाप बहुत रोया है इस विदाई पर ऐ बेटी, तेरी मां को बहुत समझाया है बेटी , अच्छे काम किजिऐ , खुले में आनन्द लिजिऐ , सबका आदर मान किजिऐ , बडे बुडो को सेवा किजिऐ , अच्छी मेवा लिजिऐ , इस बापू का साथ लिजिऐ , अपने घर की इज्जत रखिऐ | बाबू का नाम है तो बेटी में जिंदा हूँ | कयूकि झुकाने वाला कोई ओर नही है | जब बेटी घर की बेटी रहे | रहे वो मायके या ससुराल रहे | अपने जीवनसाथी के सब काम करे ! हां कहने हां करे सबका ये सम्मान रखे | कभी ठुकराना मत किसी को बेटी , अच्छे अच्छे के घर बिक जाते है , इस छोटी सी कही सूनी में , बाप के मान मर जाते है | इस

वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती |

 वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती | वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती | वो मेरी है में भी उसके बिना नही रह सकता | ये बंधन है प्यार है | में कैसे उसके बिना रह सकता | मेरी जान मेरी मेहमान मेरी शान है वो  में कैसे उसके बिना रह जाता , एक प्यार है और एक ही  दिल है | सिर्फ तुम्हारे लिऐ ही बस ये धडकता | ना किसी ओर देखू बस तुझसे ही मन भरता || ना कमी निकालू , ना कभी ये बोलू  की में तेरे सिवाय रह सकता | कैसे बोलू की तुम नही हो , मेरी जान , कसम है इस भगवान. की  कैसे में किसी को अपनी आंख उठाकर देख सकता | तुम्हे समझा कर रखू  ये मेरा काम है | दुसरे तुम पे नजर उठाके देखे ये  तो गलत बात है || मेरी जान , जिंदगी परीक्षा जरूर लेती है | कभी अपना बनके ,तो कभी दूसरे का बनकर , पर इतना जरूर देखना की कौन अपना है और कौन  पराया है | Buy Now    एक समय ऐसा आता है कि  ना तुम मुझे देखोगी , ना में तुझे देखूगा ,  पर इस मोड पर तुम साथ मत छोड जाना , मुझे तो बहुत विश्वास है  ना तो तुम मेरे सिवाय किसी और की हो जाओगी| ना तुम्हारा किसी और के साथ   तुम्हारे से दि

कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ !

  कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ ! कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कह उनको की मेरे से अलग हो जाओ ! रात में कहा वो मेरे को दिन में भी मुझे, अकेले नही छोड सके ! कैसे कह दू कि मां -  बाप को दूर हो जाओ | कहाँ से पैसे लाऐ कहाँ से अपना घर मेरे लिऐ बना दिऐ | बिन माँगे वो सब लेकर आऐ | खिलोने से लेकर मेरी मनपसंद की साईकिल लेकर आए | शौक थे बचपन में  गाडी चलाने के ,कहाँ से वो मुझे  खुश रखने के लिऐ अपने सारे गम भूल गये || कैसे कह दू उनको की दूर हो जाओ | उन्होने कभी भुखा तक  सोने नही दिया | आज में कैसे बोल दू की खाना,  खाना है तो खाओ  नही,  तो भूखे सो जाओ | नखरे मेरे हजार उठाते थे | आज में कैसे कह दू की ज्यादा नखरे मत करो || Buy Now .  याद रखो मेरे दोस्त कितना प्यार किया है  उन्होने ,  आज कैसे कह दू की में तो बिना  लाड - प्यार के बडा हुआ हू | कैसे कह दू उनको की अब मेरी जिंदगी है, मेरे को बस जीने दो | मुझे नही पता आप कैसे जीओगे | में कैसे कह दू उनको || की बस अलग हो जाओ || आँखो से आँसू आ जाते है जब  ये बात सोच लू  कि

बाप का दर्द व फर्ज

  बाप का दर्द व फर्ज मां मां मां का गुनगान करते हो | बाप को कया तुम भूल गये | जिसने कमाया तुम्हारे लिये  कया उनको तुम छोड दिये | बाप प्यार नही करता  वो तुम्हे दिखता है  पर बाप से ज्यादा प्यार  करने वाला भी नही | Buy Now    वो एक पत्थर की दिवार की तरह है  जो कभी चोट तक दिलाऐ भी नही | मत सोच की बाप प्यार नही करता | एक दिन ये बाप का फर्ज निभाऐ भी कोई नही | सब साथ छोड जाते है | तक बाप ही ,तुम्हारी पीठ  थपका के आगे बडना हिऐ सिखाता है | , बाप बनना फर्ज है ,बाप बनना एक ज़िम्मेदारी है | तब भी बाप को बोलते है की पापा तुम तो हमे  खिलाने भी ले जाते ही नही || बाप का असली फर्ज और दर्द को दिखाऐ भी कोई नही | सबके नखरे उठाता है फिर भी बाप को  सभी बोलते है अपना फर्ज निभाते ही नही | वो बाप है थोडा रो  भी नही सकता | वो पिता है परिवार का दर्द सह नही सकता | फिर ये कयो बाप का दर्जा दिखाऐ कयो नही | कितना दर्द सहा है  उसने फिर भी एक बार उससे पूछा कयो नही | पापा ,पापा करके तुम बोल दो ना  एक बार पापा को ये हँसते हुऐ दिखाऊ तू सही | दर्द से भरा है वो  तुम्हे कया पता उसके बिना ये घर चलाऐ तो सही , सब छोड जाता है ,

एक आम के पेड की काहानी उसके साथ मां बाप का श्रेय

  एक आम के पेड की काहानी  उसके साथ मां बाप का श्रेय आज की इस काहानी को पढ के आप जरूर रो पडोगे और यदि कुछ समझ आऐ तो शेयर करे | यह काहानी एक कनेकशन ,रिलेशनशिप व भावनाओ से भरा है |          एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता। उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया। बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया। कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया। आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता। एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा, "तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।" बच्चे ने आम के पेड से कहा, "अब मेरी खेलने की उम्र नही है ! मुझे पढना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।" पेड ने कहा, "तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे, इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।" उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया

याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है ,मेरी जान माय लव ❣️

  याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है , कभी आंख बंद करता हूँ ,तो  कभी कमरे की रोशनी बुझा देता हूँ,  पर फिर भी नींद नही आती है , मुझे तेरी ये बेरूखी सी याद आ  जाती है , जब याद तेरी आती है | कहता हूँ संभाल लूंगा , कहता हूँ संभाल लूंगा , दिल को , इतने मे आंख कहाँ सह पाती है | सैंकड हिसाब नीर बहा लाती है | Buy Now Click Here   मुझे तेरी वो बेरूखी सी मुस्काराहट याद आ जाती है  जब याद तेरी आती हे | सुबह उठता हूँ तो मुहं धो लेता हूँ , उसके बाद बनाई हुई याद की चाय पी लेता हूँ  | पर जब बिस्तर पर जाता हूँ तो खाली हाथ ही अपना कप ले  बैठता हूँ | कहता हूँ कुछ नही,  फिर एक. " आह " 'भर कर बैड को पीटता हूँ | अपने सोचे हुऐ सपने एक पल कवर कर लेता हूँ | फिर भी तेरी बेरूखी सी मुस्कान को सह लेता हूँ , जब याद आती है तेरी अपने आप अकेले ही रो लेता हूँ | करीब बनकर दूर तुम जा रही हो  पास आकर भी मुझे अवारा बना रही हो | हूँ किस्मत में तुम्हे मै गुसे्ल लगा हूँ ना,

उठ मेरे बुलबुल राजा , तू लोट के आजा | दिल नही लगता बेटे जल्दी सी तुम घर आजा ,

 उठ मेरे बुलबुल  राजा , तू लोट के आजा  Buy Now 🤙 | दिल नही लगता बेटे  जल्दी सी तुम घर आजा , मेरे बुलबुल राजा , मुझे समझाजा , मन नही लगता  कभी पापा के साथ आजा,  खेलेगे मिटटी मे , चल अपना टरेकटर लेके आजा , खाऐगे मस्ती से , मेरे साथ मे आजा , गाडी मे घूममेगे , चककर लाऐगे , चश्मा पहनके शहर जाऐगे, उठ मेरे बुलबुल  राजा , थोडा हंस के दिखा के  अपने छोटे - छोटे दांत दिखा जा , याद आता है तेरा गुस्सा , मुझे अपना थोडा ठूस्सा दिखा जा | नन्हे नन्हे पांव से  मुझे उछल के दिखा जा | अपना डांस करके घर में दिखा जा , पहनाऊगा पगडी , दादा को दिखा जा , उठ मेरे बुलबुल , मेरी  बाहौ मे आजा , तेरा रूसवा मुझे दिखा जा, लाऊगा चाकलेट , फिर मुझे हंस के दिखा जा | मेरे बुलबुल राजा ,अपने घर आजा, बच्चो की टोली संग , अपना नाम बता जा , उठ मेरे बेटे , मुझे हंस के दिखा जा , मेरी मस्ती के लिऐ तुझे मेरे  कन्धो पर आजा , मेरे बुलबुल राजा , दिल नही लगता बेटे , अपने घर आजा, ओ मेरे बुलबुल राजा || अपना हँसना दिखा जा | Buy Now 🤙 ये भी कहानियां पढे Click Now ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ... .. .