उठ मेरे बुलबुल
राजा ,
तू लोट के आजा
|
दिल नही लगता बेटे
जल्दी सी तुम घर आजा ,
मेरे बुलबुल राजा ,
मुझे समझाजा ,
मन नही लगता
कभी पापा के साथ आजा,
खेलेगे मिटटी मे ,
चल अपना टरेकटर लेके आजा ,
खाऐगे मस्ती से ,
मेरे साथ मे आजा ,
गाडी मे घूममेगे ,
चककर लाऐगे ,
चश्मा पहनके शहर जाऐगे,
उठ मेरे बुलबुल
राजा ,
थोडा हंस के दिखा के
अपने छोटे - छोटे दांत दिखा जा ,
याद आता है तेरा गुस्सा ,
मुझे अपना थोडा ठूस्सा दिखा जा |
नन्हे नन्हे पांव से
मुझे उछल के दिखा जा |
अपना डांस करके घर में दिखा जा ,
पहनाऊगा पगडी ,
दादा को दिखा जा ,
उठ मेरे बुलबुल ,
मेरी बाहौ मे आजा ,
तेरा रूसवा मुझे दिखा जा,
लाऊगा चाकलेट ,
फिर मुझे हंस के दिखा जा |
मेरे बुलबुल राजा ,अपने घर आजा,
बच्चो की टोली संग ,
अपना नाम बता जा ,
उठ मेरे बेटे ,
मुझे हंस के दिखा जा ,
मेरी मस्ती के लिऐ तुझे मेरे
कन्धो पर आजा ,
मेरे बुलबुल राजा ,
दिल नही लगता बेटे ,
अपने घर आजा,
ओ मेरे बुलबुल राजा ||
अपना हँसना दिखा जा |
...
..
.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें