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उठ मेरे बुलबुल राजा , तू लोट के आजा | दिल नही लगता बेटे जल्दी सी तुम घर आजा ,

 उठ मेरे बुलबुल

 राजा ,




तू लोट के आजा 

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दिल नही लगता बेटे 

जल्दी सी तुम घर आजा ,

मेरे बुलबुल राजा ,

मुझे समझाजा ,

मन नही लगता 

कभी पापा के साथ आजा, 

खेलेगे मिटटी मे ,

चल अपना टरेकटर लेके आजा ,

खाऐगे मस्ती से ,

मेरे साथ मे आजा ,

गाडी मे घूममेगे ,

चककर लाऐगे ,

चश्मा पहनके शहर जाऐगे,

उठ मेरे बुलबुल

 राजा ,

थोडा हंस के दिखा के 

अपने छोटे - छोटे दांत दिखा जा ,

याद आता है तेरा गुस्सा ,

मुझे अपना थोडा ठूस्सा दिखा जा |



नन्हे नन्हे पांव से 

मुझे उछल के दिखा जा |

अपना डांस करके घर में दिखा जा ,

पहनाऊगा पगडी ,

दादा को दिखा जा ,

उठ मेरे बुलबुल ,

मेरी  बाहौ मे आजा ,

तेरा रूसवा मुझे दिखा जा,

लाऊगा चाकलेट ,

फिर मुझे हंस के दिखा जा |

मेरे बुलबुल राजा ,अपने घर आजा,

बच्चो की टोली संग ,

अपना नाम बता जा ,

उठ मेरे बेटे ,

मुझे हंस के दिखा जा ,

मेरी मस्ती के लिऐ तुझे मेरे 

कन्धो पर आजा ,

मेरे बुलबुल राजा ,

दिल नही लगता बेटे ,

अपने घर आजा,

ओ मेरे बुलबुल राजा ||

अपना हँसना दिखा जा |

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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया


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