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मां-बाप के संस्कार कहते हैं ना, की मां है तो मन्नत है| और बाप है तो जन्नत है |

 मां-बाप के संस्कार कहते हैं ना, की मां  है तो मन्नत है|  और बाप है तो जन्नत है | बाप मां से ना बड़ा कोई है | यही तो है मेरे वास्ता|  मां बच्चे को प्यार देती है पिता बच्चे को गुस्सा  यही तो दोनों का है एक अच्छा सा रिश्ता | मां ने घुमाया ,बाप ने झुलाया|  फिर भी मैं तेरी शरण से  भाग आया | इसलिए कहते हैं ना कि मां ने जो सिखा है उसे मैं  कभी ना भूल पाया |  Buy Now     बाप ने जो समझाए उससे अलग मैं कभी ना पाया | मां तेरा दुख कैसे भुल जाऊ |  पापा आपका दर्द कैसे झेल पाऊ |  करते थे गुस्सा फिर भी जब मे सुख से ना रह पाऊ ||| बस यही पापा के डर से मे कामयाब हो पाया |  याद रखना मां आपके लिऐ तकिया थी और  पापा वो चद्दर | इसलिये मां  बाप को हमेशा बुढापे मे खुश रखो | जैसे वो आपको खुश रखते थे अब आप की बारी है |        ✍🏻 सब कुछ है जब तक मां-बाप के संस्कार हैं | अतः इन्हीं संस्कारों के माध्यम से मैं सभी को यह संदेश देता हूं कि मां-बाप और संस्कार चल जाएगा जहां आपकी डिग्री ना चलती हो| पोस्ट को शेयर करे और आपका कोई सुझाव हो तो अपना सुझाव रखिऐ |.... Best Gel pen Buy Now Click Here यहाँ Click करे और पढे ढेर

वक्त नहीं !! जिंदगी कितनी व्यस्त हो गई है , कि अपने आप के लिए वक्त नहीं ,

 वक्त नहीं !! जिंदगी कितनी व्यस्त हो गई है , कि  अपने आप के लिए वक्त नहीं , हर खुशी है लोगों के दामन में,  पर एक हंसी के लिए वक्त नहीं , सो के उठता हूँ रूकने का समय नही || दिन-रात दौड़ती दुनिया में,  जिंदगी के लिए वक्त नहीं,  मां की लोरी का एहसास तो है,  पर मां को मां कहने का वक्त नहीं , मां को हर बार बोलता हूँ  फोन करूगा पर वक्त नही | सारे रिश्तो को हम मार चुके हैं,  अब उन्हें दफनाने का वक्त नहीं , सारे नाम मोबाइल में है,  पर दोस्तों के लिए वक्त नहीं  Buy Now   गैरों की क्या बात करें , जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं , आखों में है नींद बड़ी , पर सोने के लिए वक्त नहीं,  दिल है  गमों से भरा हुआ पर , रोने के लिए वक्त नहीं , पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े , की थकने के लिए वक्त नहीं , पराया एहसासों की क्या कदर करें , जब अपने सपनों के लिए वक्त नहीं , दिल में बहुत बातें हैं बताने के लिए , लेकिन बताने के लिए वक्त नहींl सच तो ये है ना की हम इतने कमजोर हो गये | कि उठ कर बिस्तर से घूमने का वक्त नही || Click Here For Shop Now   ये कविता अच्छी लगे तो  कामेंट ,शेयर करे और कहानियां भी पढे यहाँ Click करे

ना जाने कया बात है - मां के घर मे

 "ना जाने कया बात है  - मां के घर मे " बरसों बीत गए,  उस घर से विदा हुए,  बरसों बीत गए,  नई दुनिया बसाएं हुए , पर ना जाने क्या बात है?  शाम ढलते ही मन , उस घर पहुंच जाता है ! मां की आवाज सुनने को , मन आज भी तरसता है , Shop Now👇👇   महक मां के खाने की,  आज भी दिल भर आती है , शाम होते ही याद आता है, घर में हंसी व शोर का होना ,  पापा का काम से, लौटकर आते ही , चाय का प्याला पीना,  दिनभर का हाल सुनाना , आकर मुझे किताब पढवाना | समझ ना आऐ तो डाट सुनाना | भाई का खेलते कूदते आना , शाम होते याद आता है घर , जहां सदा मेहमानों का था,  लगातार आना जाना| सदा घर पर बडे मेहमान आने पे  कमरे मे छुप जाना | ना जाने वो मां  का घर आज  दूर होते हुऐ ही याद आता है ||  बहुत मुश्किल से , मन को समझाता हूं,  वह दिन बीत गए, अब तुम सपनों में,  जी लिया करो , उन पलों को ,जो लौट के कभी,  न फिर आएंगे | आज भी, मां से किए,  वादे को निभाता हूं,  सब को खुश रखने की  अथक कोशिश में,  अपने आंसू पी जाता हूं,   Buy Now 👇👇   मां , आपका घर मे जो मन होता था | वो करते थे , खुशी से मां अपना  किताब पढते थे | अब बचपन गया | बद

4 दिन की जिंदगी है , बस कुछ तो अच्छा किजिऐ ,

                    कविता     न चादर बड़ी कीजिए ,     न  ख्वाहिशें दफन कीजिए ,     4 दिन की जिंदगी है ,      बस चैन  से बसर कीजिए,     ना परेशान किसी को कीजिए ,     ना हैराण किसी को कीजिए,       कोई लाख गलत भी बोले,       बस मुस्कुरा कर छोड़ छोड़ दीजिए ,      Buy Now         न  रूठा किसी से कीजिए ,       न झूठा वादा किसी से कीजिए ,      कुछ फुर्सत के पल निकालिए ,      कभी खुद से भी मिला कीजिए , pillow Shop now👇         कविता अच्छी लगी हो तो लाइक, शेयर & कामेंट  जरूर                            कीजिए || यहाँ पर Click करे और पढे ढेर सारी कविताऐ ! ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया .... ..

अपने अपने व्यवहार का ज्ञान ये संस्कार आपको जीवन मे खुश कर देंगे ||

 अपने अपने  व्यवहार का ज्ञान ये संस्कार आपको जीवन मे खुश कर देंगे ||  एक गांव की 4 महिलाएं कुए पर पानी भरने गई |पानी भरते समय चारों महिला इधर-उधर की बातें कर रही थी |कुछ समय बात करने के बाद वह अपने बेटों की तारीफ करने लगी | पहली महिला बोली मेरा बेटा काशी से पढ़ कर आया है |वह संस्कृत विषय का विद्वान हो गया है| बड़े से बड़ा ग्रंथ अपने मुंह जुबानी याद है और वह बड़े विश्वविद्यालय में नौकरी भी करने लगा है|  दूसरी महिला बोली मेरे बेटे ने विज्ञान की पढ़ाई की है |वह वैज्ञानिक बन गए हैं और 1 दिन सबसे बड़ा वैज्ञानिक बन जाएगा | तीसरी महिला बोली मेरे बेटे ने अच्छी शिक्षा ली है |वह शिक्षक बन गया और दूसरे गांव के विद्यालय में पढ़ाने के लिए जाता है | चौथी महिला यह सब कुछ चुपचाप सुन रही थी| लेकिन उसने कुछ नहीं बोला |बाकी महिलाओं से रहा नहीं गया |उन्होंने उस महिला से पुछा बहन तुम भी बताओ कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या कर रहा है| इस पर चौथी महिला ने थोड़ा संकोच करते हुए धीमी आवाज में काम मेरा बेटा पढ़ा लिखा नहीं है |मैं खेतों में काम करता है यह सब बातचीत होने के बाद चारों महिला पानी का घड़ा लेकर अपने घरों म

अपने बीते दिनो से सीखे - तो कभी घंमड नही होगा

 घमंड  एक राज्य के राजा ने अपनी बढ़ती उम्र को देखकर यह फैसला किया कि वह राज पाठ से संयास ले लेगा |परंतु उसका कोई पुत्र नहीं था जिससे वह राज्य शॉप कर जिम्मेदारी से मुक्त होता |राजा की एक पुत्री थी| जिसकी विवाह की योजना भी राजा को बना ली थी इसलिए उसने मंत्रियों को बुलवाया और कहा कि कल प्रांत जो भी व्यक्ति सबसे पहले इस नगर में प्रवेश करेगा उसे राजा का नियुक्ति की जाएगी और मेरी पुत्री का विवाह भी उसी के साथ कर दिया जाएगा | अगले दिन राज्य के सैनिक फटे हाल कपड़े पहने एक युवक को ले आया और उसका राज्य अभिषेक किया गया | राजा अपनी पुत्री का विवाह उसी वक्त के साथ करके जिम्मेदारियों को चौक पर शाम 1:00 प्रस्थान कर दिए |धीरे-धीरे समय बीतता गया और उस युवक ने राज्य की बागडोर संभाली और एक अच्छे राजा की तरह राज्य की सेवा में लग गया | Buy Now उस महल में एक छोटी सी कोटरी थी | जिसकी चाबी राजा अपने कमर में लटका कर  रहता था|  सप्ताह में एक बार वह उस कोठरी में जाता आधा एक घंटा अंदर और बाहर निकल कर बड़ा ताला उसमे  लगा देता था और अपने अन्य कार्यों में लग जाता था |इस तरह राजा के बार-बार उस कमरे में जाने से सेनापत

फौजी की पेंशन वो कैसे पाऐगा , काहानी फौजी के कलमो से ✍🏻

 बना ले मन पेंशन जाने का,  वरना बहुत पछताएगा | घुटनों में जब जान रहे ना,  दर-दर ठोकर खाएगा ||  दे दे कर तू रात की ड्यूटी , उल्लू सा बन जाएगा ||  दिन भर के तू हुकुम मानकर,  नौकर खुद को पाएगा || सीटी बजते ही का उठना,  झंझट सब खत्म हो जाएगा ||  बना ले मन पेंशन जाने का , वरना बहुत पछताएगा ||  खा खा कर तू अंडे मुर्गी , और चना प्लेट भर खाएगा ,  दो तीन पैग रोज दारू पीकर,  जब औवर वेट हो जाएगा ||  मेडिकल का बड़ा है लोचा,  कितना वेट घटाऐगा ||   तरकी का  सपना लेकर , मन को कितना समझाएगा || सुबह शाम सब को बहला कर , कितना दौड़ लगाएगा || रूखी सूखी खाकर भी तू,  पूरी मौजूद उडाऐगा ||  बना ले पेंशन जाने का,  वरना बहुत पछताएगा || For Buy Click On The Image     नकली सितारों की चाहत में , कब तक गला कट आएगा || जब जब हक की बात करेगा |  तब तब मारा जाएगा |  बूढ़े घोड़ों की हालात में , 1 दिन निकाला जाएगा , मनाले पेंशन वरना बहुत पछताएगा , खुद का बिजनेस करके एक दिन , मालिक जब बन जाएगा || जाने कितने जरूरतमंद का , सहारा तू बन जाएगा ||  रिश्तेदार भी प्यार करेंगे,  जब तू नोट उठाएगा || बना ले मन पेंशन जाने का , वरना बह