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दिल है छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा |

  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा |  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा | आसमानों में उड़ने की आशा | दिल है छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा  आसमानों में उड़ने की आशा ||   Buy Now .  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  महक जाऊं मैं आज तो ऐसे , फूल बगिया में महके है जैसे  | जैसे बादलों की ओढ़ चुनरिया , झूम जाऊं मैं बनके बावरिया | अपनी चोटी में बांध लूं ,दुनिया  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा|  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा | आसमानों में उड़ने की आशा दिल है|  छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | रंग रंग के मैं संवर जाऊं,  चांद तारों की तरह सजग  जाऊं | इस छोटी सी भोली मस्ती में मगन हो जाऊ, दिल करे मैं  मैं कुछ कर जाऊं  यही है जीवन की एक छोटी सी आशा  || स्वर्ग सी धरती खेल रही जैसे,  मेरा मन भी तो खिल रहा  वैसे  कोयल की तरह गाने का अरमां,   मछली की तरह मचलूं ये अरमां   जवानी है लायी रंगीन सपना || दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा  चांद तारों को छूने की

मैं एक पिता हूं || मे एक पिता बन गया |

 मैं एक पिता हूं || तुम और मैं पति-पत्नी थे !  तुम मां बन गई मैं पिता रह गया ! तुमने घर संभाला ! मैंने कमाई की लेकिन तुम मां के हाथ का खाना बन गई!  मैं कमाने वाला पिता रह गया ! बच्चों को चोट लगी तो तुमने गले लगाया!  मैंने समझाया तुम ममतामई बन गई  मैं पिता रह गया  !  बच्चों ने गलतियां कि तुम पक्ष लेकर अंडरस्टैंडिंग मॉम बन गयी! Buy Now 🤞🤞  मैरे  पापा नहीं समझाते ,वाला पिता रह गया ! पापा नाराज होंगे कहकर तुम बच्चों की एक समझदार मां  बन गई!  और मैं गुस्सा करते  रहने वाला है पिता बन गया ! तुम्हारे आंखों में मां का प्यार और मेरे छुपे हुए आंसुओं में निकिता रह गया ! तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनती गई ! और मैं पता नहीं कब सूर्य की अग्नि का पिता रह गया!  तुम धरती मां भारत मां मदर नेचर बनती गई ! और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व के लिए सिर्फ देखता रह गया ! बहुत ही दुख की बात है कि कहते हैं ना कि जब सिर पर भार आता  है तब समझ आता है कि एक पिता कौन है क्या होता है कि एक जिम्मेदारी| इसलिए मैं एक पिता बन गया || यहाँ से Click करके ओर कहानियां भी पढे ✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरिया .... .. ..

पिता , पापा का प्यार कौन जताऐ ,

 पिता मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता | मेरी ताकत मेरी पूंजी मेरी पहचान है पिता |  घर की एक 1 ईट में शामिल है उनका खून पसीना |  सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान है  पिता | मेरी इज्जत मेरी शोहरत मेरा रुतबा मेरा मान है पिता | मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता  | घर की चौखटो पर नाम है पिता || सारे रिश्ते उनके दम से सारे और बातें उनसे है | सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता | शायद रब ने यह देख कर भेजा फल  अच्छे कर्मों का | उनकी रहमत उसकी बेहमत उनका है वरदान पिता | अपने कर्मो का गुरूर हे पिता ||  पिता कितना प्यार करता है | वह बच्चों को दिखाता नहीं ||  बच्चों के लिए करता है मेहनत मजदूरी  कभी शर्माता नहीं है | जिम्मेदारियों का बोझ है  वह कभी घर पर बताता नहीं है  पिता के लिए कोई शब्द ही नहीं है | इसलिए कोई लिख पाता ही नही है | पापा वो घर की चौखट है | जहां रहता है उसका परिवार वहाँ| बच्चो से कम लाड प्यार दिखाता है पिता || पता नही वो इतना कम कयो मुस्कराता है पिता | परिवार का बोझ वो कभी दिखाता ही कयो  नही पिता  | दो कपडे जोडी रखकर कयो वो  अपने परिवार को हाल अपना  ब

वो थे मेरे पापा

वो थे मेरे पापा  एक काहानी के माध्यम से आप अपने पापा की वे यादे वापिस ले आओगी |          पेड़ तो अपना फल खा नहीं सकते इसलिए हमें देते हैं पर कोई अपना पेट खाली रखकर भी मेरा पेट भरे जा रहे थे वह थे मेरे पापा ||           खुश तो मुझे होना चाहिए कि वह मुझे मिले पर मेरे जन्म लेने की खुशी कोई और बनाए जा रहे थे वह ते मेरे पापा ||        मैं अपने बेटा शब्द को सार्थक बना सका या नहीं पता चला पर कोई बिना स्वार्थ की अपने पिता शब्द को सार्थक बनाए जा रहे थे वो थे मेरे पापा |||          घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं पर कोई बिना दिखाएं भी इतना प्यार किए जा रहे थे वह थे मेरे पापा||               मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में हंसता हूं पर मेरी हंसी देख कर कोई अपने गम भुलाई जा रहे थे वह थे मेरे पापा |||                यह मैं सुबह उठा तो कोई बहुत थक कर भी काम पर जा रहे थे वह थे मेरे पापा ||    तो अपनी सफलता करो अपनी माता-पिता को मत दिखाओ क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी हार कर आपको जिताया है इसलिए अपने पापा मां-बाप का पक्का इरादा एवं उसकी जो सोच है उसको कायम रखना |   काहानी पसंद आऐ तो शेयर जरूर करे और अच्छी

मां-बाप के संस्कार कहते हैं ना, की मां है तो मन्नत है| और बाप है तो जन्नत है |

 मां-बाप के संस्कार कहते हैं ना, की मां  है तो मन्नत है|  और बाप है तो जन्नत है | बाप मां से ना बड़ा कोई है | यही तो है मेरे वास्ता|  मां बच्चे को प्यार देती है पिता बच्चे को गुस्सा  यही तो दोनों का है एक अच्छा सा रिश्ता | मां ने घुमाया ,बाप ने झुलाया|  फिर भी मैं तेरी शरण से  भाग आया | इसलिए कहते हैं ना कि मां ने जो सिखा है उसे मैं  कभी ना भूल पाया |  Buy Now     बाप ने जो समझाए उससे अलग मैं कभी ना पाया | मां तेरा दुख कैसे भुल जाऊ |  पापा आपका दर्द कैसे झेल पाऊ |  करते थे गुस्सा फिर भी जब मे सुख से ना रह पाऊ ||| बस यही पापा के डर से मे कामयाब हो पाया |  याद रखना मां आपके लिऐ तकिया थी और  पापा वो चद्दर | इसलिये मां  बाप को हमेशा बुढापे मे खुश रखो | जैसे वो आपको खुश रखते थे अब आप की बारी है |        ✍🏻 सब कुछ है जब तक मां-बाप के संस्कार हैं | अतः इन्हीं संस्कारों के माध्यम से मैं सभी को यह संदेश देता हूं कि मां-बाप और संस्कार चल जाएगा जहां आपकी डिग्री ना चलती हो| पोस्ट को शेयर करे और आपका कोई सुझाव हो तो अपना सुझाव रखिऐ |.... Best Gel pen Buy Now Click Here यहाँ Click करे और पढे ढेर

वक्त नहीं !! जिंदगी कितनी व्यस्त हो गई है , कि अपने आप के लिए वक्त नहीं ,

 वक्त नहीं !! जिंदगी कितनी व्यस्त हो गई है , कि  अपने आप के लिए वक्त नहीं , हर खुशी है लोगों के दामन में,  पर एक हंसी के लिए वक्त नहीं , सो के उठता हूँ रूकने का समय नही || दिन-रात दौड़ती दुनिया में,  जिंदगी के लिए वक्त नहीं,  मां की लोरी का एहसास तो है,  पर मां को मां कहने का वक्त नहीं , मां को हर बार बोलता हूँ  फोन करूगा पर वक्त नही | सारे रिश्तो को हम मार चुके हैं,  अब उन्हें दफनाने का वक्त नहीं , सारे नाम मोबाइल में है,  पर दोस्तों के लिए वक्त नहीं  Buy Now   गैरों की क्या बात करें , जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं , आखों में है नींद बड़ी , पर सोने के लिए वक्त नहीं,  दिल है  गमों से भरा हुआ पर , रोने के लिए वक्त नहीं , पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े , की थकने के लिए वक्त नहीं , पराया एहसासों की क्या कदर करें , जब अपने सपनों के लिए वक्त नहीं , दिल में बहुत बातें हैं बताने के लिए , लेकिन बताने के लिए वक्त नहींl सच तो ये है ना की हम इतने कमजोर हो गये | कि उठ कर बिस्तर से घूमने का वक्त नही || Click Here For Shop Now   ये कविता अच्छी लगे तो  कामेंट ,शेयर करे और कहानियां भी पढे यहाँ Click करे

ना जाने कया बात है - मां के घर मे

 "ना जाने कया बात है  - मां के घर मे " बरसों बीत गए,  उस घर से विदा हुए,  बरसों बीत गए,  नई दुनिया बसाएं हुए , पर ना जाने क्या बात है?  शाम ढलते ही मन , उस घर पहुंच जाता है ! मां की आवाज सुनने को , मन आज भी तरसता है , Shop Now👇👇   महक मां के खाने की,  आज भी दिल भर आती है , शाम होते ही याद आता है, घर में हंसी व शोर का होना ,  पापा का काम से, लौटकर आते ही , चाय का प्याला पीना,  दिनभर का हाल सुनाना , आकर मुझे किताब पढवाना | समझ ना आऐ तो डाट सुनाना | भाई का खेलते कूदते आना , शाम होते याद आता है घर , जहां सदा मेहमानों का था,  लगातार आना जाना| सदा घर पर बडे मेहमान आने पे  कमरे मे छुप जाना | ना जाने वो मां  का घर आज  दूर होते हुऐ ही याद आता है ||  बहुत मुश्किल से , मन को समझाता हूं,  वह दिन बीत गए, अब तुम सपनों में,  जी लिया करो , उन पलों को ,जो लौट के कभी,  न फिर आएंगे | आज भी, मां से किए,  वादे को निभाता हूं,  सब को खुश रखने की  अथक कोशिश में,  अपने आंसू पी जाता हूं,   Buy Now 👇👇   मां , आपका घर मे जो मन होता था | वो करते थे , खुशी से मां अपना  किताब पढते थे | अब बचपन गया | बद