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बाेऐ जाते हैं बेटे , पर उग जाती है बेटियां |

 बाेऐ  जाते हैं बेटे , पर उग जाती है  बेटियां | बाेऐ  जाते हैं बेटे , पर उग जाती है  बेटियां |  खाद पानी बेटों , को पर लहराती है  बेटियां | स्कूल जाते हैं बेटे , पर पढ़ जाती है बेटियां | मेहनत करते हैं बेटे , पर अव्वल रहती है बेटियां ,  रुलाते हैं जब खूब बेटे , तब हंसाती है बेटियां | नाम करें ना बेटे ,  पर नाम कमाती है बेटियां | छोड़ जाते हैं जब बेटे , तो काम आती है बेटियां , तो काम आती है बेटियां   Buy Now   शेयर व लाईक जरूर करे | विडियो भी देखे ? यहाँ से देखे ढेर सारी कहानियाँ ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ... .. .

बेटियाँ,बेटियां कोई चेहरा है कोमल कली का

  बेटियाँ बेटियां कोई चेहरा है कोमल कली का , रूप कोई सलोनी परी का , इनसे सीखे सबक जिंदगी का , बेटियां तो है लम्हा खुशी का , ये अगर है तो रोशन जहां है , ये जमीने  है तो आसमां है,  है  वजूद इसे इन से लमहा खुशी का,  बेटियां तो है लम्हा  खुशी का,  हमने रब को तो देखा नहीं पर , नूर ये खुद का जमी पर , एक एहसास है रोशनी का,  बेटियां तो लमहा  खुशी का,  इनसे इनकी अदाऐ  न छीनो, इनसे  इनकी सदाए न छीनो,  हक इन्हें भी तो है जिंदगी का,  बेटियां तो लमहा  है खुशी का,  बेटी है तो मां खुशी  है , बहन है तो भाई खुश है , भाभी है तो घर खुश है , पत्नी  है तो परिवार खुश है , परिवार खुश है तो जीना खुश है | इसलिये बेटियॉ है तो सब कुछ है | इसलिए बैटियां  है तो सब खुश है | ! मान दो उस बेटी को जो इस परिवार मे आई || आपके लिऐ खुशियाँ संग लेके आई | बेटियाँ उस घर की कोमल कली  जो उस घर मे फुल बनकर आई || बेटी मान है सम्मान है | इसलिये जहाँ है बेटियाँ | वहाँ आसमां है | Buy Now   बेटी के लिऐ एक लाईक व शेयर जरूर किजिऐ || यहाँ पर Click करके ओर पढे ढेर सारी काहानियां और भी कहानियां पढे Click now ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया    .. .

बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता

  बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता    कन्यादान जब पूरा हुआ,  आया समय विधाई का || हंसी-खुशी सब काम हुआ था ,  सारी रस्म अदाई  का |  बेटी के कातर स्वर ने , बाबुल को झकझोर दिया | पूछ रही थी पापा तुमने , क्या सचमुच में छोड़ दिया ||  अपने आंगन की फुलवारी , मुझको सदा कहा तुमने ,  मेरे रोने को पल भर भी ,  बिल्कुल नहीं सहा तुमने ||  क्या इस आंगन के कोने में , मेरा कुछ स्थान  नहीं ,  अब मेरे रोने का पापा,  तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं,  देखो अंतिम बार देहरी , लोग मुझे पुजवाते  हैं || 👉Buy NoW👈   आकर के पापा क्यों इनको , आप नहीं धमकाते हैं  || नहीं रोकते चाचा, ताऊ, भैया से भी , आस नहीं ऐसी भी क्या निशठूरता है ,  कोई आता पास नहीं || बेटी की बातों को सुनके ,  पिता नहीं रह सकता खड़ा ,  उमड़ पड़े आंखों से आंसू , बदहवास का दौड़ पड़ा , कातर बछिया सी वह बेटी , लिपट पिता से रोती थी , जैसे यादों के अक्सर वह , अश्रु बिंदु से धोती थी || मां  को लगा गोद से कोई ,  मानो सब कुछ छीन चला ||  फूल सभी घर की फुलवारी से , क्यों कोई क्यों बिन चला ||  छोटा भाई भी कोने में,  बैठा बैठा सुबक रहा ||  उसको कौन करेगा चुप , अब क

संसार के अजीब - गरीब पहिये

  संसार के अजीब -  गरीब पहिये   गरीब मिलो चलता है , भोजन पाने के लिए , अमीर मिलो चलता है , उसे पचाने के लिए  Buy Now 👈👈  किसी के पास खाने के लिए , एक वक्त की रोटी नहीं , किसी के पास एक रोटी,  खाने के लिए वक्त नहीं , कोई अपनों के लिए , अपनी रोटी छोड़ देता है,  कोई रोटी के लिए , अपनों को छोड़ देता है, Buy Now👈👈  दौलत के लिए सेहत खो देता है , सेहत पाने के लिए दौलत को देता है , जीता ऐसे हैं जैसे कभी मरेगा नहीं,  और मर ऐसे जाता है,  जैसे कभी जिया ही नहीं,  1 मिनट में जिंदगी नहीं बदलती,  1 मिनट में लिया गया,  फैसला जिंदगी बदल देता है ! कविता पसंद आऐ तो शेयर जरूर करे | विडियो भी देखे 👈👈 ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया .. ..

दिल है छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा |

  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा |  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा | आसमानों में उड़ने की आशा | दिल है छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा  आसमानों में उड़ने की आशा ||   Buy Now .  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  महक जाऊं मैं आज तो ऐसे , फूल बगिया में महके है जैसे  | जैसे बादलों की ओढ़ चुनरिया , झूम जाऊं मैं बनके बावरिया | अपनी चोटी में बांध लूं ,दुनिया  दिल है छोटा सा छोटी सी आशा|  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | चांद तारों को छूने की आशा | आसमानों में उड़ने की आशा दिल है|  छोटा सा छोटी सी आशा | मस्ती भरे मन की भोली सी आशा | रंग रंग के मैं संवर जाऊं,  चांद तारों की तरह सजग  जाऊं | इस छोटी सी भोली मस्ती में मगन हो जाऊ, दिल करे मैं  मैं कुछ कर जाऊं  यही है जीवन की एक छोटी सी आशा  || स्वर्ग सी धरती खेल रही जैसे,  मेरा मन भी तो खिल रहा  वैसे  कोयल की तरह गाने का अरमां,   मछली की तरह मचलूं ये अरमां   जवानी है लायी रंगीन सपना || दिल है छोटा सा छोटी सी आशा  मस्ती भरे मन की भोली सी आशा  चांद तारों को छूने की

मैं एक पिता हूं || मे एक पिता बन गया |

 मैं एक पिता हूं || तुम और मैं पति-पत्नी थे !  तुम मां बन गई मैं पिता रह गया ! तुमने घर संभाला ! मैंने कमाई की लेकिन तुम मां के हाथ का खाना बन गई!  मैं कमाने वाला पिता रह गया ! बच्चों को चोट लगी तो तुमने गले लगाया!  मैंने समझाया तुम ममतामई बन गई  मैं पिता रह गया  !  बच्चों ने गलतियां कि तुम पक्ष लेकर अंडरस्टैंडिंग मॉम बन गयी! Buy Now 🤞🤞  मैरे  पापा नहीं समझाते ,वाला पिता रह गया ! पापा नाराज होंगे कहकर तुम बच्चों की एक समझदार मां  बन गई!  और मैं गुस्सा करते  रहने वाला है पिता बन गया ! तुम्हारे आंखों में मां का प्यार और मेरे छुपे हुए आंसुओं में निकिता रह गया ! तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनती गई ! और मैं पता नहीं कब सूर्य की अग्नि का पिता रह गया!  तुम धरती मां भारत मां मदर नेचर बनती गई ! और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व के लिए सिर्फ देखता रह गया ! बहुत ही दुख की बात है कि कहते हैं ना कि जब सिर पर भार आता  है तब समझ आता है कि एक पिता कौन है क्या होता है कि एक जिम्मेदारी| इसलिए मैं एक पिता बन गया || यहाँ से Click करके ओर कहानियां भी पढे ✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरिया .... .. ..

पिता , पापा का प्यार कौन जताऐ ,

 पिता मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता | मेरी ताकत मेरी पूंजी मेरी पहचान है पिता |  घर की एक 1 ईट में शामिल है उनका खून पसीना |  सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान है  पिता | मेरी इज्जत मेरी शोहरत मेरा रुतबा मेरा मान है पिता | मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता  | घर की चौखटो पर नाम है पिता || सारे रिश्ते उनके दम से सारे और बातें उनसे है | सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता | शायद रब ने यह देख कर भेजा फल  अच्छे कर्मों का | उनकी रहमत उसकी बेहमत उनका है वरदान पिता | अपने कर्मो का गुरूर हे पिता ||  पिता कितना प्यार करता है | वह बच्चों को दिखाता नहीं ||  बच्चों के लिए करता है मेहनत मजदूरी  कभी शर्माता नहीं है | जिम्मेदारियों का बोझ है  वह कभी घर पर बताता नहीं है  पिता के लिए कोई शब्द ही नहीं है | इसलिए कोई लिख पाता ही नही है | पापा वो घर की चौखट है | जहां रहता है उसका परिवार वहाँ| बच्चो से कम लाड प्यार दिखाता है पिता || पता नही वो इतना कम कयो मुस्कराता है पिता | परिवार का बोझ वो कभी दिखाता ही कयो  नही पिता  | दो कपडे जोडी रखकर कयो वो  अपने परिवार को हाल अपना  ब