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कजूंस सेठ के घर की काहानी

  कजूंस सेठ के घर की काहानी         एक दिन एक बहुत बड़े कजूंस सेठ के घर में कोई मेहमान आया!! कजूंस ने अपने बेटे से कहा, आधा किलो बेहतरीन मिठाई ले आओ। बेटा बाहर गया और कई घंटों बाद वापस आया। कंजूस ने पूछा मिठाई कहाँ है। बेटे ने कहना शुरू किया-" अरे पिताजी, मैं मिठाई की दुकान पर गया और हलवाई से बोला कि सबसे अच्छी मिठाई दे दो। हलवाई ने कहा कि ऐसी मिठाई दूंगा बिल्कुल मक्खन जैसी। फिर मैंने सोचा कि क्यों न मक्खन ही ले लूं। मैं मक्खन लेने दुकान गया और बोला कि सबसे बढ़िया मक्खन दो। दुकान वाला बोला कि ऐसा मक्खन दूंगा बिल्कुल शहद जैसा।|  मैने सोचा क्यों न शहद ही ले लूं। मै फिर गया शहद वाले के पास और उससे कहा कि सबसे मस्त वाला शहद चाहिए। वो बोला ऐसा शहद दूंगा बिल्कुल पानी जैसा साफ। एक दम मस्त | Buy Now   तो पिताजी फिर मैंने सोचा कि पानी तो अपने घर पर ही है और मैं चला आया खाली हाथ। कंजूस बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को शाबासी दी। लेकिन तभी उसके मन में कुछ शंका उत्पन्न हुई। "लेकिन बेटे तू इतनी देर घूम कर आया। चप्पल तो घिस गयी होंगी।" "पिताजी ये तो उस मेहमान की चप्पल हैं जो घर पर आय

फर्क एक बेटा बेटी में,बेटा भाग्य से व बेटी सौभाग्य से होती है |

  फर्क एक बेटा बेटी में, फर्क एक बेटा बेटी में, ak bata ,beta born by luck and beti born by luckilly  बेटा तन है  तो बेटी मन है | बेटा वंश है  तो बेटी अंश है |  बेटा ऑन है  तो बेटी शान है |  बेटा मन है  तो बेटी गुमान है |  बेटा वारिस है  तो बेटी पारस है | बेटा संस्कार है  तो बेटी संस्कृति है | बेटा भाग्य है  तो बेटी विधाता है|  बेटा दवा है  Buy Now   तो बेटी दुआ है |  बेटा शब्द है  तो बेटी अर्थ है | बेटा राज है  तो बेटी भाग है  बेटा गीत है  तो बेटी संगीत है | बेटा एक प्रेम है  तो बेटी पूजा है ||  बेटा हथियार  है  तो बेटी हाथ है || बेटा सुंगध  है  तो बेटी फूल है || बेटा है तो बेटी है | अन्यथा जीवन एक शब्द है || बेटा भी , बेटियों से कम नही  यहाँ बेटा नही | तो वहाँ बेटी भी नही |  याद रखे बेटा ही सब कुछ नही || बेटिया भी हमारी जीवन दाता है || पर बेटा नही तो बेटी भी नही | ये एक जोडी है बेटा बेटी की,  जहाँ एक बेटा ,बेटी से परिवार बनता है  उस परिवार से ही बनते है वो रिशते नाते || अतं काहानी का अर्थ यह है कि बेटा ,बेटी समान है | बेटा ,बेटी में अंतर ना समझे || ये पंक्तियां अच्छी लगे तो अपने बेटा

बहन शादी के बाद बोझ कयो लगती है कयो आ जाती है हमारे घर मैं खर्च करवाने |

  बहन शादी के बाद बोझ कयो लगती है कयो आ जाती है हमारे घर मैं खर्च करवाने | बहन की शादी को 6 साल हो गए थे | मैं कभी उसके घर नहीं गया | होली दिवाली भैया दूज पर कभी-कभी मम्मी पापा जाते हैं |मेरी बीवी एक दिन मुझे कहने लगी आपकी बहन जब भी आती है उसके बच्चे घर के हाल बिगड़ कर रख देते हैं खर्च डबल हो जाता है और तुम्हारी मां हमसे छुपा-छुपा कर कभी उसको साबुन की पेटी दे देती है|  कभी बड़े-बड़े बर्तन, कभी कपड़े और कभी डब्बे और कभी-कभी तो चावल का ठेला भी भर कर दे देती है | अपनी मां को बोलो यह हमारा घर है यहां पर कोई गोदाम सेंटर नहीं है मुझे बहुत गुस्सा आया मैं मुश्किल से खर्च पूरा कर रहा हूं और मां सब कुछ बहन को दे देती है बहन एक दिन घर आई हुई थी|     उसके बेटे ने टीवी का रिमोट तोड़ दिया मैं  गुस्से में कह रहा था मां बहन को बोलो कि भैया दूज पर आया करें बस और जो आप साबुन सर्फ चावल का ठेला भरकर दे देती है उसे बंद करें सब कुछ बंद करें मां चुप रही लेकिन बहन ने मेरी सारी बातें सुन ली थी बहन कुछ ना बोली 4:00 बज रहे थे अपने बच्चों को तैयार किया और कहने लगी भाई मुझे बस स्टॉप तक छोड़ आओ और मैं झूठे मुंह कहा

चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!

  चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!! चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं ,  जिधर न हो कोई गम, वो जगह ढूंढते हैं | बहुत उड़ लिए मुझे आसमानों में यारों,  चलो जमी पे ही कहीं ,हम सतह ढूंढते हैं |  छूटा संग कितनो का जिंदगी की जंग में,  चलो उनके दिलों की ,हम गिरह ढूंढते हैं | बहुत वक्त  गुजरा भटके  हुए अंधेरों में, Buy Now चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!!  चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं!! यहाँ से ओर पोस्ट भी पढे Click Here विडियो देखे |   ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया   ... .. .

बाेऐ जाते हैं बेटे , पर उग जाती है बेटियां |

 बाेऐ  जाते हैं बेटे , पर उग जाती है  बेटियां | बाेऐ  जाते हैं बेटे , पर उग जाती है  बेटियां |  खाद पानी बेटों , को पर लहराती है  बेटियां | स्कूल जाते हैं बेटे , पर पढ़ जाती है बेटियां | मेहनत करते हैं बेटे , पर अव्वल रहती है बेटियां ,  रुलाते हैं जब खूब बेटे , तब हंसाती है बेटियां | नाम करें ना बेटे ,  पर नाम कमाती है बेटियां | छोड़ जाते हैं जब बेटे , तो काम आती है बेटियां , तो काम आती है बेटियां   Buy Now   शेयर व लाईक जरूर करे | विडियो भी देखे ? यहाँ से देखे ढेर सारी कहानियाँ ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ... .. .

बेटियाँ,बेटियां कोई चेहरा है कोमल कली का

  बेटियाँ बेटियां कोई चेहरा है कोमल कली का , रूप कोई सलोनी परी का , इनसे सीखे सबक जिंदगी का , बेटियां तो है लम्हा खुशी का , ये अगर है तो रोशन जहां है , ये जमीने  है तो आसमां है,  है  वजूद इसे इन से लमहा खुशी का,  बेटियां तो है लम्हा  खुशी का,  हमने रब को तो देखा नहीं पर , नूर ये खुद का जमी पर , एक एहसास है रोशनी का,  बेटियां तो लमहा  खुशी का,  इनसे इनकी अदाऐ  न छीनो, इनसे  इनकी सदाए न छीनो,  हक इन्हें भी तो है जिंदगी का,  बेटियां तो लमहा  है खुशी का,  बेटी है तो मां खुशी  है , बहन है तो भाई खुश है , भाभी है तो घर खुश है , पत्नी  है तो परिवार खुश है , परिवार खुश है तो जीना खुश है | इसलिये बेटियॉ है तो सब कुछ है | इसलिए बैटियां  है तो सब खुश है | ! मान दो उस बेटी को जो इस परिवार मे आई || आपके लिऐ खुशियाँ संग लेके आई | बेटियाँ उस घर की कोमल कली  जो उस घर मे फुल बनकर आई || बेटी मान है सम्मान है | इसलिये जहाँ है बेटियाँ | वहाँ आसमां है | Buy Now   बेटी के लिऐ एक लाईक व शेयर जरूर किजिऐ || यहाँ पर Click करके ओर पढे ढेर सारी काहानियां और भी कहानियां पढे Click now ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया    .. .

बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता

  बेटी की विदाई की एक सुंदर कविता    कन्यादान जब पूरा हुआ,  आया समय विधाई का || हंसी-खुशी सब काम हुआ था ,  सारी रस्म अदाई  का |  बेटी के कातर स्वर ने , बाबुल को झकझोर दिया | पूछ रही थी पापा तुमने , क्या सचमुच में छोड़ दिया ||  अपने आंगन की फुलवारी , मुझको सदा कहा तुमने ,  मेरे रोने को पल भर भी ,  बिल्कुल नहीं सहा तुमने ||  क्या इस आंगन के कोने में , मेरा कुछ स्थान  नहीं ,  अब मेरे रोने का पापा,  तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं,  देखो अंतिम बार देहरी , लोग मुझे पुजवाते  हैं || 👉Buy NoW👈   आकर के पापा क्यों इनको , आप नहीं धमकाते हैं  || नहीं रोकते चाचा, ताऊ, भैया से भी , आस नहीं ऐसी भी क्या निशठूरता है ,  कोई आता पास नहीं || बेटी की बातों को सुनके ,  पिता नहीं रह सकता खड़ा ,  उमड़ पड़े आंखों से आंसू , बदहवास का दौड़ पड़ा , कातर बछिया सी वह बेटी , लिपट पिता से रोती थी , जैसे यादों के अक्सर वह , अश्रु बिंदु से धोती थी || मां  को लगा गोद से कोई ,  मानो सब कुछ छीन चला ||  फूल सभी घर की फुलवारी से , क्यों कोई क्यों बिन चला ||  छोटा भाई भी कोने में,  बैठा बैठा सुबक रहा ||  उसको कौन करेगा चुप , अब क