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जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे ,

 जी लेगे अब तेरे बिना भी  जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे , ऐसे घमंड वाली से सो अच्छा अकेले ही सह लेगे | मना- मना के थक चुक हूँ , सच बातो मे अपने से कई बार हार चुका हूँ , सच्चे को तूने झूठा बनाया , अच्छे को तूने बेकार बना दिया | अब ढुंढ ले जिदंगी अपनी अलग से भी , हम तो जी लेगे अब तेरे बिना भी , मै नही रोकूगा तुझे कही भी , अब जाना हे मेरी जिदंगी से तो  अब अकेले जी लेगे , कसम से हाथ पकडू भी तब  जब अपना आप हमे समझे| किसी का हाथ छुडाकर हम किसी का हाथ नही लेते |  जब चलना हो सच्चे रास्ते पर तो हम किसी सी परमाईश नही करवाते | सच तो ये है कि तुझे हम पसंद ही नही,  तो हम भी तुम्हे टच नही करते | जी लेगे  तेरे बिना भी , कोई गम की बात नही | पर जहाँ तुम्हे रहना था वहाँ तुम रहे ही नही | Buy Now कोई बात नही तुम खुश रहो ,  अपनी अपनी जिंदगी मे जीना है  तो मेरे से अलग ही रहो | अब हम तुम्हे सताऐगे भी नही  तुम्हे जो करना है वो करो,   कभी तेरे पीछे आऐगे भी नही | कसम से दुशमनी नही है तेरे से  तुम्हे मे अच्छा नही लगता तो  अलग. से जी लो वो ही सही | अपने मन मे है वो क

बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं...

 “हर उस #बेटे को समर्पित जो घर से दूर है चाहे वो होस्टल में हो या नौकरी के लिए दूर शहर में.......... बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं... बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं… अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले… अब एक बिस्तर पर सबके…साथ एडजस्ट हो जाते हैं… बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’… सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’… पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं लड़के भी घर छोड़ जाते हैं। Buy Now   बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है, माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है। कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं। लड़के भी घर छोड़ जाते है। मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते, जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,,, माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है लड़के भी घर छोड़ जाते हैं| कभी बाप की डाट न खाने वाले , आज किसी की भी डाट खा लाते

गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां

  गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा है..  (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन - बाहर आकर पूछी "क्या है ? बालक - "आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं? मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना.. बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में.. "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा। मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा? बालक - पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना.. मालकिन- ओह !! आ जाओ अच्छे से काम करना.... (लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ.. मालकिन बुदबुदायी) Buy Now   मालकिन- ऐ लड़के.. पहले खाना खा ले, फिर काम करना... बालक - नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना... मालकिन - ठीक है ! कहकर अपने काम में लग गयी.. बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं... मालकिन -अरे वाह ! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए.. यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ.. जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया.. बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें ख

एक बाप फिर से रो पडता है सबको दुखी 😥 देखकर ||

  अक्सर बाप भी रो पडता है, बेटा को दुखी देखकर , अपने आप ही रह जाता है | सबको खुश देखकर , मन मे अति पीडा , तन मे इतना सारा  घाव देखकर , अकसर बाप भी रो पडता है | बेटे को अकेला देखकर , बाप बस चुप रह कर सह लेता है | इतने से इलजाम देखकर , अकसर हर बात को सबके साथ ना साझा करके , अपने आप ही ये गम पी के , बाप सबकुछ सह लेता है| अकसर बाप सबकुछ सह लेता है | Buy Now .   बेटे को दुखी देखकर ,बेटी की जवानी देखकर , एक बाप अकेला रहकर  इतने सारे दुख देखकर , एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने परिवार के हालात देखकर, एक बाप भी रो लेता है  अपने को एक अलग से कोने मे देखकर, अपने को एक अलग से  कोने मे देखकर ,, एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने पूरे परिवार के लिऐ कुछ भी कर लेता है | जब साथ नही मिले अपने  जीवन साथ का , तब अपने आप ही घूट घूट के मर जाता है | जब साथ नही  मिले अपने बाप का , तो टूट टूटकर अलग हो जाता है | जब साथ ना मिले अपने बेटे का तो , अपना दिल छोटा कर लेता है | जब साथ ना मिले परिवार का तो , फिर जिंदगी से अधर कर लेता है || एक बाप  फिर से रो पडता है | सबको दुखी  देखकर | एक बाप  फिर  से रो पडता है  सबको दुखी

पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |

  पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | अपने बनकर दूसरो के साथ चले जाऐगे | साथ साथ दिखावा करके पीछे से वार कर जाऐगे | पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | गेरो के साथ रहकर अपने के साथ रहने के ढोंग दिखाऐगे | लोगो मे खिल्ली उडाकर फिर से बस जाऐगे | अपने नही वो जो औरो के साथ रह जाऐगे | Shop Now at 30% Off पता नही था कि लोग इतने भी बदल जाऐगे || मन में भेर ,दिल मे अकड ,तन मे गर्मी  ये वसूल बन के रह जाऐगे | पता नही था कि लोग इतने बदल जाऐगे | थके नही पर वो हमे थकाऐगे | अपनी अकड मे रहकर अपनो से ही रूठ जाऐगे | किस्मत जिद्दी है मेरी भी इतना कया है कि सूखे पेड है जो कि कल मुरझा जाऐगे || पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था कि वो दिन भी  आऐगे | मर्जी मेरी ,जिद्दी भी मेरी , तू कया तुम्हारी वर्दी भी मेरी , अपनी जिददी भी मेरी ,अपनी आदत भी मेरी , ये कहकर लोग इतने बदल जाऐगे || पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था की वो दिन भी आ जाऐगे || यहाँ से और भी भावानातम्क कहानियां भी पढे मेरी लिखी हुई और कहानियां भी यहा से पढे C

वौ फौजी की बहन वौ फौजी की बहन की राखी

  वौ फौजी की बहन  वौ  फौजी की बहन की राखी  मेरे खातर जो ल्याई थी राखी वा थाली में ए धरी रहगी  हर साल की डाल ईस साल भी मेरी कलाई सुनी ऐ रहगी ...  सोचा था कै सबेरे सबेरे करके फौन  देके बहाना Gift का उसने मना ल्यूगां  जो करे थे झूठे वादे छुट्टी आण कै  वो हांस बतला कै छुपा ल्यूंगा  Buy Now   पर उसने रोती न देख मेरी  सारी कोशिश बेकार होगी ...  चहरे तै तो मैं हसदा रहया पर  भीतर तै आंख लाल होगी ..  ईबके भी मेरी प्यारी बेबे  अपने कर्मां न दोष देके रहगी  मेरे खातर जो ल्याई थी राखी वा थाली में ए धरी रहगी ...  रर हर साल की डाल ईस साल भी ईस फौजी की कलाई सुनी ऐ रहगी ... फौजी की बहन अबकी बार भी अकेली ही रहेगी | भाई  भाई करके को अपने आप ही रहेगी | नयू सोचयी थी भाई के अब की बार चार चार राखी बाधूंगी | पर बेचारी की सारी थाली मे रहगी || मां बाबू तक कहा करती थी | अबकी बार भाई फौजी आवयगा घर | पर नयु ना बेरा था कि छूटटी की कागजी Co  तक ही रहगी | भाई  , सोचया था जाऊगा घर पर अब की बार  पर यौ के बेरा था कि अबकी बार भी नयू ही अकेली ही रहेगगी, यहाँ से पढे ढेर सारी कहानियां ये भी पढे Click Now ✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरि

दिल को छू लेने वाली काहानी इंसानियत अभी तक जिंदा है..

दिल को छू लेने वाली काहानी    इंसानियत अभी तक जिंदा है.. एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला~ ‘‘साहब! बूट पॉलिश कर दूँ ?’’ उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले- ‘‘लो, पर ठीक से चमकाना।’’ लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी। वे बोले~ ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो? जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’  वह लड़का मौन रहा।  इतने में दूसरा लड़का आया। उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा। दूसरे ने जूते चमका दिये। Buy Now 🤙    ‘पैसे किसे देने हैं?’ इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला। उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी।’ फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए।’ इसलिए उन्होंने बाद में आनेवाले लड़के को पैसे दे दिये। उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये। प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया। वह आदमी विस्मित नेत्रों से देखता रहा। उसने लड़क