आज फिर जिंदगी महँगी और दौलत सस्ती हो गयी ।।
घर गुलज़ार, सूने शहर,
बस्ती बस्ती में कैद, हर एक हस्ती हो गयी,
आज फिर जिंदगी महँगी और दौलत सस्ती हो गयी ।।
😊😷🙏
शहर में कर्फ्यू है, चाय पत्ती लाने का बहाना है
यार पडोसी है मेरा, मुझे उसके घर जाना है ।।
🤝☕️🤗
पहले तो सब अपने घर पर ही या नौकरी मे अपनापन
दिखाता था|
अब घर पे ऐसे कैद हो गये कि मानो सात जन्म से पिंजरे मे बंद हे|
हर रासता साफ है
कही पर गाडीयो की लाईन लगा रहता था|
अब ऐसे हो गये कि मानो कोई इस जमीन मे कोई रहता ही नहीं है|
आज सांस लेने मे भी तकलीफ होती है|
कयो भाई |
शाम ,सुबह,दोपहर घर |||||
एक घूटन बन के रह गयी जिंदगी|
हर चपपे चपपे पर चौकसी
हर अधिकार खत्म😥
कया होगी ये जिंदगी
बस अब. एक ही कमरा |
उपर नीचे |||
आज फिर से जिंदगी मंहगी और दौलत सस्ती हो गयी|
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____✍✍✍_अनिल हटरिया_______
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