सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है |
सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है |
कभी किराया ना था , तो कभी खुद के कपडे |
बडे भाई को घर सभांलते भी देखा है |
मेरे ना पढने पर बहन को डाटते भी देखा है |
गांव से चुडियां बेचकर आई मां की कमाई को गिनते भी देखा है |
पापा को खेत में किराये पर काम करते भी देखा इतना कया में कया बोलू गरीबी में लोगों ने मजे लेते भी देखा है |
मैने अपने को बडे होते देखा है |
रिकशा चलाकर घर के छोटे मोटे काम कर के भी देखा है|
शाम को खेतो में किताब लेकर भैसो को चराते भी देखा है |
अब कया कहू में सब मैने अपने दम पर करके देखा है |
कभी कोल्हू का बैल बनकर बाप की डाट से हल चला के भी देखा है |
गांव मे रह कर, दस- दस रूपये की आमदनी कर के भी देखा है |
तुम कया जानो हमे कितना दर्द अपने दिल पे दे के रखा है |
दीये में तेल कम होने से वजह से मैने सुबह जल्दी उठ के पढना सीखा है |
कभी पढाई के लिऐ मां बाप के पैसे को बचा के देखा है ||
तो कभी कभी तो बिना किराये के भी बसो में सफर कर के देखा है |
मैने अपने आप बडे होते देखा है ||
गलत ना किया कभी गलती को माफ करके भी मैने सफर में आगे बढते देखा है |
मैने अपने आप को बडे होते देखा है |
मां बाप की जोडे हुऐ पैसे से पुरानी किताबो से मे काम चला कर के देखा है |
कोई उगली कैसे उठा दे हमारे पे , सफर का साथ अकेले कर के देखा है ||
किसी की आन ली ना बान ,और ना कभी किसी की शान ,
सब कुछ अपने दम पे कर के देखा है ||
इस जिंदगी के सफर में में अकेले ही बडे होते देखा है ||
मेंने अपने आप को गंदे लोगो से अलग होते भी देखा है |
किस्मत नही थी फिर भी मेहनत कर के , अपने को आगे बढते देखा है ||
इस सफर में लोगों ने विश्वास को तोडते भी देखा है |
अकसर मैंने अपने आप को बडे होते देखा है |
सब कुछ दिया जिंदगी में ,सब कुछ साथ रखने के चककर मे ,
अपने आप को अकेले रोते देखा है |
बेपनाह इंतजार , और जिंदगी के पास अँधेरे को ढलते देखा है|
अकसर जिंदगी में अपने आप को बडे होते देखा है |
साथ में रहकर लोगो को गद्दारी करते भी देखा है , अकसर इूठे इरादे व इूठे वादो को भी सहते देखा |
इतने करीबी बने की , हमने अपना दिल देकर भी अपनी को जान निकलते देखा है |
मैंने अपने आप को बडे होते देखा है |
मैने अपने आप को अकसर बडे होते देखा है |
बाप को स्कूल में फीस कम करवाते और हेडमासटर् के
आगे गिडगिराते देखा है |
बेटे को स्कूल में पढा लो , गरिबी में मरते देखा है |
आज महल खडा कर लिया उसके बेटो ने ,
गांव में नाम करते देखा है |
मेने अपने आप को बडे होते देखा है |
मैने अपने आप आप बडे होते देखा है |
सीधे राह जाकर ,साफ साफ बात करके अपने आप
साफ रखके देखा है |
दुनिया में आगे आऐ झटके देने वाले भी ,
पर उस उपर वाले की दया से कामयाबी के दरवाजे खोलते
देखा है |
मैने अपने आप को बडे होते देखा है|
मैने अपने आप को बडे होते देखा है |
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