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सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है ✍🏻✍🏻अनिल हटरिया

 सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है |



सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है |


सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है |

कभी किराया ना था , तो कभी खुद के कपडे |

बडे भाई को घर सभांलते भी देखा है |

मेरे ना पढने पर बहन को डालते भी देखा है |

गांव से चुडियां बेचकर आई मां की कमाई को गिनते भी देखा है |

गांव से चुडियां बेचकर आई मां की कमाई को गिनते भी देखा है |


पापा को  खेत में किराये पर काम करते भी देखा इतना कया में कया  बोलू  गरीबी में लोगों ने मजे लेते भी देखा है |

पापा को  खेत में


मैने अपने को बडे होते देखा है |

रिकशा चलाकर घर के छोटे मोटे काम कर के भी देखा है|

शाम को खेतो में किताब लेकर भैसो को चराते भी देखा है |

अब कया कहू  में सब मैने अपने दम पर करके देखा  है |

कभी कोल्हू का बैल बनकर बाप की डाट से हल चला के भी देखा है |

गांव मे रह कर, दस- दस रूपये की आमदनी कर के भी देखा है |

तुम कया जानो हमे कितना दर्द अपने दिल पे दे के रखा है |

 दीये में तेल कम होने से वजह से मैने सुबह जल्दी उठ के पढना सीखा है |

कभी पढाई के लिऐ मां बाप के पैसे को बचा के देखा है ||

 तो कभी कभी तो बिना किराये के भी बसो में सफर कर के देखा है |

 मैने अपने आप बडे होते देखा है ||

गलत ना किया कभी गलती को माफ करके भी मैने सफर में आगे बढते देखा है |

मैने अपने आप को बडे होते देखा है |

 मां बाप की जोडे  हुऐ पैसे से पुरानी किताबो से मे काम चला कर के देखा है |

कोई उगली कैसे उठा दे हमारे पे , सफर का साथ अकेले कर के देखा है ||

किसी की आन ली ना बान ,और ना  कभी किसी  की शान ,

सब कुछ अपने दम पे कर के देखा है ||

इस जिंदगी के सफर में में अकेले ही बडे होते देखा है ||

मेंने अपने आप को गंदे लोगो से अलग होते भी देखा है |

किस्मत नही थी फिर भी मेहनत कर के , अपने को आगे बढते देखा है ||

इस सफर में लोगों ने विश्वास को तोडते भी देखा है |

अकसर मैंने अपने आप को बडे होते देखा है |

 सब कुछ दिया जिंदगी में ,सब कुछ साथ रखने के चककर मे ,

अपने आप को अकेले रोते देखा है |

बेपनाह इंतजार , और जिंदगी के पास अँधेरे को ढलते देखा है|

अकसर जिंदगी में अपने आप को बडे होते देखा है |

साथ में रहकर लोगो को गद्दारी करते भी देखा है , अकसर इूठे इरादे व इूठे वादो को भी सहते देखा |

इतने करीबी बने की ,  हमने अपना दिल देकर भी अपनी को जान निकलते देखा है |

आज महल खडा कर लिया उसके बेटो ने ,  गांव में नाम करते देखा है |  मेने अपने आप को बडे होते देखा है |  मैने अपने आप आप बडे होते देखा है |


मैंने अपने आप को बडे होते देखा है |

मैने अपने आप को अकसर बडे होते देखा है |

बाप को स्कूल में फीस कम करवाते और हेडमासटर् के 

आगे गिडगिराते देखा है |

बेटे को स्कूल में पढा लो , गरिबी में मरते देखा है |

आज महल खडा कर लिया उसके बेटो ने ,

गांव में नाम करते देखा है |

मेने अपने आप को बडे होते देखा है |

मैने अपने आप आप बडे होते देखा है |

सीधे राह जाकर ,साफ साफ बात करके अपने आप

साफ रखके देखा है |

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दुनिया में आगे आऐ झटके देने वाले भी ,

पर उस उपर वाले की दया से कामयाबी के दरवाजे खोलते

देखा है |

मैने अपने आप को बडे होते देखा है|

मैने अपने आप को बडे होते देखा है |



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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया


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