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दादी पोता की रोचक काहानिया

 दादी पोता की रोचक काहानिया 


दादी का पोता वो माँ माँ कह कर पुकारता है | ना जाने वो कयो इस दादी माँ की गोद में  जा बैठता है | कयो वो दादी का कहा मानता है |



 कयो वो दादी का लाडला बन गया , पता नही || कयो वो 

दादी की गोद में जा बैठता है |

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दादी कया खिलाती है जो दादी का लाडला बन गया है |

दादी कया  पिलाती है जो दादी की गोद में जा बैठता है |

  दादी पोता की बात कभी खत्म ही नही होती कयो वो पोता 

दादी को अपने बडे होने की काहानी  सुनाता है |

दादी में अच्छा से पढूगा , दादी में बडा अफसर बनूगा |

दादी में तुम्हे बाहर घूमाऊगा |

दादी भी अपने पोते की लाडली हो गयी है | कयो वो अब बेटे की फिकर कम और पोते की ज्यादा करने लगी है |

अब तो ये एक ही लाडला है जिससे में खाने के लिऐ बोलेती है | |

कयो पता नही अब पोते को लेकर हर जगह घूमाती है |

 शहर से पता नही कयू वो अब पोते का अलग से खाने का ले आती है |

कयो वो दादी अब पोते को ही खिलाती है |

पोते की हर छोटी छोटी बात बडी ध्यान से सुनती है कभी कभी एक जगह बैठकर बडी बडी कहानियां सुनाती है |

कभी कैसे में पढी घर की सारी काहानियां बताती है |

 कैसे अपना घर बनाया ,कैसे घर को महल जैसा सजाया 

सब बताती है !

 पोते को स्कूल से आते वक्त दादी को अपनी स्कूल की बात बताता है  ,दादी उसकी सारी सुनती है  बिना पुछे स्कूल का बैग उठाती है और कहती है चल पोते ||


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 अब घर तुझे मस्त नमकीन व चुस्की दिलवाऊगी ,चल तुझे गाडी पे घुमाऊगी | बिना कहे सब देती है वो दादी है |

वो सबको मनाती है |पर दादी को केवल एक ही मनाता  है 

वो है उसका पोता | हर नजर रखता है दादीपर , दादी को पानी पिलाना ,प्लेट मे खाना ले आना | दादी पावं दर्द तो नही कहकर पावं दबाना ||

  दादी पोते की ये जोडी लाजबाब है कहते है दादी पोते को खिलती है पर सच तो ये की पोता दादी के बगेर नही रहता |

और हर बार गोद में आ गिरता है |और कहता है दादी ,दादी |||


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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया




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