सफर में हमसफर और हम में हमसफर
सफर के रास्ते में हमसफर निकल गये ,
हमसफर में से केवल हम ही रह गये |
सफर चलता रहता रहा ,
हमसफर दगा दे गये |
अपने बोलकर औरो के साथ
का सफर चल दिये |
हमसफर में हम ही रह गये |
हम में से सफर निकल गये ||
इंतहान की कडी परीक्षा में साथ छोड गये |
साथ दिखाकर अपनो का , लोगो का साथ दे गये |
इस सफर के रास्ते से हमसफर मे से सफर निकल गये |
हमसफर मे से केवल हम रह गये |
रूलाकर दुखाकर बिना सोच समझकर ,
वो अपने सफर पे चल दिये |
मेंने इंतजार रखा ,
पर पता नही वो कौन से रास्ते से
अपने रास्ते के सफर चल दिये ||
हमसफर का साथ नही ,
हमसफर का हाथ नही ,
हमसफर पर विशवास नही
अब बेपनाह मोहब्बत मे से अपने
को आंख दिखा गये |
समझा नही में उसकी सफर का रूट ,
सही रूट पर दिखाकर ,
अलग रूट से निकल गये |
बहुत धोखा कर गये |
अब मोहब्बत तो कैसी ,
देखने की आदत से भी मजबूर कर गये |
कैसे कह दू अब सफर में हमसफर
और हमसफर में सफर रह गये |
थकना नही मेरी जान ,
रूकना नही है है जान ,
में ताकत लगा लगा कर ये
गुनगुनाता रहा ,
पर कैसे कह देते उसको अब ,
अपना हमसफर ,
कयोकि अब तो हमसफर में से हम ही रह गये |
हमसफर मे से हम ही रह गये |
जिंदगी बाकी है अभी ,
जिनी बहुत है ,
दुनिया अंधेरी तो लगती है |
पर अब अपनी जिंदगी देखनी जरूरी है|
हमसफर मे से हम तो ठीक है
पर अपना सफर तो जरूर ढूंढ लिया होगा
तूने अपना ,
अब में कयू तुझे ढूंढू , सफर में हमसफर अपना,
पकड कर रखा था हाथ तो ,मैने तेरा ,,
पर तेरे साथ मुझे कोई और दिखा था
तब कंधे पर हाथ रखे हुऐ |
कह रहा था तुझे अपना ,
अब सफर कट गया है अपना ,
हमसफर की जगह हम में सफर की जगह नही ,
जगह की जगह में अब हमसफर की कमी नही |
अब सफर निकल रहा है बहुत अच्छा ,
तेरे जैसे अज्ञानी हमसफर की कदर नही रही ,
समझा भी है मैने सफर को ,बहुत दिनो तक
पर अब रातो की नींदों में अब वो हम वाला सफर नही ,
सफर में हमसफर और हम में हमसफर
सफर के रास्ते में हमसफर निकल गये ,
हमसफर में से हम ही रह गये |
सफर चलता रहता रहा ,
हमसफर दगा दे गये |
...
..
.
टिप्पणियाँ