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ये कुछ वकत की बात है |बस कुछ वकत की बात है || सब कुछ अच्छा होगा

 ये कुछ वकत की बात है | जब जब जीवन  दुख दे तो , सुबह बिस्तर से उठ जाना | चार कदम चलकर और बोलना बस कुछ वकत की बात है | अपनी डयूटी पर जाने का बहाना बना लेना | थौडी सी खुशी अपने चेहरे पे ले आना | वो इस वकत हुआ अब बस भुल जाना | अपने चेहरे पर खुशी रख लेना ये  कुछ वकत की बात है | जहां भी रहना  जिंदा रहने की उम्मीद करना || कुछ वकत की बात है कुछ पल अपने से बता देना | थोडी सी आह लेकर पीछे का भूल जाना , कुछ वकत की बात है | माफ करना उनको जो नांसाफ है  भले ही जिंदगी अपनी बदल जाऐ पर  जो खुश नही आपकी खुशी से उनसे  थोडा वकत की दूरी बना लेना | चेहरे पे रोनक रखना | Buy Now   कुछ वकत की बात है | अपने को अपनापन मत खो देना | कुछ बुरा हुआ है तो बस किस्मत की लकीर  कौ देखकर समझ लेना , कि कर्म अच्छे नही थे ,किस्मत की  लकीर टूटी हुई थी , बस कुछ वकत की बात है | अपनी किस्मत की लकीर को चला लेना | अपने आखो के आंखू को रोक पाना | हर कोई नही है अपना ये  समझकर सबके सामने थोडा सा मुस्करा देना | बस कुछ वक्त की बात है आज जिंदगी में खाई है तो कल रास्ते भी साफ होगी , आज...

बहुत बदल चुका हूँ | अपने को अपनो से अलग कर चुका हूँ |

 बहुत बदल चुका हूँ | अपने को अपनो से अलग कर चुका हूँ | रास्ता अजमा लिया है हर कदम आगे बढने का , कसम खा लिया है भगवान की , रास्ते अब  सब नये देख चुका हूँ , समझदार नही अब सब समझ चुका हूँ , अपने को अपनो से अलग कर चुका हूँ | कामयाबी के रास्ते पर आने के रास्ते देख चुका हूँ| मतलबी लोगो से अपनी आस छोड चुका हूँ | कुछ समझा और कुछ समझा लिया अपने दिल को , कुछ समझने की बारी देख चुका हूँ | में अपने को अपनो से अलग कर चुका हूँ | माडे कर्म , माडे मेरे हालात , कुछ सख्त लोगो से अपनी जिदंगी हटा चुका हूँ , अब याद नही मुझे कौन आया और कौन गया , अपने को अपनो के साथ समझा चुका हूँ | में मतलबी लोगो से दूर जा चुका हूँ || मेहनत करके रोटी कमाई ,  Buy Now    अब अपने पाँव पर खडे होकर देखने के दिन मे आ चुके हू | में अपने को अपनो से अलग कर चुका हूँ | कर्म मेरे बढिया निकले ,कुछ कर्म घटिया निकले , कुछ में तो पेट - पाप भी निकला | अब असली रास्ते पर आ चुका हूँ | सब भूल के अब नये रास्ते पे जा चुका  हूँ | अब याद नही आती ,ना याद सताती | कयो- कि जिदंगी के अच्छे दिन भी बुरे वक्त से गुजार चुका हूँ | ...

मै भी अपना घर सजाऊगा | मै भी अपना घर बनाऊगा |

 मै भी अपना घर सजाऊगा | मै भी अपना  घर बनाऊगा | इस भीगी राह को भी अपनाऊगा | जुर्म 36 हुऐ मुझपे पर तुझे एक बात ही सिखाऊगा | मै अपना घर सजाऊगा | सपने आंखो में नही ,दिलो में है | दिल अपनो से है गैरो से नही , आदत बुरी है कमाने की , कमाने के बहाने से  घर बनाऐगे | घर में अपना कमरा बनाऐगे | वहाँ अपने कर्मो से अपना मेल मिलाऐगे | जहाँ घर में खुशी होगी ,वहां से हम अपना दीप जलाऐगे | एक ही किताब पढेगे जहाँ  दूसरे के साथ ना कभी धोखा होगा | ना कभी किसी का अपमान , बस अपना एक घर बनाऐगे | जहाँ अंधेरा होगा वहाँ अपना हम अपना प्रकाश लगाऐगे | मतलबी लोगो को ठिकाने लगाऐगे | बस अपना घर सजाऐगे | औकात ना दिखानी किसी को , बस  अपनापन ना अपनाऐगे | घर की चार दिवारी में वो प्यारो का फूल खिलाऐगे | फूलों  की खुशबू सै इस घर को महकाऐगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | कभी लोग सोचते थे कि यै तो अंधा है  हम उनको अपनी आंखो की पटटी खोल के बताऐगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | हम भी अपने घर को खुशबू से महाकाऐगे || कर्मो की देन है जिदंगी , अपने से दोस्ती ,बाहर वालो से प्यार रखेगे | हम भी अपना घर सजाऐगे | ह...

पापा का प्यार बेटे के लिऐ

 पापा का प्यार बेटे के लिऐ पापा का प्यार कुछ अलग होता है | पापा का इंतज़ार कुछ अलग होता है | अपने लिऐ कुछ नही करता , पर अपने बेटे के लिऐ  सब घर में भर देता है | दो जोडी कपडो से वो अपना समय निकाल लेता है | पर अपने बच्चे के लिऐ चार जोडी अलग से रखता है | कभी कुछ नही कहता किसी को , पर खुद से सबके  लिऐ सब कर देता है | खुद पढ नही पाया , खुद लिख नही पाया | पर अपने बेटे को सब लिखा - पडा  देता है | स्कूल से आया की नही , कैलाश का काम पूरा किया की नही सब देख लेता है | एक बाप अपने बेटे के लिए सब छोड देता है | प्यारा सा है वो , ये कहकर लाड कर देता है | पापा ना बनू कभी नखरे भी कर लेता है | अपने लिऐ खाने का कुछ भी नही , पर मेरे लिऐ वो  पैकेट उठा लाता है | गरीब है वो फिर भी , अपना घर चला लेता है | बेटा तुम पढो बस ,ये कहकर अपने काम पर चला जाता है | पापा का प्यार कम नही होता , बस पापा काम की वजह से  घर लेट  हो जाता है |  खेत में गया तो खाने का ले आता है ,मेरा बेटा खाऐगा कहकर पूरा बैग भर लेता है | नौकरी जाऐगा बेटा ,फिर भी पापा अपने काम कर लेता है | एक पापा कैसे अपने...

दादी पोता की रोचक काहानिया

  दादी पोता की रोचक काहानिया  दादी का पोता वो माँ माँ कह कर पुकारता है | ना जाने वो कयो इस दादी माँ की गोद में  जा बैठता है | कयो वो दादी का कहा मानता है |  कयो वो दादी का लाडला बन गया , पता नही || कयो वो  दादी की गोद में जा बैठता है | दादी कया खिलाती है जो दादी का लाडला बन गया है | दादी कया  पिलाती है जो दादी की गोद में जा बैठता है |   दादी पोता की बात कभी खत्म ही नही होती कयो वो पोता  दादी को अपने बडे होने की काहानी  सुनाता है | दादी में अच्छा से पढूगा , दादी में बडा अफसर बनूगा | दादी में तुम्हे बाहर घूमाऊगा | दादी भी अपने पोते की लाडली हो गयी है | कयो वो अब बेटे की फिकर कम और पोते की ज्यादा करने लगी है | अब तो ये एक ही लाडला है जिससे में खाने के लिऐ बोलेती है | | कयो पता नही अब पोते को लेकर हर जगह घूमाती है |  शहर से पता नही कयू वो अब पोते का अलग से खाने का ले आती है | कयो वो दादी अब पोते को ही खिलाती है | पोते की हर छोटी छोटी बात बडी ध्यान से सुनती है कभी कभी एक जगह बैठकर बडी बडी कहानियां सुनाती है | कभी कैसे में पढी घर की सारी काहान...

मुझे बस एक ही चहिऐ | अपना हो बस किसी और का ना हो , बस ऐसा चहिऐ |

 मुझे बस एक ही चहिऐ | अपना हो बस किसी और  का ना हो  , बस ऐसा चहिऐ | अपना बस एक चहिऐ | मां जैसा बर्ताव करे , बहन जैसा लाड प्यार , बाप जैसा इंतजार , भाई की जैसा सोच के  , एक चहिऐ , ना किसी की सुने, बस अपना एक साथ चहिऐ | घर को अच्छे से चलाऐ , बस ऐसा एक प्यार चहिऐ | छोटी सी बात पर घर ना छोडे , बस इतना सा एक प्यार चहिऐ | दिन की बात मुझे , पूरी बताऐ , रात को आराम ना लगे तो दिल मेरा भी दुखाए | बस एक ही चहिऐ || शक की बात नही शक तो  100 प्रतिशत भी करे , पर इतबार किसी दूसरे पर ना करे , कहे की बात ना किसी की सुने , सुने समझे और समझ के फिर मुझे समझाऐ , कही प्यार नही हो वहाँ गुस्सा दिखाऐ  पर ना किसी दूसरे का गुस्सा मुझ पर  दिखाऐ , शाम को थोडी सी चाय पिला दे | आराम ना मिले तो मुझे सुला दे | बस मुझे एक चहिऐ , तेरे सिवाय ना कुछ और चहिऐ | घर मे रहे घर की बात ना किसी को ना सुनाऐ , बस तेरे जैसा ही बस एक चहिऐ | बच्चो की मस्ती की काहानी सुनाऐ , घर आकर के बच्चो के संग खेले | Buy Now   कभी गुस्सा तो कभी रूसी कर के दिखाऐ | इतना ना माने तो बच्चो सा मन बनाए ,  बस एक ह...

सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है ✍🏻✍🏻अनिल हटरिया

  सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है | सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है | कभी किराया ना था , तो कभी खुद के कपडे | बडे भाई को घर सभांलते भी देखा है | मेरे ना पढने पर बहन को डाटते  भी देखा है | गांव से चुडियां बेचकर आई मां की कमाई को गिनते भी देखा है | पापा को  खेत में किराये पर काम करते भी देखा इतना कया में कया  बोलू  गरीबी में लोगों ने मजे लेते भी देखा है | मैने अपने को बडे होते देखा है | रिकशा चलाकर घर के छोटे मोटे काम कर के भी देखा है| शाम को खेतो में किताब लेकर भैसो को चराते भी देखा है | अब कया कहू  में सब मैने अपने दम पर करके देखा  है | कभी कोल्हू का बैल बनकर बाप की डाट से हल चला के भी देखा है | गांव मे रह कर, दस- दस रूपये की आमदनी कर के भी देखा है | तुम कया जानो हमे कितना दर्द अपने दिल पे दे के रखा है |  दीये में तेल कम होने से वजह से मैने सुबह जल्दी उठ के पढना सीखा है | कभी पढाई के लिऐ मां बाप के पैसे को बचा के देखा है ||  तो कभी कभी तो बिना किराये के भी बसो में सफर कर के देखा है |  मैने अपने आप बडे होते...