सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दो व्यक्तियों के मेहनत मे फर्क

 दो व्यक्तियों के मेहनत मे फर्क    अनिल और सुनील एक जगह से पढ़े और एक साथ एक   फोल - सेल कंपनी में विक्रेता के पद पर काम करना चालू किया |   वह दोनों ही मेहनती और लग्नी थे | कुछ समय बाद उसके अधिकारी ने अनिल का पद विक्रेता से मैनेजर पर  कर दिया | फिर एक दिन सुनील से रहा नहीं गया और उसने अपने बॉस को शिकायत कर दी कि  आप मेहनती व्यक्ति की तरफ ध्यान नहीं देते और जो ज्यादा मेहनत करते हैं |उसका प्रमोशन नहीं करते इसलिए मैं अपनी इस नौकरी से इस्तीफा दे रहा हूं |    फिर उसने बॉस उसके बॉस ने बोला ठीक है पर एक बात सुनो  इस्तीफा से पहले आप अपने में और सुनील के बीच अंतर तो देखना|      तभी उसका बॉस अनिल को भी वही बुला लेता है और दोनों को एक प्रश्न करता है कि जाओ मार्केट में जाकर तरबूज देखकर आओ कि किस तरह के तरबूज है और क्या भाव है | तभी वह दोनों वहां से चले गए और मार्केट में पहुंचे | तभी सुनील ने जल्दी से रेट और भाव करके जल्दी से अपने बॉस को बता दिए कि तरबूज ₹20 किलोग्राम में मिल रहे हैं | तभी अनिल को भी वहां उसे उसके आने के बाद बुलाया और  बोला साहब हां मैंने दो जगह तरबूज देखे वहां ₹20 किलोग्राम और  15

एक गुस्सेल सांप की काहानी :- घमंड सबको खत्म कर देता है |शांत स्वभाव हर किसी का दिल जीत लेते है ||

 एक गुस्सेल सांप की काहानी :- घमंड सबको  खत्म कर देता है |शांत स्वभाव हर किसी का दिल जीत लेते है ||  एक समय की बात है एक बढ़ई अपनी दुकान को बंद करके अपने घर लौटा   | एक काला जहरीला सांप उसकी दुकान में रात को घुस गया | सांप  बहुत भूखा था और इधर से उधर खाना खाने के लिए भटका और वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहा था तभी गलती से वह तेज धार आरी   के ऊपर फस गया उसकी वजह से उसका शरीर पर चोट आई और इस चोट को वह जेल नहीं पाया तभी सांप ने अपने तेज दातो  से उस तेज धार  को वार करना  चालू किया | For Buy Click Here     इसकी वजह से सांप को जरा ज्यादा खून उसके मुंह से बहने लगा ज्यादा घमंड के कारण उसने उससे बदला लेने की सोची |  तभी उसका मुंह तेजधार आदि के ब्लेड में घुस गया गया | अगले दिन पूरी तरह से कटा हुआ कोबरा मरा हुआ मिला |  इसलिए नहीं कि उसमें गुस्सा था बल्कि बहुत घमंड था और अकड़ कि जब भी कोई गुस्सा हो तो किसी को नुकसान मत पहुंचाओ !  खुशहाल जीवन के लिए कुछ चीजें खानी पड़ेगी और कुछ छोड़नी पड़ेगी और मुझे नहीं है कि हम हर बात का जवाब दें और अपने आपसे पूछे कि क्या यह सही है या गलत और यदि हम अपनी जिंद

बचपन एक जमाना था , पता नही कयू इतना मस्त आना था ||

  बचपन एक जमाना था  ,पता नही कयू इतना मस्त आना था || एक बचपन का जमाना था,  जिस में खुशियों का खजाना था  चाहत चांद को पाने की थी , पर दिल मृत्यु का दीवाना तितली का दिवाना था..  खबर ना थी कुछ सुबह की , ना शाम का ठिकाना था.. थक कर आना स्कूल से , पर खेले भी जाना था..  For Buy Click Here  मां की कहानी थी , परियों को फसाना था..  बारिश में कागज की नाव थी , हर मौसम सुहाना था..  रोने की वजह ना थी , ना हंसने का बहाना था ..  क्यों हो गए हम इतने बड़े,  इससे अच्छा तो वह बचपन का जमाना था..  वह बचपन का जमाना था.. काहानी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे || Buy Now .  यहाँ पर Click करे और पढे ढेर सारी कहानियां ✍🏻 ✍🏻✍🏻✍🏻अनिल हटरिया .. .

बहन के (घर) ससुराल मे उसका भाई |

  बहन के (घर) ससुराल मे उसका भाई |    भाई -भाई कहकर वो बहन कहती है | ना ना करके सब -कुछ सहती है |  भाई मै तो अब भी  ठीक रहती हूँ |       जब जब मेरा भाई घर आता है | खुशियो से मेरा दिल भर जाता है | भाई ये  मेरा घर है ये मेरा परिवार है|     भाई के  खाने मे कोई कमी ना रह जाऐ | ये मेरा दिल बार बार कहता है |    भाई को अपना मकान दिखाऊगी | भाई को अपनी कामयाबी दिखाऊगी | भाई तू कभी घर तो आ मे तुझे पनीर. - सब्जी खिलाऊगी |       भाई तूझे ना मै जाने दूंगी  |  एक ससुराल मे भाई आ गया तो सारा संसार आ गया | मानो, के मेरे परदे का सब दुख चला गया |  मै खुश हूँ तू ,पर बार-  बार दो -चार महीने मे आ जाया कर  | कयोकि में तो आ नही सकती क्यूकि तेरे  जीजा के भी यहां काम बहुत है | कभी कही जाना कभी कही | पर तू जब भी पास से तू जाये दो -चार मिनट तो आ जाया कर || For Buy Click Here .       तेरे आने से संसार खिल उठता है | जहां मुझे कभी कभी खुश ना लगता तो मेरा दिल थोडा सा बहला जाता है |       भाई जब तू घर आ रहा होता है तो ऐसे लगता है कि सब कुछ भाई, बहन के ससुराल लेकर  आ रहा होता है |  वो मां - बाप का गुस्सा , वो दोनो भाई

असली नकली की पहचान करने का गजब ऊप्चार./ सच्चा आदमी हमेशा साथ देता है झूठा हमेशा विशवास तोडता है |

  असली नकली की पहचान करने का गजब ऊप्चार.  असली नकली की पहचान करने का गजब ऊप्चार./ सच्चा आदमी हमेशा साथ देता है झूठा हमेशा विशवास तोडता है |       🎖एक लड़का अपने परिवार के साथ रहता था  | उसके पिता जोहरी थे | एक दिन उसके पिता बीमार पड़ गए धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ती गई और अंत में उनका निधन हो गया | पिता के निधन के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया |     ⭕ ऐसे में मानौ  घर पर चलाने के लिए बेटे को अपना एक कीमती हार दिया और कहा कि इसे अपने चाचा की दुकान पर दिखा देना वे भी एक  जौहरी है इसे बेचकर जो पैसे मिलेंगे वह ले आना |      लड़के ने अपने चाचा को जब यह हार दिखाया तो चाचा ने हार को अच्छे से देखा और कहा कि अभी बाजार बहुत मंदा है | इसे थोड़ा सा रुक कर भेजना तो अच्छे दाम मिल जाएंगे फिलहाल तो तुम मुझे दुकान पर नौकरी कर लो | वैसे भी तुम एक भरोसेमंद लड़की की जरूरत है | लड़का अगले दिन से दुकान का काम सीखने लगा | वहां उसे हीरो वे रत्नों की परख का काम सिखाया गया |    ✍🏻    अब उस लड़के के घर में आरती समस्या नहीं रही धीरे-धीरे रत्नों की परख में उसका यस दूर-दूर के शहरों पर फैलने लगा दूर-दूर से लोग उसक

गरीबों और अमीरो के बीच नफरत (फासला) जैसे हो वैसे ही रहो

गरीबों और अमीरो के बीच नफरत (फासला) जैसे हो वैसे ही रहो     एक दिन एक धनी पिता अपने बेटे को गांव में यात्रा करवाने के लिए ले गया और इस उद्देश्य से कि गांव में कितने गरीब लोग रहते हैं उन्होंने 1 दिन और रात एक गरीब किसान के घर बताया और वह जब इस यात्रा से वापस लौट रहे थे तो उसके पापा ने उससे पूछा कैसी रही यह यात्रा बहुत मस्त पापा उसके बेटे ने उत्तर दिया क्या तुमने देखा यहां कितने गरीब लोग रहते हैं उसके पापा ने पूछा या यहां उसके बेटे ने हां किया और तुमने क्या सीखा उसके पापा ने पूछा |         तभी उसके बेटे ने उत्तर दिया कि मैंने देखा कि हमारे पास एक कुत्ता है और उसके पास चार और हमारे पास एक तालाब है जो कि एक बगीचे के पास है और उनके  पास बहुत है हमने अपने बगीचे में लाइट लगा रखी है और उन्होंने अपने बगीचे में बहुत सारे तारे और हमारा पैसे सामने में लगा हुआ है और उनका हर जगह पर जब उसके बेटे ने पूरा किया |      तब उसके पापा एकदम चुप चाप हो गए और इसी बात पर उसके बेटे ने कहा धन्यवाद पापा आपकी औकात हमें दिखाने के लिए कि हम कितने गरीब हैं और यही सच है कि खुशियां उसी से हटती है जो हम देखते हैं यदि हम

अखबार वाले की काहानी (सोच बदलो और अपने आप पर कन्टृोल रखे )|

  अखबार वाले की काहानी (सोच बदलो और अपने आप पर कन्टृोल रखे   एक बार की बात है एक गरीब अखबार बेचने भेजने वाला हमारी गली से आया करता था | वह हर रोज सभी को अखबार देकर जाता  था |     उसी गली में एक खड़ूस आदमी  रहता था | और अखबार वाला रोज अखबार को धीरे से उसके घर घर पर रख देता था | फिर वहाँ उसको बदले मे पैसे  फैकं कर वापस कर देता था |      तभी एक दिन उसके साथी ने उससे पूछा तुम रोज इनको अखबार अच्छे से देख कर आते हो और वह तुझे रोज पैसे फेंक कर देता है |  तुम क्यों नहीं कह देते तब उसने बोला मैं तो हमेशा इसको सर कह कर बोलता हूं और इज्जत के साथ पेपर देता हूं पर हम क्या बोले कुछ लोग देश होते ही ऐसे हैं मैं अपने आप को शांत रखता हूं तो फिर तुम उनको अखबार फेंककर  क्यों नहीं बदला ले लेते |     तब उस अखबार वाले ने उस भैया को बोला कि मैं उसकी गलत व्यवहार से  क्यों अब अपना व्यवहार बदलू वह तो है ही घटिया किस्म का और अपना व्यवस्था | Buy Now    इसलिए रिमोट की तरह मत बनाओ मुझे अपने आप पर कंट्रोल है तो बात यह है कि अपने व्यवहार को अपनी अपनी तरह ही रखी ना किसी के रूखापन कीजिए  |   प्यार प्रेम से  मित्र करें