गरीबों और अमीरो के बीच नफरत (फासला) जैसे हो वैसे ही रहो
एक दिन एक धनी पिता अपने बेटे को गांव में यात्रा करवाने के लिए ले गया और इस उद्देश्य से कि गांव में कितने गरीब लोग रहते हैं उन्होंने 1 दिन और रात एक गरीब किसान के घर बताया और वह जब इस यात्रा से वापस लौट रहे थे तो उसके पापा ने उससे पूछा कैसी रही यह यात्रा बहुत मस्त पापा उसके बेटे ने उत्तर दिया क्या तुमने देखा यहां कितने गरीब लोग रहते हैं उसके पापा ने पूछा या यहां उसके बेटे ने हां किया और तुमने क्या सीखा उसके पापा ने पूछा |
तभी उसके बेटे ने उत्तर दिया कि मैंने देखा कि हमारे पास एक कुत्ता है और उसके पास चार और हमारे पास एक तालाब है जो कि एक बगीचे के पास है और उनके पास बहुत है हमने अपने बगीचे में लाइट लगा रखी है और उन्होंने अपने बगीचे में बहुत सारे तारे और हमारा पैसे सामने में लगा हुआ है और उनका हर जगह पर जब उसके बेटे ने पूरा किया |
तब उसके पापा एकदम चुप चाप हो गए और इसी बात पर उसके बेटे ने कहा धन्यवाद पापा आपकी औकात हमें दिखाने के लिए कि हम कितने गरीब हैं और यही सच है कि खुशियां उसी से हटती है जो हम देखते हैं यदि हम अपना प्यार अपने दोस्तों स्वास्थ और अच्छे विचारों की तरफ करेंगे तो हमने सभी मिल जाएगा और यही हम जैसों से नहीं खरीद सकते और यहीं से हम अंतर नहीं करना चाहिए हमें अपनी सभाओं का आदर करना हमारी आर्थिक स्थिति पर नहीं यही मानो रिश्ते की मान्यता सिखाई |
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इसी के कारण हमें अपने आप को विनम्र रखें और अच्छे विचारों के साथ बंधे रहे| अपने आप को ज्यादा बडा मत दिखाओ | आप. जैसे हो वैसे ही रहो |
जय हिन्द ||
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