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बेटे की सोच जो अक्लमंद अपनी मां से नफरत करता है|

बेटे  की सोच जो अक्लमंद अपनी मां से नफरत करता है|

 आंखो मे आँसू ला देगी यदि दिल से पढोगे !!!!
 हैलौ ,
आज की काहानी एक घटित काहानी के आधार पर है |एक परिवार मे एक महिला अपने पति के साथ रहती थी |
शादी के कुछ ही दिन हुऐ थे |उनका पति चल बसे किसी अपिरय घटना के कारण !!!
   अब उस महिला के दिन बडे दुखी दुखी अपना समय निकालने लगी | ये काहानी आसटॗेलिया के एक परिवार की काहानी है |
    महिला बडी दुखी दुखी अपना समय निकालती थी |
अब उसके पेट मे बच्चा भी था | बडी मुशिकल से काम करती थी |
   कुछ महिनो बाद एक बच्चा हुआ अति सुन्दर |

  महिला बहुत खुश हुई | बचचा बडा हुआ खेलने -कुदने लगा |
   फिर कया हुआ कि वो अपने लडके को अपने घर सुलाकर घर से बाहर सामान लाने गई |
  पर अचानक उसने देखा कि घर मे दबाकर आग लग गई |
ओर कुछ ही मिनटो मे इतनी भयकंर हो गई |कि कुछ ही मिनटो मे जलकर राख हो रही थी |
   ऐसे मे वो दौडती नजर आई |
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    वहा के कुछ वयकितयो ने अंदर जाने से रोका |
मत जाओ आप जल जाओ गे |
   पर हर मा का पयार कौन जाने |
कयोकि उसी को पता था कि मेरा बेटा सो रहा है |
वह भागकर कमरे मे गई |
   कमरे मे जाने से पहले आग उसके बालो मे आग  लग गई |
 उसके शरीर पर  आग लग गई |पर वो अपने बेटे को ढक कर बाहर ले आई |
  अब उसकी मां लाख लाख शुक्र किया की मेरा बेटा जिंदा है |  ऐसे ही समय बीतता गया |
  उसके चेहरे वाले धब्बे इतने बददे लगने लगे की हर कोई उससे पास बैठना तो छोडो बात करना पंसद तक नही करते थे|

  ऐसे ही उसका बेटा ऐसा हो गया |
 वो अपनी  मां से घृणा करता रहता था कि कितनी शकल भददी है|
  कुछ दिन. बाद उसकी मां बीमार हो ग ई |अब उसका बेटा उसके पास तक ना आया|
  वो इतनी नफरत करने लगा कि मानो उसका कोई भयंकर दुशमन हो|
   कुछ दिनो बाद वो महिला चल बसी |
  अत: वो लडका बहुत खुश हुआ | अब खुशी से घर मे रहने की सोचा |
  तब उसने मां के जितने भी कागज थे | उस कमरे मे घुसा |
  वहा उसने एक डायरी देखी |
  जहा पर उसकी मा हर पल की सुख दुख लिखती थी|
अब उसने डायरी को पढना शुरू किया|
 वहा पर लिखा था कि 05अप्रेल 1987 को मेरी शादी हुई |
  1988 मे मेरा सुन्दर लडका  व पयारा सा लडका हुआ |
 1990 मे घर में भयंकर आग लगी|
वहाँ पर अपने सोये हुऐ बेटे को बचाने के लिये अपना शरीर जला लिया| मेरा चेहरा ,बाल आधा जल गया | पर मे अपने बेटे को बचाने की खुशी ने  इस गम को भुला दिया|
  उस समय शकल बहुत गंदी हो गई |इन आग की लफटो से,
  जैसे ही उसने देखा कि बेटे को बचाने के लिए शरीर जल गया | वो लडका फूट फूट कर रोने लगा||
 कि मां मै क्या सोचता था आपके बारे मे!!

 ना ना ना मां कया गलती हो गई मुझसे शोरी मां ,शोरी मां
 मे ये गम कभी नही भूल सकता |

  अत: अब कया करे जब मां ही नही तो अब सेवा किस की !!
  निसकरस:
   निसकरस यही है कि जैसे भी मां -बाप है -काले ,भददे ,गोरे वो भगवान का रूप है |
  अंत सेवा किजिऐ जितनी हो सके ,आज या कल का दिन कौन जाने??

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  मां - बाप कभी भला -बुरा नही करते है वेो जो करते है अपने बेटा -बेटी के लिये करते हे| 


  अत: इस काहानी को इतना शेयर कर दो कि और कोई बेटा ऐसा ना सोच सके !!!!

धन्यवाद!!

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______✍✍✍  अनिल हटरिया ______,,



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