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जीवन एक पहिये के चककर की तरह है|

जीवन एक पहिये के चककर की तरह है|

नमस्कार दोस्तो ,
   आज की  इस काहानी मे ,में आपको बताऊगा  कि जिंदगी
कया है और कैसे हम जन्म से मरण तक है |
  कया बताऊ ,पता तो सबको है पर समझते कोई ना |
कया होता कि जब जन्म होता है तो हम धरती पे आते है|


  ओर एक साल बाद हम किसी के सहारे चलते है |
फिर कुछ समय गुजरता है |तो उसके बाद  खुद से चल पडते है |
  गिरते ,उठते हुऐ|
 फिर हम 4 साल की उम्र तक आते है तो पेशाब भी पेन्ट मे कर देते है|


  कुछ समय बाद ओर हम फिर बडे होते जाते है |
 अब, हम आते -आते 7साल तक आते है |बैग लादकर स्कूल  जाते है |


  एक रास्ते रास्ते ओर रास्ते भूलना ,घर भूलना |
   अब धीरे -धीरे उम्र बढती जाती है ओर गुजरती जाती है |
अब उम्र आ जाती है| 14 साल की जब हमे दोस्त बनाते बनाते  हम 18साल मे पार कर जाते है|


अब उम्र आ जाती है भारतीय नियम को पालन करने का कयोकि उससे पहले कोई कुछ बिगाड नही सकते थे|
  अब समय आ जाता है|
 सब कुछ अपने नाम करने का |
   इस 18साल की उम्र मे गाडी का लाईसेंस मिल जाता है|


वोट डालने का अधिकार ,ओर भारतीय दणडता नियम को पालन करने का|
 अब उम्र बढती जाती है|
 22-23 साल तक यूनिवर्सिटी से डिग्री परापत करते है |


  उम्र बढती जाती है| अब खोज लग जाता है नौकरी पाने के लिऐ 25 साल तक सफलता हासिल होती है |
 अब पैसा कमाना शुरू हो जाता है|


 पैसा कमाना ,ओर आगे बढते  -बढते  समय आ जाता है |
परिवार के साथ रहने का|
25-28 उम्र तक शादी हो जाती है| अब वंश बढता जाता है |



35 साल की उम्र तक सफलता मिल जाती है |


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  पैसा कमाने की,


  महज  45 साल की उम्र में याद आता है| कि मै तो अभी जवान हूँ अब उल्टी  गिनती शुरू होती है|


  50 साल की उम्र में वो सफलता हासिल होती है कि अपने बच्चो को अच्छी पढाई करवा दी मैने |

  55 साल की उम्र मे लगता है कि मै डयूटी कर पाऊगा या नही |

  60 साल तक लाईसेंस खत्म गाडी ओर घडी चलाने का |
 70 साल की उम्र तक वो सफलता की हम किसी के उपर
बोझ नही |

  फिर 75 साल में अपने दोस्तो से मिलना |




80-81 साल वो फिर अकेले किसी रास्ते से वापिस आ पाना |

  86  साल फिर पैशाब पेन्ट मे,

  कोई किसी का जोर नही |
90 की उम्र में फिर डंडे के सहारे (किसी के सपोर्ट से)चलना |

  95 -100 तक फिर बिस्तर पर!


यही है जीवन चक्र ?!!!!!!
जीवन एक चक्र की तरह है |


  अत: निसकरस -
     जीवन एक साईकिल के पहिये की तरह है  जैसे हम पैदा हुऐ थे वैसे वापिस बैड पर आकर चले जाना |

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धन्यवाद |




_____✍✍✍ अनिल हटरिया _______



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