मां-बाप के संस्कार
कहते हैं ना, की मां है तो मन्नत है|
और बाप है तो जन्नत है |
बाप मां से ना बड़ा कोई है |
यही तो है मेरे वास्ता|
मां बच्चे को प्यार देती है पिता बच्चे को गुस्सा
यही तो दोनों का है एक अच्छा सा रिश्ता |
मां ने घुमाया ,बाप ने झुलाया|
फिर भी मैं तेरी शरण से भाग आया |
इसलिए कहते हैं ना कि मां ने जो सिखा है उसे मैं
कभी ना भूल पाया |
बाप ने जो समझाए उससे अलग मैं कभी ना पाया |
मां तेरा दुख कैसे भुल जाऊ |
पापा आपका दर्द कैसे झेल पाऊ |
करते थे गुस्सा फिर भी जब मे सुख से ना रह पाऊ |||
बस यही पापा के डर से मे कामयाब हो पाया |
याद रखना मां आपके लिऐ तकिया थी और पापा वो चद्दर |
इसलिये मां बाप को हमेशा बुढापे मे खुश रखो | जैसे वो आपको खुश रखते थे अब आप की बारी है |
✍🏻 सब कुछ है जब तक मां-बाप के संस्कार हैं |
अतः इन्हीं संस्कारों के माध्यम से मैं सभी को यह संदेश देता हूं कि मां-बाप और संस्कार चल जाएगा जहां आपकी डिग्री ना चलती हो|
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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ....
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