वौ फौजी की बहन
वौ फौजी की बहन की राखी
मेरे खातर जो ल्याई थी राखी
वा थाली में ए धरी रहगी
हर साल की डाल ईस साल भी
मेरी कलाई सुनी ऐ रहगी ...
सोचा था कै सबेरे सबेरे करके फौन
देके बहाना Gift का उसने मना ल्यूगां
जो करे थे झूठे वादे छुट्टी आण कै
वो हांस बतला कै छुपा ल्यूंगा
पर उसने रोती न देख मेरी
सारी कोशिश बेकार होगी ...
चहरे तै तो मैं हसदा रहया पर
भीतर तै आंख लाल होगी ..
ईबके भी मेरी प्यारी बेबे
अपने कर्मां न दोष देके रहगी
मेरे खातर जो ल्याई थी राखी
वा थाली में ए धरी रहगी ...
रर हर साल की डाल ईस साल भी
ईस फौजी की कलाई सुनी ऐ रहगी ...
फौजी की बहन अबकी बार भी अकेली ही रहेगी |
भाई भाई करके को अपने आप ही रहेगी |
नयू सोचयी थी भाई के अब की बार चार चार राखी बाधूंगी |
पर बेचारी की सारी थाली मे रहगी ||
मां बाबू तक कहा करती थी |
अबकी बार भाई फौजी आवयगा घर |
पर नयु ना बेरा था कि छूटटी की कागजी Co
तक ही रहगी |
भाई , सोचया था जाऊगा घर पर अब की बार
पर यौ के बेरा था कि अबकी बार भी नयू ही अकेली ही रहेगगी,
.....
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