पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे |
पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |
पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे |
पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |
अपने बनकर दूसरो के साथ चले जाऐगे |
साथ साथ दिखावा करके पीछे से वार कर जाऐगे |
पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे |
गेरो के साथ रहकर अपने के साथ रहने के ढोंग दिखाऐगे |
लोगो मे खिल्ली उडाकर फिर से बस जाऐगे |
अपने नही वो जो औरो के साथ रह जाऐगे |
पता नही था कि लोग इतने भी बदल जाऐगे ||
मन में भेर ,दिल मे अकड ,तन मे गर्मी
ये वसूल बन के रह जाऐगे |
पता नही था कि लोग इतने बदल जाऐगे |
थके नही पर वो हमे थकाऐगे |
अपनी अकड मे रहकर अपनो से ही रूठ जाऐगे |
किस्मत जिद्दी है मेरी भी इतना कया है कि सूखे पेड है जो कि कल मुरझा जाऐगे ||
पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |
पता नही था कि वो दिन भी आऐगे |
मर्जी मेरी ,जिद्दी भी मेरी ,
तू कया तुम्हारी वर्दी भी मेरी ,
अपनी जिददी भी मेरी ,अपनी आदत भी मेरी ,
ये कहकर लोग इतने बदल जाऐगे ||
पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |
पता नही था की वो दिन भी आ जाऐगे ||
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