याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है ,मेरी जान माय लव ❣️
याद आ जाती है तेरी भी,
बेरूखी सी मुस्करा जाती है |
याद आती है तेरी भी ,
कभी खाने के वकत रो पडता हू,
तो कभी सोने के वकत रो पडता हू,
बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है ,
कभी आंख बंद करता हूँ ,तो
कभी कमरे की रोशनी बुझा देता हूँ,
पर फिर भी नींद नही आती है ,
मुझे तेरी ये बेरूखी सी याद आ जाती है ,
जब याद तेरी आती है |
कहता हूँ संभाल लूंगा ,
कहता हूँ संभाल लूंगा ,
दिल को ,
इतने मे आंख कहाँ सह पाती है |
सैंकड हिसाब नीर बहा लाती है |
मुझे तेरी वो बेरूखी सी मुस्काराहट याद आ जाती है
जब याद तेरी आती हे |
सुबह उठता हूँ तो मुहं धो लेता हूँ ,
उसके बाद बनाई हुई याद की चाय पी लेता हूँ |
पर जब बिस्तर पर जाता हूँ तो खाली हाथ ही अपना कप ले बैठता हूँ |
कहता हूँ कुछ नही, फिर एक. " आह " 'भर कर बैड को पीटता हूँ |
अपने सोचे हुऐ सपने एक पल कवर कर लेता हूँ |
फिर भी तेरी बेरूखी सी मुस्कान को सह लेता हूँ ,
जब याद आती है तेरी अपने आप अकेले ही रो लेता हूँ |
करीब बनकर दूर तुम जा रही हो
पास आकर भी मुझे अवारा बना रही हो |
हूँ किस्मत में तुम्हे मै गुसे्ल लगा हूँ ना,
पर फिर भी यादों मे दिल जला देती हो |
जब याद आती है तो बेरूखी सी मुस्कान का नजारा दिल मै भर लेता हूँ ,
जब याद आती है किस्मत की घड़ियाँ तो एक बार तुझे अपनी बाहो मे भर लेता हूँ |
याद आती है तेरी तो ,आंखो को लाल कर लेता हूँ |
याद आती है जान तेरी तो सब धोखे भी भुल जाता हूँ |
सुबक सुबक कर सब सह लेता हूँ |
जब याद तेरी आती है तो जी भर के रो लेता हूँ |
किस्मत मे नही ये सब कह के दिल को,सो लेता हूँ |
दीया जला देता हूँ तेरी याद का
तब बेरूखी सी मुस्करा जाती हो,
जब याद आ जाती है तेरी ,
तब बेरूखी सी मुस्करा जाती हो,
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घर घर की काहानी ,मां तेरी याद आती है |
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