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वो आखरी बात थी | वो आखरी मुलाकात थी |

 वो आखरी बात थी |

वो आखरी मुलाकात थी |

आखरी मुलाकात


वो जीवन की एक नई शुरूआत थी |

काहानी हुई थी एक मुलाकात से ,

जन्म से मरण तक का किया  था वो वादा |

पता नी किस मोड पर वो मेरी आस थी |

वो मेरी आखरी बात थी |

वो ही मेरी आखरी मुलाकात थी ,

टूटे थे एक ही बार इस प्यार की जिंदगी में ,

फिर भी एक बहुत बडी आस थी |

फिर भी बहुत बडी आस थी |

किस्मत बडी लिखी थी भगवान ने ,

कर्मो की बडी देन थी |

जिंदगी जीने का तरीका दे दिया था |

मरने से पहले अपने लोगो ने 

ही अवारा देख लिया था |

अब उन्होने कया बोले जब

अपने आप ही मन में जहर घोल लिया था |

याद थी मुझे सब बाते ,

याद थी मुझे सब वो राते ,

याद थी मुझे सब वो  अपने अगले सारे  सपने ,

पर अब वो बात ही अलग थी ,

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वो आखरी बात थी ,

वो ही आखरी मुलाकात थी |

भूले हुऐ वादो के लोगो से दोस्ती नही ,

बार बार समझाने वालो से 

अच्छा तो समझ के अलग ही सही ||

पर अब वो बात ही अलग थी |

उस समय की बात ही अलग थी |

धोखा ना दिया मेंने ,

बस वो तेरी ही एक आदत थी |

 सच्चे आदमी  को झुठा बनाकर दिन को 

तूने रात बना दिया था  |

अब चल छोड वो आखरी 

बात थी |

वो आखरी मुलाकात थी |

मुझे नही चहिऐ गैरो से दोस्ती ,

अपनो से झूठे वादे |

गलत लोगो के साथ लेकर 

किये हुऐ इरादे |

वो आखरी बात थी |  वो आखरी मुलाकात थी |


चल जा छोड बस अब वो ,

पुरानी बाते ,,

साथ बहुत दिया मेंने ,

तेरे को ,

पर तेरे को मेरे से मोहबबत ही नही थी ,

चल जा अब मुझे भी 

इजजात ही नही ,

कितना साफ- साफ बनू 

कितना खुल के जीऊ ,

तुझे में बैकार ही लगा था ,

कितना बैठकर समझाऊ ,

तुझमे , में अवारा ही लगा |

चल जा मेरे मरने का  

इंतजार कर ,

मोहबबत औरो से करले ,

अब 

इतबार मत कर |

चल जा छोड, बस वो 

आखरी बात थी 

चल जा 

अब वो आखरी मुलाकात थी |



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✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया

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