किस किस को समझाऊ , जिसको समझ नही आता उसे मे कयू मनाऊ , किस किस को बताऊ , जिससे दिल नही लगता उसको ये दिल की बात कयो समझाऊ ,
किस किस को समझाऊ ,
जिसको समझ नही आता उसे मे कयू मनाऊ ,
किस किस को बताऊ ,
जिससे दिल नही लगता उसको ये दिल की बात कयो समझाऊ ,
में जिंदगी जी रहा हू ,
अच्छी सी ,
हर बार तुझे कयो बताऊ ,
में हंस रहा हू या रो रहा हूँ |
हर बात तुझे में कयो बताऊ ,
अब समझ नही आता ,
किसको कितना समझाऊ ,
किससे कितना दिल लगाऊ ,
किस किस को समझाऊ ,
जिसको समझ नही आता उसे मे कयू मनाऊ ,
सारी जिंदगी जी करके देखी है अकेले ही ,
अब तुझे में अपनी जिंदगी मै कयो लाऊ ,
मैने देखा है बडे गौर से ,
इसी प्यार की कडी को ,
जहाँ तुझे हाथ पकडना था मेरा ,
वहाँ में तेरे पैरो मे कयो पडू |
अब समझ नही आता ,
किसको कितना समझाऊ ,
किससे कितना दिल लगाऊ ,
किस किस को मनाऊ ,
हर बात हर कोई को कयो बताऊ ,
जिससे समझ नही आता ,
उससे में बार बार कयो समझाऊ |
आदत खराब है मेरी ,
नियत साफ है तेरी ,
ये बात में अपने दिल को कयो सुनाऊ ||
समझ आता है मुझे ,
जिंदगी के हर एक पडाव को ,झेलना ,,
तेरे जेसै मैने देखे है बहुत सारे लोग
जो गैरो की बाहो मे पडते फिरते दिखे है
एक हजार बार |
जब वो समझा के चले जाते है |
तब पडते देखे है मैने,
उनको अपने आप ,
गलियो की हवाओ ने सोचा था ,
ये ही मेरे गली के है सभी मेहमान ,
गांव के सभी लोग मजे लेते है,
उनसे बुलाकर उनको अपने पास ,
अब उसे अपना कयो बनाऊ ,
जब होते देखा है ,
मैने गैरो के साथ उनका फेर ,
अब उसे अपना कयो बनाऊ|||
जब घाव देखे है मैने अपने उपर बहुत बार ,
अब ये घाव तुझे बता कर ही ,
कयो भरवाऊ |
अब दिल में सुकुन है या दर्द ,
वो बात तुझे कयो बताऊ |
जी कर देखी है जिंदगी मैने अपने आप ही ,
तुझे अपनी ये बात फिर से कयो बताऊ |
किस किस को समझाऊ ,
जिसको समझ नही आता उसे मे कयू मनाऊ ,
किस किस को बताऊ ,
जिससे दिल नही लगता उसको ये दिल की बात कयो समझाऊ ,
...
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