जा जा तुझे जहाँ गिरना है | जा जा तुझे जहाँ मरना है || तू मर जितना मर सकता है | अफवाह नही चहिऐ , सच में रो तू जितना रो सकता है |
तू गिर जितना गिर सकता है ,
गिरना तो है ही तुझे ,
तू मर जितना मर सकता है |
अफवाह नही चहिऐ ,
सच में रो तू जितना रो सकता है |
आदते सच नही है तभी तो ,
तुम सच को झुठ बना सकता है |
जा जा अब गिर जा ,
मरो या जाऔ ,
बस आंखो से दूर जाऔ ना ,
मत दिख मुझे ,
जो कर सकता कर के देख ले ,
उममीद नही है तो सब कर के देख ले ,
जिंदगी को थोडा आगे और थोडा पीछे
पड के देख ले ||
गिर जा जहाँ गिरना वहाँ गिर
मरना है तुझे मर ,
मुझे कोई उम्मीद नही ,
दिन में रात ,और रातो को दिन करके देखा है ||
अब तु जा यहाँ से ,
आया था मेरे पास तारे दिखाने के लिये|
खुद को जीना नही पर दिखाता है
जीने की काहानी ,
बस बंद कर दे ये मतलब की काहानी ,
कयोकि ये खुल्ले रास्ते को बंद करते देखा है मैने ||
अब बस ये ही कहूंगा ,
तू जा जहाँ ,
है तुझे जाना ,,
तू गिर ना तुझे गिरना है वहाँ |
मत फिर आगे और पीछे ,
जाल डालने की कोशिश कर ले ना दोबारा ,
शरीफ बंदो की उम्मीद पर पानी फेरने का जाला सज ले ना ,
अब रो कयो रहा है ,
गिर ना मेरे पैरो में ,
उम्मीद नही तो टिका दे घूटने ,फिर उम्मीद
की लडी तो लगा दे ने ,तुम ||
आश नी तो एक बार फिर से
रो के दिखा दे ना ||
सोचा था बहुत बडा अपने को ,
अब आ ना मेरे टांगो की नीचे ,
तुझे कर के दिखा दू दुनिया की ये उम्मीद ||
जा जा तुझे जहाँ गिरना है |
जा जा तुझे जहाँ मरना है ||
तू मर जितना मर सकता है |
अफवाह नही चहिऐ ,
सच में रो तू जितना रो सकता है |
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