दादी पोता की रोचक काहानिया दादी का पोता वो माँ माँ कह कर पुकारता है | ना जाने वो कयो इस दादी माँ की गोद में जा बैठता है | कयो वो दादी का कहा मानता है | कयो वो दादी का लाडला बन गया , पता नही || कयो वो दादी की गोद में जा बैठता है | दादी कया खिलाती है जो दादी का लाडला बन गया है | दादी कया पिलाती है जो दादी की गोद में जा बैठता है | दादी पोता की बात कभी खत्म ही नही होती कयो वो पोता दादी को अपने बडे होने की काहानी सुनाता है | दादी में अच्छा से पढूगा , दादी में बडा अफसर बनूगा | दादी में तुम्हे बाहर घूमाऊगा | दादी भी अपने पोते की लाडली हो गयी है | कयो वो अब बेटे की फिकर कम और पोते की ज्यादा करने लगी है | अब तो ये एक ही लाडला है जिससे में खाने के लिऐ बोलेती है | | कयो पता नही अब पोते को लेकर हर जगह घूमाती है | शहर से पता नही कयू वो अब पोते का अलग से खाने का ले आती है | कयो वो दादी अब पोते को ही खिलाती है | पोते की हर छोटी छोटी बात बडी ध्यान से सुनती है कभी कभी एक जगह बैठकर बडी बडी कहानियां सुनाती है | कभी कैसे में पढी घर की सारी काहानियां बताती है | कैसे अपना घर बनाया ,कैसे घर को म
मुझे बस एक ही चहिऐ | अपना हो बस किसी और का ना हो , बस ऐसा चहिऐ | अपना बस एक चहिऐ | मां जैसा बर्ताव करे , बहन जैसा लाड प्यार , बाप जैसा इंतजार , भाई की जैसा सोच के , एक चहिऐ , ना किसी की सुने, बस अपना एक साथ चहिऐ | घर को अच्छे से चलाऐ , बस ऐसा एक प्यार चहिऐ | छोटी सी बात पर घर ना छोडे , बस इतना सा एक प्यार चहिऐ | दिन की बात मुझे , पूरी बताऐ , रात को आराम ना लगे तो दिल मेरा भी दुखाए | बस एक ही चहिऐ || शक की बात नही शक तो 100 प्रतिशत भी करे , पर इतबार किसी दूसरे पर ना करे , कहे की बात ना किसी की सुने , सुने समझे और समझ के फिर मुझे समझाऐ , कही प्यार नही हो वहाँ गुस्सा दिखाऐ पर ना किसी दूसरे का गुस्सा मुझ पर दिखाऐ , शाम को थोडी सी चाय पिला दे | आराम ना मिले तो मुझे सुला दे | बस मुझे एक चहिऐ , तेरे सिवाय ना कुछ और चहिऐ | घर मे रहे घर की बात ना किसी को ना सुनाऐ , बस तेरे जैसा ही बस एक चहिऐ | बच्चो की मस्ती की काहानी सुनाऐ , घर आकर के बच्चो के संग खेले | Buy Now कभी गुस्सा तो कभी रूसी कर के दिखाऐ | इतना ना माने तो बच्चो सा मन बनाए , बस एक ही चहिऐ, वो बस दिल का अच्छा चहिऐ ! समझने