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एक आम के पेड की काहानी उसके साथ मां बाप का श्रेय

  एक आम के पेड की काहानी  उसके साथ मां बाप का श्रेय आज की इस काहानी को पढ के आप जरूर रो पडोगे और यदि कुछ समझ आऐ तो शेयर करे | यह काहानी एक कनेकशन ,रिलेशनशिप व भावनाओ से भरा है |          एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता। उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया। बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया। कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया। आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता। एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा, "तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।" बच्चे ने आम के पेड से कहा, "अब मेरी खेलने की उम्र नही है ! मुझे पढना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।" पेड ने कहा, "तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे, इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।" उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया
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याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है ,मेरी जान माय लव ❣️

  याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है , कभी आंख बंद करता हूँ ,तो  कभी कमरे की रोशनी बुझा देता हूँ,  पर फिर भी नींद नही आती है , मुझे तेरी ये बेरूखी सी याद आ  जाती है , जब याद तेरी आती है | कहता हूँ संभाल लूंगा , कहता हूँ संभाल लूंगा , दिल को , इतने मे आंख कहाँ सह पाती है | सैंकड हिसाब नीर बहा लाती है | Buy Now Click Here   मुझे तेरी वो बेरूखी सी मुस्काराहट याद आ जाती है  जब याद तेरी आती हे | सुबह उठता हूँ तो मुहं धो लेता हूँ , उसके बाद बनाई हुई याद की चाय पी लेता हूँ  | पर जब बिस्तर पर जाता हूँ तो खाली हाथ ही अपना कप ले  बैठता हूँ | कहता हूँ कुछ नही,  फिर एक. " आह " 'भर कर बैड को पीटता हूँ | अपने सोचे हुऐ सपने एक पल कवर कर लेता हूँ | फिर भी तेरी बेरूखी सी मुस्कान को सह लेता हूँ , जब याद आती है तेरी अपने आप अकेले ही रो लेता हूँ | करीब बनकर दूर तुम जा रही हो  पास आकर भी मुझे अवारा बना रही हो | हूँ किस्मत में तुम्हे मै गुसे्ल लगा हूँ ना,

उठ मेरे बुलबुल राजा , तू लोट के आजा | दिल नही लगता बेटे जल्दी सी तुम घर आजा ,

 उठ मेरे बुलबुल  राजा , तू लोट के आजा  Buy Now 🤙 | दिल नही लगता बेटे  जल्दी सी तुम घर आजा , मेरे बुलबुल राजा , मुझे समझाजा , मन नही लगता  कभी पापा के साथ आजा,  खेलेगे मिटटी मे , चल अपना टरेकटर लेके आजा , खाऐगे मस्ती से , मेरे साथ मे आजा , गाडी मे घूममेगे , चककर लाऐगे , चश्मा पहनके शहर जाऐगे, उठ मेरे बुलबुल  राजा , थोडा हंस के दिखा के  अपने छोटे - छोटे दांत दिखा जा , याद आता है तेरा गुस्सा , मुझे अपना थोडा ठूस्सा दिखा जा | नन्हे नन्हे पांव से  मुझे उछल के दिखा जा | अपना डांस करके घर में दिखा जा , पहनाऊगा पगडी , दादा को दिखा जा , उठ मेरे बुलबुल , मेरी  बाहौ मे आजा , तेरा रूसवा मुझे दिखा जा, लाऊगा चाकलेट , फिर मुझे हंस के दिखा जा | मेरे बुलबुल राजा ,अपने घर आजा, बच्चो की टोली संग , अपना नाम बता जा , उठ मेरे बेटे , मुझे हंस के दिखा जा , मेरी मस्ती के लिऐ तुझे मेरे  कन्धो पर आजा , मेरे बुलबुल राजा , दिल नही लगता बेटे , अपने घर आजा, ओ मेरे बुलबुल राजा || अपना हँसना दिखा जा | Buy Now 🤙 ये भी कहानियां पढे Click Now ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ... .. .

जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे ,

 जी लेगे अब तेरे बिना भी  जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे , ऐसे घमंड वाली से सो अच्छा अकेले ही सह लेगे | मना- मना के थक चुक हूँ , सच बातो मे अपने से कई बार हार चुका हूँ , सच्चे को तूने झूठा बनाया , अच्छे को तूने बेकार बना दिया | अब ढुंढ ले जिदंगी अपनी अलग से भी , हम तो जी लेगे अब तेरे बिना भी , मै नही रोकूगा तुझे कही भी , अब जाना हे मेरी जिदंगी से तो  अब अकेले जी लेगे , कसम से हाथ पकडू भी तब  जब अपना आप हमे समझे| किसी का हाथ छुडाकर हम किसी का हाथ नही लेते |  जब चलना हो सच्चे रास्ते पर तो हम किसी सी परमाईश नही करवाते | सच तो ये है कि तुझे हम पसंद ही नही,  तो हम भी तुम्हे टच नही करते | जी लेगे  तेरे बिना भी , कोई गम की बात नही | पर जहाँ तुम्हे रहना था वहाँ तुम रहे ही नही | Buy Now कोई बात नही तुम खुश रहो ,  अपनी अपनी जिंदगी मे जीना है  तो मेरे से अलग ही रहो | अब हम तुम्हे सताऐगे भी नही  तुम्हे जो करना है वो करो,   कभी तेरे पीछे आऐगे भी नही | कसम से दुशमनी नही है तेरे से  तुम्हे मे अच्छा नही लगता तो  अलग. से जी लो वो ही सही | अपने मन मे है वो क

बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं...

 “हर उस #बेटे को समर्पित जो घर से दूर है चाहे वो होस्टल में हो या नौकरी के लिए दूर शहर में.......... बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं... बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं… अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले… अब एक बिस्तर पर सबके…साथ एडजस्ट हो जाते हैं… बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’… सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’… पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं लड़के भी घर छोड़ जाते हैं। Buy Now   बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है, माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है। कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं। लड़के भी घर छोड़ जाते है। मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते, जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,,, माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है लड़के भी घर छोड़ जाते हैं| कभी बाप की डाट न खाने वाले , आज किसी की भी डाट खा लाते

गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां

  गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा है..  (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन - बाहर आकर पूछी "क्या है ? बालक - "आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं? मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना.. बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में.. "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा। मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा? बालक - पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना.. मालकिन- ओह !! आ जाओ अच्छे से काम करना.... (लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ.. मालकिन बुदबुदायी) Buy Now   मालकिन- ऐ लड़के.. पहले खाना खा ले, फिर काम करना... बालक - नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना... मालकिन - ठीक है ! कहकर अपने काम में लग गयी.. बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं... मालकिन -अरे वाह ! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए.. यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ.. जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया.. बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें ख

एक बाप फिर से रो पडता है सबको दुखी 😥 देखकर ||

  अक्सर बाप भी रो पडता है, बेटा को दुखी देखकर , अपने आप ही रह जाता है | सबको खुश देखकर , मन मे अति पीडा , तन मे इतना सारा  घाव देखकर , अकसर बाप भी रो पडता है | बेटे को अकेला देखकर , बाप बस चुप रह कर सह लेता है | इतने से इलजाम देखकर , अकसर हर बात को सबके साथ ना साझा करके , अपने आप ही ये गम पी के , बाप सबकुछ सह लेता है| अकसर बाप सबकुछ सह लेता है | Buy Now .   बेटे को दुखी देखकर ,बेटी की जवानी देखकर , एक बाप अकेला रहकर  इतने सारे दुख देखकर , एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने परिवार के हालात देखकर, एक बाप भी रो लेता है  अपने को एक अलग से कोने मे देखकर, अपने को एक अलग से  कोने मे देखकर ,, एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने पूरे परिवार के लिऐ कुछ भी कर लेता है | जब साथ नही मिले अपने  जीवन साथ का , तब अपने आप ही घूट घूट के मर जाता है | जब साथ नही  मिले अपने बाप का , तो टूट टूटकर अलग हो जाता है | जब साथ ना मिले अपने बेटे का तो , अपना दिल छोटा कर लेता है | जब साथ ना मिले परिवार का तो , फिर जिंदगी से अधर कर लेता है || एक बाप  फिर से रो पडता है | सबको दुखी  देखकर | एक बाप  फिर  से रो पडता है  सबको दुखी