मुझे बस एक ही चहिऐ | अपना हो बस किसी और का ना हो , बस ऐसा चहिऐ | अपना बस एक चहिऐ | मां जैसा बर्ताव करे , बहन जैसा लाड प्यार , बाप जैसा इंतजार , भाई की जैसा सोच के , एक चहिऐ , ना किसी की सुने, बस अपना एक साथ चहिऐ | घर को अच्छे से चलाऐ , बस ऐसा एक प्यार चहिऐ | छोटी सी बात पर घर ना छोडे , बस इतना सा एक प्यार चहिऐ | दिन की बात मुझे , पूरी बताऐ , रात को आराम ना लगे तो दिल मेरा भी दुखाए | बस एक ही चहिऐ || शक की बात नही शक तो 100 प्रतिशत भी करे , पर इतबार किसी दूसरे पर ना करे , कहे की बात ना किसी की सुने , सुने समझे और समझ के फिर मुझे समझाऐ , कही प्यार नही हो वहाँ गुस्सा दिखाऐ पर ना किसी दूसरे का गुस्सा मुझ पर दिखाऐ , शाम को थोडी सी चाय पिला दे | आराम ना मिले तो मुझे सुला दे | बस मुझे एक चहिऐ , तेरे सिवाय ना कुछ और चहिऐ | घर मे रहे घर की बात ना किसी को ना सुनाऐ , बस तेरे जैसा ही बस एक चहिऐ | बच्चो की मस्ती की काहानी सुनाऐ , घर आकर के बच्चो के संग खेले | Buy Now कभी गुस्सा तो कभी रूसी कर के दिखाऐ | इतना ना माने तो बच्चो सा मन बनाए , बस एक ही चहिऐ, वो बस दिल का अच्छा चहिऐ ! समझने
सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है | सब कुछ देखा है मैने अपने आप को बडे होते देखा है | कभी किराया ना था , तो कभी खुद के कपडे | बडे भाई को घर सभांलते भी देखा है | मेरे ना पढने पर बहन को डालते भी देखा है | गांव से चुडियां बेचकर आई मां की कमाई को गिनते भी देखा है | पापा को खेत में किराये पर काम करते भी देखा इतना कया में कया बोलू गरीबी में लोगों ने मजे लेते भी देखा है | मैने अपने को बडे होते देखा है | रिकशा चलाकर घर के छोटे मोटे काम कर के भी देखा है| शाम को खेतो में किताब लेकर भैसो को चराते भी देखा है | अब कया कहू में सब मैने अपने दम पर करके देखा है | कभी कोल्हू का बैल बनकर बाप की डाट से हल चला के भी देखा है | गांव मे रह कर, दस- दस रूपये की आमदनी कर के भी देखा है | तुम कया जानो हमे कितना दर्द अपने दिल पे दे के रखा है | दीये में तेल कम होने से वजह से मैने सुबह जल्दी उठ के पढना सीखा है | कभी पढाई के लिऐ मां बाप के पैसे को बचा के देखा है || तो कभी कभी तो बिना किराये के भी बसो में सफर कर के देखा है | मैने अपने आप बडे होते देखा है || गलत ना किया कभी गलती को माफ करके भी मै