पापा का प्यार बेटे के लिऐ पापा का प्यार कुछ अलग होता है | पापा का इंतज़ार कुछ अलग होता है | अपने लिऐ कुछ नही करता , पर अपने बेटे के लिऐ सब घर में भर देता है | दो जोडी कपडो से वो अपना समय निकाल लेता है | पर अपने बच्चे के लिऐ चार जोडी अलग से रखता है | कभी कुछ नही कहता किसी को , पर खुद से सबके लिऐ सब कर देता है | खुद पढ नही पाया , खुद लिख नही पाया | पर अपने बेटे को सब लिखा - पडा देता है | स्कूल से आया की नही , कैलाश का काम पूरा किया की नही सब देख लेता है | एक बाप अपने बेटे के लिए सब छोड देता है | प्यारा सा है वो , ये कहकर लाड कर देता है | पापा ना बनू कभी नखरे भी कर लेता है | अपने लिऐ खाने का कुछ भी नही , पर मेरे लिऐ वो पैकेट उठा लाता है | गरीब है वो फिर भी , अपना घर चला लेता है | बेटा तुम पढो बस ,ये कहकर अपने काम पर चला जाता है | पापा का प्यार कम नही होता , बस पापा काम की वजह से घर लेट हो जाता है | खेत में गया तो खाने का ले आता है ,मेरा बेटा खाऐगा कहकर पूरा बैग भर लेता है | नौकरी जाऐगा बेटा ,फिर भी पापा अपने काम कर लेता है | एक पापा कैसे अपने बेटे को संभाल लेता है | घर सभाला ,साथ
दादी पोता की रोचक काहानिया दादी का पोता वो माँ माँ कह कर पुकारता है | ना जाने वो कयो इस दादी माँ की गोद में जा बैठता है | कयो वो दादी का कहा मानता है | कयो वो दादी का लाडला बन गया , पता नही || कयो वो दादी की गोद में जा बैठता है | दादी कया खिलाती है जो दादी का लाडला बन गया है | दादी कया पिलाती है जो दादी की गोद में जा बैठता है | दादी पोता की बात कभी खत्म ही नही होती कयो वो पोता दादी को अपने बडे होने की काहानी सुनाता है | दादी में अच्छा से पढूगा , दादी में बडा अफसर बनूगा | दादी में तुम्हे बाहर घूमाऊगा | दादी भी अपने पोते की लाडली हो गयी है | कयो वो अब बेटे की फिकर कम और पोते की ज्यादा करने लगी है | अब तो ये एक ही लाडला है जिससे में खाने के लिऐ बोलेती है | | कयो पता नही अब पोते को लेकर हर जगह घूमाती है | शहर से पता नही कयू वो अब पोते का अलग से खाने का ले आती है | कयो वो दादी अब पोते को ही खिलाती है | पोते की हर छोटी छोटी बात बडी ध्यान से सुनती है कभी कभी एक जगह बैठकर बडी बडी कहानियां सुनाती है | कभी कैसे में पढी घर की सारी काहानियां बताती है | कैसे अपना घर बनाया ,कैसे घर को म