तू कया जाने मेरी आश कया है |
तू कया जाने की मेरी खाश कया है ||
समझा हुआ हू ,
बेमतलब टांग नही लगा रहा हू |
अकड के लिऐ ,बस सबको
प्यार से समझा रहा हू ,
तू कया जाने आश मेरी ,
तू कया जाने खाश मेरी ,
बात कहने का दम रखता हूँ ,
वापस फिर से ना मुडने का दिल रखता हूँ ,
खाश हू किसी का ,
आश हू किसी का ,
पर प्यार सिर्फ एक से लगा रहा हू ,
तू कया जाने मेरी दिल की अधूरी कहानी,
बीत गई जो बहुत पुरानी ,
आश थी और खाश भी थी
मेरी वो काहानी ,
अब आ रहा हू नये अंदाज में ,
जी रहा हू सिर्फ एक के प्यार में ,
आश लगा रहा हू
सिर्फ अपने इंतजार में ,
कह रहा हू दिल को
खाश होते जा रहा हू किसी के प्यार में,
तू कया जाने मेरी आश कया है |
तू कया जाने की मेरी खाश कया है ||
अंधेरा नही जिंदगी अंधेरी देखी है ,
अब कया कहे दोस्त मेरे ,
खाश तो हम एक के ही थे ,
पर काश एक शब्द बहुत ही अलग
महत्व दे गया |
रूखे ,सुखे हम दिन निकाल गये ,
आश तो मेरी बहुत थी ,
काश वो आश ,
बहुत थी ,
सब्र की बहुत बडी बात थी |
कैसे कही किसी वो सिर्फ मेरी आश थी ,
मतलब था जमाने में ,
बहुत बडा ,
किस्मत में था बहुत डरावना
घनघोर काला ये सकंट ,
पर बजरंगी थे मेरी बहुत आश ,
शनि भी थे मेरे इस मंगल में ,
भोलेनाथ भी खडे थे इस बडी याद मे ,
कैसी कैसी आश थी ,
वो आस्था भी थी मेरी बहुत बडी विश्वास थी |
तू कया जाने वो खाश थी मेरी ,
महलो मे निवास करती वो राजा की रानी ,
खुद प्यार से कहती थी में हू तेरी महारानी ,
वो आश बहुत बडी ,थी
वौ खाश थी
दिल की एक धडकन थी ,
तू कया जाने आश मेरी ,
तू कया जाने खाश मेरी ,
रूतबा है तेरे यार का ,
मेहनत नही छौडी है अभी भी ,
चाहे कितने नौबत आ जाऐ ,
सयंम है वाणी में ,
संतो के संग भजन सुना है
इस बहुत बडी काहानी में ,
आश है बहुत बडे कर्मो की ,
देन हे इस भगवान की
जो दे रहा छप्पर फाड फाड के ,
मकान भर रहा बहुत बडी बडी सोचो से ,
सकंट की घडी उतार के रख रहा कबिरतान में ,
भगवान का जाप हो रहा है बहुत ही प्यार से ,
दिल में सूकून आ रहा है ,
कर्मो की देर नही सब्र के फल बाट रहा है |
अंधेरे से निकाल कर , मेरे भगवान
दरवाजे को खुशी से ,
चौखट- दरवाजे खटखटा रहा है ||
आश थी भगवान की बहुत बडी ,
सच बताऊ , तो आने वाली रूकावट को
भगवान जी वो ओधे मुँह के बल गिरा है |
तू कया जाने मेरी आश कया है |
तू कया जाने की मेरी खाश कया है ||
ये कर्मो की देन है ,
मेरे ताऊ देवता हर चंद मुझे
उठाकर ,चलाकर तेज भागने को सीखा रहा है |
तू कया खाश है मेरी ,
भगवान तो खुशी खुशी मेरे पास आ रहे है |
सिर्फ दिल को साफ रखा है ,
सारे लोग से कम मिलाप रखा है |
सब्र दिल पे ,और घर मे मां-बापू का मान सम्मान रखा है ||
लोगो की कया वो तो दुसरे के साहरे
लूढक लुढक के चले रहे है ,
झूठी ताकत दिखाकर अपने ,
को बहुत मजबूत बता रहे है ||
तू कया जाने आश है मेरी ,तू कया
जाने खाश है मेरी ,
सबके दिलो पर राज किया हुआ है |
भगवान के दिल में बहुत बडा ,
विश्वास रखा है |
भगवान के दिल में बहुत बडा ,
विश्वास रखा है |
||तू कया जाने मेरी आश कया है |
तू कया जाने की मेरी खाश कया है ||
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