" प्रेम दो और प्रेम पाओ " अच्छे कर्म करिये लोग मान -सम्मान ही नही गले भी लगाऐगे| जैसा बौओगे तो वैसा काटाोगे (जैसा कर्म वैसा फल)
" प्रेम दो और प्रेम पाओ " अच्छे कर्म करिये लोग मान -सम्मान ही नही गले भी लगाऐगे|
जैसा बौओगे तो वैसा काटाोगे (जैसा कर्म वैसा फल)
काहानी अंत तक पढे एक दम सच्ची घटना है| शेयर भी करे |
कुछ समय पहले की बात है ! एक गांव में एक गरीब किसान रहता था ! मेहनत और मजदूरी करके अपने परिवार का लालन पालन करता था !
किसी तरह दो पैसा कमा कर अपने परिवार की जिंदगी और अपने जिंदगी का गुजारा कर रहा था! धीरे-धीरे समय बीतता गया और किसान शरीर से बुड्ढा होने लगा
अपने मेहनत के बल पर और इमानदारी से पूरे गांव में उसका अच्छा छवि था |
गांव के लोग उसका इज्जत करते थे क्योंकि उसके अंदर गरीबी थी मगर दूसरों की सेवा दान पुण्य उसका कर्तव्य और धर्म था|
इसी वजह से वह हर किसी के दिल में राज करता था ।
उसका एक लड़का था जो बहुत की चंचल और नटखट था
जब वह छोटा था तो गांव वाले उसके चंचलता को बचपन की नादानी समझ कर माफ कर देते थे
मगर जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगा
लोग उससे परेशान होने लगे बडे दुखी थे |
किसी को कुछ भी बोल देना , बच्चों को मारना , झगड़ा करना , गांव के जानवरों को परेशान करना , खेतों में नुकसान करना ,किसी की बात ना मानना, यही उसका काम था
उसके इस आदत से उसके पिता बहुत दुखी हुए
क्योंकि उस किसान के अंदर की कोई भी गुण उसके अंदर दिख नहीं रहा था जिसका पिता गांव के पूरे दिल पर राज करता था उसी का लड़का गांव के लिए कष्टदायक बना हुआ था |
किसान को अपने लड़के के गुण के कारण उसके भविष्य की हमेशा चिंता बनी रहती थी
मगर वह मजबूर था , वह वह सारे कोशिश करके थक चुका था जिससे कि उस लड़के को सुधारा जा सके
धीरे-धीरे समय गुजरा और एक ऐसा समय आया जब किसान की अंतिम सांसे चलने लगी
किसान बहुत दुखी था और अपने पुत्र के बारे में ही सोच रहा था कि मेरे जाने के बाद उसका क्या हाल होगा
उसकी पत्नी उसके पास बैठी हुई थी
अपने पत्नी से किसान बोला कि तुम मेरे जाने के बाद उसका ख्याल रखना और उसके ऊपर कोई आंच ना आने देना अभी वह नादान है इसकी संभाल रखना |
मगर वह मां क्या करती वह उसकी शान की बातों को सुन ले और कुछ दिनों बाद किसान इस दुनिया को छोड़ कर चला गया उस किसान के मरने के बाद मां यानी किसान की पत्नी पूरे घर की रखवाली करने लगी ओर काम संभाल लेने लगी |
मगर उस किसान का लड़का कभी खेतों में नहीं जाना चाहता था ना ही कोई काम करता था उसे मुफ्त की रोटी खाने की आदत जो लग गई थी गांव वाले उससे परेशान रहते थे सभी दुखी थे |
मगर किसान के मरने के बाद उनको उस लड़के के ऊपर दया आने लगी परंतु लड़के के स्वभाव के कारण उनके अंदर इसके प्रति गुस्सा भी था l लोग उस लड़के को उसके पिता के अच्छे गुणों को बताते थे और समझाते थे कि तुम्हारे पिता अपने स्वभाव के कारण इस गांव के दिलों में आज भी हैं l
मगर तुम उनसे बिल्कुल अलग हो लड़का उनके बातों को ध्यान नहीं देता था l
और हमेशा अपना वाले ही करता था l
धीरे धीरे समय बीता और मा भी बुजुर्ग हो गई मगर मरते समय मां ने अपने बेटे को पास में बिठाकर समझाया
" बेटा यह जिंदगी भगवान की दी हुई अमानत है तुम्हारे पिता इस दुनिया को छोड़कर जाते समय तुम्हारा सारा बोझ मेरे ऊपर छोड़ गऐ जब तक मैं थी तब तक तुम आराम की रोटी खाते थे
मगर अब इस दुनिया में तुम्हारा कोई नहीं है
और अब तुम्हें कौन रोटी खिलाएगा "
' बेटा ' तुम्हें देखो इस गांव के लोग तुम्हारे पिता का कितना सम्मान करते हैं |
" आखिर क्यों "
क्योंकि उनका स्वभाव तुम्हारे जैसा नहीं था l ऐसा कयो है ?
वह एक ईमानदार और कर्मठ इंसान थे सच्चे इंसान थे |
दूसरों की भलाई करना ही उनका प्रथम कर्तव्य था
खुद भूखा रहकर भी उन्होंने हमको तुमको और अपने द्वार पर आए किसी भी गरीब का पेट भरा है|
जिसके कारण ही लोग उनकी इज्जत करते हैं
बेटा यह जिंदगी बहुत ही अनमोल है अच्छी तरह जीयो|
तुम इसका मोल समझाओ और कोई ऐसा काम करो जिससे कि तुम हमेशा अपने पिता की तरह इस गांव के हर इंसान के दिल में राज करो " ।
इतना सब समझा कर उसकी मां इस दुनिया को छोड़ कर चली गई |
वह लड़का बहुत रोया बिलखा ।
क्योंकि अब इस दुनिया में उसका कोई नहीं था मगर वह क्या कर सकता था
कुछ दिनों बाद सब कुछ शांत हो गया
परंतु उसके स्वभाव के कारण लोगों के अंदर जो उसके लिए जो गुस्सा था वह शांत नहीं हुआ ।
किसी से भी झगड़ा करना और लोगों को तकलीफ पहुंचाना
उसकी धीरे-धीरे आदत बन गई किसी की बात नही मानता था |
पूरे गांव के लोगों ने मिलकर के एक फैसला लिया कि उसके पिता ने इस गांव को बहुत कुछ दिया है
इसलिए हम इसे पहले समझाएंगे और अगर यह नहीं समझा तो इस से गांव से भगा दिया जाएगा |
परंतु उस किसान के लड़के के ऊपर गांव के किसी भी व्यक्ति के बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा |
और अंत में गांव के लोग गुस्से में आकर उसे गांव से भगा दिया बोले तुम यहाँ रहने लाईक नही हो| दफा हो जाओ गाँव से |
वह लड़का जब गांव से बाहर गया तो एक पीपल के पेड़ के नीचे
एक संत बैठे हुए थे जो लोगों को प्रवचन सुनाया करते थे
ओर वही लड़का बहुत ही भूखा था प्रसाद के लालच में आकर उस साधु का प्रवचन सुनने लगा |
वह संत बहुत ही विद्वान थे वो उसके दिल की बात समझ गये
प्रवचन खत्म हुआ लड़का प्रसाद लेकर जाने लगा तब संत जी उसको अपने पास बुलाया |
और बोला - कि बेटा क्या आज से पहले तुमने कभी प्रवचन सुना है|
" तो वह लड़का ना कह कर सिर हिलाया " ।
तब संत जी उससे बोले - क्यों तुम्हें पता है कि तुमने आज तक प्रवचन क्यों नहीं सुना क्योंकि तुम्हें कभी इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ी|
आज जब तुम भूख से तड़प रहे थे |
तो मेरे पास आकर के प्रसाद के लालच में प्रवचन सुन लिया
मगर यह प्रसाद तुम्हें कितने दिन तक भूख से दूर रखेगा
आज नहीं तो कल फिर तुम्हें भूख लगेगी
बेटा यह दुनिया बहुत ही बेदर्द है यहां कोई किसी का नहीं अगर तुम लोगों से प्रेम करोगे तभी लोग तुम्हें भी प्रेम करेंगे
लोगों से गुस्सा करोगे तो लोग तुमसे भी गुस्सा रहेंगे
इस प्राकृतिक से तुम जो जिस रूप में लेना चाहोगे यह प्रकृति तुम्हें वही देगी |
उसी तरह इस दुनिया को तुम जो दोगे वह तुम्हें वही देगा
जब तक तुम्हारे पिताजी जीवित थे तब तक तुम्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं था |
और तुम पिता के टुकड़ों पर पल रहे थे |
और जब तक तुम्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं रहा तब तक दुनिया भी तुम से कोई मतलब नहीं रखती थी
मगर अब तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे साथ नहीं है|
अब तुम इस दुनिया में अकेले हो और अब तुम्हें इस दुनिया से लोगों से कुछ लेने की चाहत जागी है|
मगर तुमने आज तक लोगों को कुछ नहीं दिया
शिवाय हानि के इसीलिए तुम्हारे गांव के लोग तुम्हें अपने घर से यहां तक कि गांव से निकाल दिया|
बेटा अब तुम इस दुनिया से अगर कुछ लेना चाहते हो तो तुम्हें कुछ देना भी पड़ेगा
यहां हमारे सामने जितने लोग बैठे थे |
वह लोग हमसे कुछ लेने आए थे और तभी इन लोगों ने अपना समय हमें देकर मेरा प्रवचन सुनकर और कुछ सीख ले कर अपने अपने घर चले गए |
बेटा जब तक तुम लोगों से सद्भावना के भाव नहीं रखोगे तब तक यह दुनिया तुम्हें नहीं जीने देगी
अगर तुम अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते हो तो दूसरों के लिए भी कुछ करो
इतना
कह कर वह संत वहां से उठकर जाने लगे
उस किसान के लड़के का दिमाग खुल चुका था वह संत के पैरों में गिर गया ओर हाथ जोड के खडा हो गया|
और उनसे अपने जिंदगी का मकसद पूछा तब संत ने उससे कहा कि जाओ प्रेम दो और प्रेम पाओ..
आज से तुम्हारी जिंदगी का यही मकसद है वह लड़का उस संत का बात मानकर
अपने गांव की तरफ चल दिया !
जब वह अपने गांव में गया तभी देखा कि उसके गांव में आग लगी हुई है
और एक छोटी सी लड़की आग में फसी हुई है
सभी लोग चिल्ला रहे हैं मगर कोई उसे निकालने के लिए उसके अंदर नहीं जा रहा है |
तभी वह लड़का अपनी जान की परवाह न करते हुए उस आग में कूद गया|
और लड़की को बचा कर आग से बाहर आया
गांव के सभी लोग उसको सीने से लगा लिए वह उस गांव के सभी लोगों के नजरों में महान बन गया|
इससे पहले वह दूसरों के घरों में आग लगाया करता था और आज वह किसी आग में जल रही लड़की को बचा कर देखा
उस समय जो लोग मुझे गालियां देते थे आज वही लोग मुझे गले से लगा रहे हैं|
यानी इस जिंदगी को हम जितना ही लोगो के सेवा में लगाएंगे
लोग हमारी उतना ही सेवा करेंगे ओर मान सम्मान करेगे|
वह लड़का अपने पिता की तरह फिर से उस गांव में रहने लगा
और सबके दिलों में राज करने लगा
क्योंकि उसे अपने जिंदगी का अर्थ पता चल गया था कि
" प्रेम दो और प्रेम पाओ "
निसकरस: अच्छे कर्म करिये लोग मान -सम्मान ही नही गले भी लगाऐगे|
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✍✍✍अनिल हटरिया
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