कुछ बन जाना बेटा ,
कुछ बनके आना बेटा ,
हर माँ -बाप की सोच होती है |
हर दिन एक नया सवेरा होता है |
हर रात मे एक नया ख्वाब आता है |
बेटा कुछ बन के आना |
कुछ पढ लिख जाना |
मां -बाप की ये सोच. आज नही जब
तक जिंदा है उम्मीद रखते है |
जब तक सांस है विशवास रखते है |
जब तक आस रखते है तब
तक सांस रखते है |
वो मेरे माँ -बाप बडी आस रखते है |
कुछ पढ लिख जाना बेटा ये
उनका नही उनकी सांस बोलती है |
जिंदा रहना बेटा ,
उम्मीद कम मत रखना ,
हौसले तो परिंदो के भी होते है |
तु बस एक आस रखीऐ बेटा ,
वो मेरे माँ- बाप की सांस बोलती है |
तू आस मत छोडिऐ बेटा तेरे
ये होसले मजबूत रखिऐ |
मत डरिऐ इन तेडडे मेडडे झरोखे से,
कयोकि ये आपका साहस देखते है |
कुछ करना बेटा ,कयोकि
ये तेरे ये माँ - बाप आस देखते है |
कामयाब होना जाना बेटा ,
कयोकि तेरे ये निडर माँ - बाप देखते है |
मत छोडिऐ ये आस
कयोकि तेरे ये सपने तेरे अवतार देखते है |
तू कामयाब होना , बेटा
बस ये आस तेरे माँ बाप देखते है |
कुछ बन जाना बेटा ,
कुछ बनके आना बेटा ,
ये सपने केवल तेरे माँ -बाप ही
देखते है |
माँ की आखो में आँसू ,बाप के दिल में दर्द
केवल एक सच्चे मर्द ही देखते है |
तू बन जाना बेटा कुछ ,
केवल ये बडी सोच तेरे माँ -बाप देखते है |
कुछ बन जाना बेटा ,
कुछ बनके आना बेटा ,
ये सिर्फ आस केवल तेरे
भगवान देखते है ||
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