मां - पापा की शाबासी
मां - पापा की वो शाबासी कैसी है |
जिससे आज भी मे खुश हो जाता हुं ,
कहता हूँ मां में आज देखो में
कैसा इनाम जीत के लाया हूँ ,
सबको पीछे छोडकर में पहले स्थान पर आया हू ,
और पापा में देखो पहले स्थान पर आया हूँ ,
कोई नही था टककर में सबको हराकर आया हूँ |
देखी थी कया मेरी दौड 100 कदम आगे पाया हु |
कैसा भागा था पापा ,
हर बार पापा के मुहँ से
शाबासी दिलवाता हूँ |
स्कूल में देखो पापा ,
में तीसरे स्थान पर आया हूँ |
पढने में कमजोर नही ,
पर एक दो नबंर से तीसरे स्थान पर आया हूँ ,
आगे बढूगा पापा ,
आगे तक जाउगा पापा ,
जब तक है ये हद में जान ,
पापा ,
तब तक आप को बहुत उचां उठाऊगा |
मां - पापा , बस तुम शाबासी देते रहना ,
मे कभी नही फिर घबराऊगा |
है यहाँ दुनिया में गिराने वाले पापा ,
पर तुम् मेरा कधां उठा देना ,
यदि में गिरा तो पापा ,
बस थोडा सा शाबासी की थपकी लगा देना |
मां तुम मुझे बस थोडा सा लाड लडा देना |
हुआ मुझे बचपन वाला गुस्सा तो तुम मुझे मना लेना ,
रूसी हुई तो कया हुआ मां ,
मुझे थोडा सा खिला देना ,
मां -पापा बस थोडी गलती भी हो तो ,
बैठकर समझा देना ,
आपकी ताकत में जो जोर है वो लगा देना ,
पीठ को थपठाके थोडा स जोस जगा देना |,
बेटा तेरा होगा कामयाब तेरा ,
बस ये तुम कह देना ,
आऐगा रिजल्ट तो स्टेज से गिफ्ट ले लेना |
देश छोडकर विदेश में जाऐगा तेरा बेटा ,
उस दिन बस थोडा सा ,
मुस्करा देना ,
बस मेरे मां पापा आप थोडा सा शाबासी की थपकी लगा देना |
मतलबी को थोडा रास्ते से हटा देना ,
जब लगे बेटा नौकरी तो पूरे घर को सजा देना |
बाट देना मिठाई सबको ,
ये कहके की बच्चा अपने पावो पर चल पडा ,
अब थपकी की ताकत तुम्हे कया बताऐ ,
तुम भी थोडा सा ये सबको बता देना |||
मां - पापा की वो शाबासी कैसी,
ये सबको समझा देना |||
इस कविता का उददेशय उन मां बाप से है जो अपने बेटा बेटी को अकेला बाहर भेज दिया है पर उनको कभी कभी आपके सपोर्ट की जरूरत होती है और तब साथ देने वाला सही में अपना मां बाप होना चहिऐ | बढते काम की वजह से अपने बेटा बेटी को ध्यान नही दिया तो तुम कामयाब. होकर भी अधूरे हो जाओगे |
इसलिए अपने बेटा बेटी की हर बात को सुने व समझे ! उनको ऐसा साथ और शाबासी की थपकी दे ||||
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