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संदेश

मान राखिऐ ऐ बेटी , अपने बापू का सम्मान राखिऐ ऐ बेटी ,

 मान राखिऐ ऐ बेटी , अपने बापू का सम्मान राखिऐ ऐ बेटी , ये काहानी भी पढे मैने तो तुझे पाला है है बेटी , अब आगे तू मेरा मान राखिऐ ऐ बेटी , कभी कमी हो तो मुझे बताइऐ ऐ बेटी , संस्कार कभी कम ना होने दिजिऐ ऐ बेटी , मैने तो तुझे पढने भेजा है | तू पढ के घर आईऐ ऐ बेटी , कभी किसी की बातो में ना आइऐ ऐ बेटी, लोग खडे टाइम पर धोखा दे जाते है |तुम  अपने बाबू का मान राखिऐ ऐ बेटी , तेरी लिऐ मैने सब किया अब तू मेरा कहा मानिऐ ऐ बेटी, Buy Now   घर में घर का सम्मान मत खोईऐ ऐ बेटी , बाप बहुत रोया है इस विदाई पर ऐ बेटी, तेरी मां को बहुत समझाया है बेटी , अच्छे काम किजिऐ , खुले में आनन्द लिजिऐ , सबका आदर मान किजिऐ , बडे बुडो को सेवा किजिऐ , अच्छी मेवा लिजिऐ , इस बापू का साथ लिजिऐ , अपने घर की इज्जत रखिऐ | बाबू का नाम है तो बेटी में जिंदा हूँ | कयूकि झुकाने वाला कोई ओर नही है | जब बेटी घर की बेटी रहे | रहे वो मायके या ससुराल रहे | अपने जीवनसाथी के सब काम करे ! हां कहने हां करे सबका ये सम्मान रखे | कभी ठुकराना मत किसी को बेटी , अच्छे अच्छे के घर बिक जाते है , इस छोटी सी कही सूनी में , बाप के मान मर...

वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती |

 वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती | वो मेरी थी मेरी है मेरी रहेगी | वो मेरी है मेरे बिना नही रह सकती | वो मेरी है में भी उसके बिना नही रह सकता | ये बंधन है प्यार है | में कैसे उसके बिना रह सकता | मेरी जान मेरी मेहमान मेरी शान है वो  में कैसे उसके बिना रह जाता , एक प्यार है और एक ही  दिल है | सिर्फ तुम्हारे लिऐ ही बस ये धडकता | ना किसी ओर देखू बस तुझसे ही मन भरता || ना कमी निकालू , ना कभी ये बोलू  की में तेरे सिवाय रह सकता | कैसे बोलू की तुम नही हो , मेरी जान , कसम है इस भगवान. की  कैसे में किसी को अपनी आंख उठाकर देख सकता | तुम्हे समझा कर रखू  ये मेरा काम है | दुसरे तुम पे नजर उठाके देखे ये  तो गलत बात है || मेरी जान , जिंदगी परीक्षा जरूर लेती है | कभी अपना बनके ,तो कभी दूसरे का बनकर , पर इतना जरूर देखना की कौन अपना है और कौन  पराया है | Buy Now    एक समय ऐसा आता है कि  ना तुम मुझे देखोगी , ना में तुझे देखूगा ,  पर इस मोड पर तुम साथ मत छोड जाना , मुझे तो बहुत विश्वास है  ना तो तुम मेरे सिवाय ...

कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ !

  कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कहं दू मां बाप को की मेरे से अलग हो जाओ ! कैसे छोड दू उनको जिन्होने पाल पोष के बडा किया || कैसे कह उनको की मेरे से अलग हो जाओ ! रात में कहा वो मेरे को दिन में भी मुझे, अकेले नही छोड सके ! कैसे कह दू कि मां -  बाप को दूर हो जाओ | कहाँ से पैसे लाऐ कहाँ से अपना घर मेरे लिऐ बना दिऐ | बिन माँगे वो सब लेकर आऐ | खिलोने से लेकर मेरी मनपसंद की साईकिल लेकर आए | शौक थे बचपन में  गाडी चलाने के ,कहाँ से वो मुझे  खुश रखने के लिऐ अपने सारे गम भूल गये || कैसे कह दू उनको की दूर हो जाओ | उन्होने कभी भुखा तक  सोने नही दिया | आज में कैसे बोल दू की खाना,  खाना है तो खाओ  नही,  तो भूखे सो जाओ | नखरे मेरे हजार उठाते थे | आज में कैसे कह दू की ज्यादा नखरे मत करो || Buy Now .  याद रखो मेरे दोस्त कितना प्यार किया है  उन्होने ,  आज कैसे कह दू की में तो बिना  लाड - प्यार के बडा हुआ हू | कैसे कह दू उनको की अब मेरी जिंदगी है, मेरे को बस जीने दो | मुझे नही पता आप कैसे जीओगे | में कैसे कह दू उनको || की बस...

बाप का दर्द व फर्ज

  बाप का दर्द व फर्ज मां मां मां का गुनगान करते हो | बाप को कया तुम भूल गये | जिसने कमाया तुम्हारे लिये  कया उनको तुम छोड दिये | बाप प्यार नही करता  वो तुम्हे दिखता है  पर बाप से ज्यादा प्यार  करने वाला भी नही | Buy Now    वो एक पत्थर की दिवार की तरह है  जो कभी चोट तक दिलाऐ भी नही | मत सोच की बाप प्यार नही करता | एक दिन ये बाप का फर्ज निभाऐ भी कोई नही | सब साथ छोड जाते है | तक बाप ही ,तुम्हारी पीठ  थपका के आगे बडना हिऐ सिखाता है | , बाप बनना फर्ज है ,बाप बनना एक ज़िम्मेदारी है | तब भी बाप को बोलते है की पापा तुम तो हमे  खिलाने भी ले जाते ही नही || बाप का असली फर्ज और दर्द को दिखाऐ भी कोई नही | सबके नखरे उठाता है फिर भी बाप को  सभी बोलते है अपना फर्ज निभाते ही नही | वो बाप है थोडा रो  भी नही सकता | वो पिता है परिवार का दर्द सह नही सकता | फिर ये कयो बाप का दर्जा दिखाऐ कयो नही | कितना दर्द सहा है  उसने फिर भी एक बार उससे पूछा कयो नही | पापा ,पापा करके तुम बोल दो ना  एक बार पापा को ये हँसते हुऐ दिखाऊ तू सही | दर्द से भरा ...

एक आम के पेड की काहानी उसके साथ मां बाप का श्रेय

  एक आम के पेड की काहानी  उसके साथ मां बाप का श्रेय आज की इस काहानी को पढ के आप जरूर रो पडोगे और यदि कुछ समझ आऐ तो शेयर करे | यह काहानी एक कनेकशन ,रिलेशनशिप व भावनाओ से भरा है |          एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता। उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया। बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया। कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया। आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता। एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा, "तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।" बच्चे ने आम के पेड से कहा, "अब मेरी खेलने की उम्र नही है ! मुझे पढना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।" पेड ने कहा, "तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे, इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।" उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला...

याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है ,मेरी जान माय लव ❣️

  याद आ जाती है तेरी भी, बेरूखी सी मुस्करा जाती है | याद आती है तेरी भी , कभी खाने के वकत रो पडता हू, तो कभी सोने के वकत रो पडता हू, बेरूखी सी मुस्करा जाती है तेरी याद जब आती है , कभी आंख बंद करता हूँ ,तो  कभी कमरे की रोशनी बुझा देता हूँ,  पर फिर भी नींद नही आती है , मुझे तेरी ये बेरूखी सी याद आ  जाती है , जब याद तेरी आती है | कहता हूँ संभाल लूंगा , कहता हूँ संभाल लूंगा , दिल को , इतने मे आंख कहाँ सह पाती है | सैंकड हिसाब नीर बहा लाती है | Buy Now Click Here   मुझे तेरी वो बेरूखी सी मुस्काराहट याद आ जाती है  जब याद तेरी आती हे | सुबह उठता हूँ तो मुहं धो लेता हूँ , उसके बाद बनाई हुई याद की चाय पी लेता हूँ  | पर जब बिस्तर पर जाता हूँ तो खाली हाथ ही अपना कप ले  बैठता हूँ | कहता हूँ कुछ नही,  फिर एक. " आह " 'भर कर बैड को पीटता हूँ | अपने सोचे हुऐ सपने एक पल कवर कर लेता हूँ | फिर भी तेरी बेरूखी सी मुस्कान को सह लेता हूँ , जब याद आती है तेरी अपने आप अकेले ही रो लेता हूँ | करीब बनकर दूर तुम जा रही हो  पास आकर भी मुझे अवारा बना रही हो | हूँ किस्...

उठ मेरे बुलबुल राजा , तू लोट के आजा | दिल नही लगता बेटे जल्दी सी तुम घर आजा ,

 उठ मेरे बुलबुल  राजा , तू लोट के आजा  Buy Now 🤙 | दिल नही लगता बेटे  जल्दी सी तुम घर आजा , मेरे बुलबुल राजा , मुझे समझाजा , मन नही लगता  कभी पापा के साथ आजा,  खेलेगे मिटटी मे , चल अपना टरेकटर लेके आजा , खाऐगे मस्ती से , मेरे साथ मे आजा , गाडी मे घूममेगे , चककर लाऐगे , चश्मा पहनके शहर जाऐगे, उठ मेरे बुलबुल  राजा , थोडा हंस के दिखा के  अपने छोटे - छोटे दांत दिखा जा , याद आता है तेरा गुस्सा , मुझे अपना थोडा ठूस्सा दिखा जा | नन्हे नन्हे पांव से  मुझे उछल के दिखा जा | अपना डांस करके घर में दिखा जा , पहनाऊगा पगडी , दादा को दिखा जा , उठ मेरे बुलबुल , मेरी  बाहौ मे आजा , तेरा रूसवा मुझे दिखा जा, लाऊगा चाकलेट , फिर मुझे हंस के दिखा जा | मेरे बुलबुल राजा ,अपने घर आजा, बच्चो की टोली संग , अपना नाम बता जा , उठ मेरे बेटे , मुझे हंस के दिखा जा , मेरी मस्ती के लिऐ तुझे मेरे  कन्धो पर आजा , मेरे बुलबुल राजा , दिल नही लगता बेटे , अपने घर आजा, ओ मेरे बुलबुल राजा || अपना हँसना दिखा जा | Buy Now 🤙 ये भी कहानियां पढे Click Now ✍🏻✍🏻✍🏻 अनिल हटरिया ...

जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे ,

 जी लेगे अब तेरे बिना भी  जी लेगे अब तेरे बिना भी , सह लेगे दुनिया तेरे बिना भी , कसम से अकेले जी लेगे , ऐसे घमंड वाली से सो अच्छा अकेले ही सह लेगे | मना- मना के थक चुक हूँ , सच बातो मे अपने से कई बार हार चुका हूँ , सच्चे को तूने झूठा बनाया , अच्छे को तूने बेकार बना दिया | अब ढुंढ ले जिदंगी अपनी अलग से भी , हम तो जी लेगे अब तेरे बिना भी , मै नही रोकूगा तुझे कही भी , अब जाना हे मेरी जिदंगी से तो  अब अकेले जी लेगे , कसम से हाथ पकडू भी तब  जब अपना आप हमे समझे| किसी का हाथ छुडाकर हम किसी का हाथ नही लेते |  जब चलना हो सच्चे रास्ते पर तो हम किसी सी परमाईश नही करवाते | सच तो ये है कि तुझे हम पसंद ही नही,  तो हम भी तुम्हे टच नही करते | जी लेगे  तेरे बिना भी , कोई गम की बात नही | पर जहाँ तुम्हे रहना था वहाँ तुम रहे ही नही | Buy Now कोई बात नही तुम खुश रहो ,  अपनी अपनी जिंदगी मे जीना है  तो मेरे से अलग ही रहो | अब हम तुम्हे सताऐगे भी नही  तुम्हे जो करना है वो करो,   कभी तेरे पीछे आऐगे भी नही | कसम से दुशमनी नही है तेरे से  तुम्हे मे...

बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं...

 “हर उस #बेटे को समर्पित जो घर से दूर है चाहे वो होस्टल में हो या नौकरी के लिए दूर शहर में.......... बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं... बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं… अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले… अब एक बिस्तर पर सबके…साथ एडजस्ट हो जाते हैं… बेटे भी घर छोड़ जाते हैं... घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’… सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’… पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं लड़के भी घर छोड़ जाते हैं। Buy Now   बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है, माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है। कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं। लड़के भी घर छोड़ जाते है। मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते, जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,,, माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है लड़के भी घर छोड़ जाते हैं| कभी बाप की डाट न खाने वाले , आज किसी की भी डा...

गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां

  गरीब घर का बेटा, दिल से अमीर घर की मां या मौसी मां लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा है..  (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन - बाहर आकर पूछी "क्या है ? बालक - "आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं? मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना.. बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में.. "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा। मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा? बालक - पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना.. मालकिन- ओह !! आ जाओ अच्छे से काम करना.... (लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ.. मालकिन बुदबुदायी) Buy Now   मालकिन- ऐ लड़के.. पहले खाना खा ले, फिर काम करना... बालक - नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना... मालकिन - ठीक है ! कहकर अपने काम में लग गयी.. बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं... मालकिन -अरे वाह ! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए.. यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ.. जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया.. बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें ख...

एक बाप फिर से रो पडता है सबको दुखी 😥 देखकर ||

  अक्सर बाप भी रो पडता है, बेटा को दुखी देखकर , अपने आप ही रह जाता है | सबको खुश देखकर , मन मे अति पीडा , तन मे इतना सारा  घाव देखकर , अकसर बाप भी रो पडता है | बेटे को अकेला देखकर , बाप बस चुप रह कर सह लेता है | इतने से इलजाम देखकर , अकसर हर बात को सबके साथ ना साझा करके , अपने आप ही ये गम पी के , बाप सबकुछ सह लेता है| अकसर बाप सबकुछ सह लेता है | Buy Now .   बेटे को दुखी देखकर ,बेटी की जवानी देखकर , एक बाप अकेला रहकर  इतने सारे दुख देखकर , एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने परिवार के हालात देखकर, एक बाप भी रो लेता है  अपने को एक अलग से कोने मे देखकर, अपने को एक अलग से  कोने मे देखकर ,, एक बाप सबकुछ सह लेता है | अपने पूरे परिवार के लिऐ कुछ भी कर लेता है | जब साथ नही मिले अपने  जीवन साथ का , तब अपने आप ही घूट घूट के मर जाता है | जब साथ नही  मिले अपने बाप का , तो टूट टूटकर अलग हो जाता है | जब साथ ना मिले अपने बेटे का तो , अपना दिल छोटा कर लेता है | Buy Now   जब साथ ना मिले परिवार का तो , फिर जिंदगी से अधर कर लेता है || एक बाप  फिर से रो पडत...

पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे |

  पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | अपने बनकर दूसरो के साथ चले जाऐगे | साथ साथ दिखावा करके पीछे से वार कर जाऐगे | पता नही था कि वो दिन आ जाऐगे | गेरो के साथ रहकर अपने के साथ रहने के ढोंग दिखाऐगे | लोगो मे खिल्ली उडाकर फिर से बस जाऐगे | अपने नही वो जो औरो के साथ रह जाऐगे | Shop Now at 30% Off पता नही था कि लोग इतने भी बदल जाऐगे || मन में भेर ,दिल मे अकड ,तन मे गर्मी  ये वसूल बन के रह जाऐगे | पता नही था कि लोग इतने बदल जाऐगे | थके नही पर वो हमे थकाऐगे | अपनी अकड मे रहकर अपनो से ही रूठ जाऐगे | किस्मत जिद्दी है मेरी भी इतना कया है कि सूखे पेड है जो कि कल मुरझा जाऐगे || पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था कि वो दिन भी  आऐगे | मर्जी मेरी ,जिद्दी भी मेरी , तू कया तुम्हारी वर्दी भी मेरी , अपनी जिददी भी मेरी ,अपनी आदत भी मेरी , ये कहकर लोग इतने बदल जाऐगे || पता नही था कि लोग बदल जाऐगे | पता नही था की वो दिन भी आ जाऐगे || यहाँ से और भी भावानातम्क कहानियां भी पढे मेरी लिखी हुई और कहानियां भ...

वौ फौजी की बहन वौ फौजी की बहन की राखी

  वौ फौजी की बहन  वौ  फौजी की बहन की राखी  मेरे खातर जो ल्याई थी राखी वा थाली में ए धरी रहगी  हर साल की डाल ईस साल भी मेरी कलाई सुनी ऐ रहगी ...  सोचा था कै सबेरे सबेरे करके फौन  देके बहाना Gift का उसने मना ल्यूगां  जो करे थे झूठे वादे छुट्टी आण कै  वो हांस बतला कै छुपा ल्यूंगा  Buy Now   पर उसने रोती न देख मेरी  सारी कोशिश बेकार होगी ...  चहरे तै तो मैं हसदा रहया पर  भीतर तै आंख लाल होगी ..  ईबके भी मेरी प्यारी बेबे  अपने कर्मां न दोष देके रहगी  मेरे खातर जो ल्याई थी राखी वा थाली में ए धरी रहगी ...  रर हर साल की डाल ईस साल भी ईस फौजी की कलाई सुनी ऐ रहगी ... फौजी की बहन अबकी बार भी अकेली ही रहेगी | भाई  भाई करके को अपने आप ही रहेगी | नयू सोचयी थी भाई के अब की बार चार चार राखी बाधूंगी | पर बेचारी की सारी थाली मे रहगी || मां बाबू तक कहा करती थी | अबकी बार भाई फौजी आवयगा घर | पर नयु ना बेरा था कि छूटटी की कागजी Co  तक ही रहगी | भाई  , सोचया था जाऊगा घर पर अब की बार  पर यौ के बेरा था...

दिल को छू लेने वाली काहानी इंसानियत अभी तक जिंदा है..

दिल को छू लेने वाली काहानी    इंसानियत अभी तक जिंदा है.. एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला~ ‘‘साहब! बूट पॉलिश कर दूँ ?’’ उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले- ‘‘लो, पर ठीक से चमकाना।’’ लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी। वे बोले~ ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो? जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’  वह लड़का मौन रहा।  इतने में दूसरा लड़का आया। उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा। दूसरे ने जूते चमका दिये। Buy Now 🤙    ‘पैसे किसे देने हैं?’ इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला। उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी।’ फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए।’ इसलिए उन्होंने बाद में आनेवाले लड़के को पैसे दे दिये। उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये। प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया। वह आदमी विस्मित न...

मैं बोझ नहीं हूं पापा ,दुनिया को समझो ना पापा ||

 मैं बोझ नहीं हूं पापा ,दुनिया को समझो ना पापा || शाम हो गई अभी तो घूमने चलो ना पापा | चलते-चलते थक गई कंधे पर बिठा लो ना पापा | Buy Now अंधेरे से डर लगता सीने से लगा लो ना पापा |  मम्मी तो सो गई आप ही थपकी देकर सुलाओ ना पापा स्कूल तो पूरी हो गई अब कॉलेज जाने दो ना पापा,  पाल पॉस्कर कर बडा कर  दिया बाद , अब जुदा तो मत करो ना पापा , अब डोली में बिठा ही दिया तो आंसू तो मत बहाना पापा, आपकी एक मुस्कुराहट अच्छी है ,  एक बार ओर मुस्कुराओ ना पापा , आपने मेरी हर बात मानी एक बात और मान लो ना पापा | मान लिया है मेनै इस धरती पर , तेरे से बडा कोई नही है पापा, पर कयो ये लोग छोटा दिखाते है पापा, अपनी बेटी आपका मान है | ये सबको समझाओ ना पापा, Buy Now Click Here   तसल्ली नही अब मुझे इस गैर जिम्मेदार दुनिया का , कुछ अलग से कर दिखाओ ना पापा | तरक्की बहुत की है आपने , किसी को भी ये समझाओ ना पापा | आप और हम है बस इस दुनिया  मे , सबको बैठकर समझाओ ना पापा || तेरी बेटी हूँ बेटा बना के रखो ना पापा , आपका हर काम  किया अब एक बात ओर  मानो ना पापा || तेरा बेटा हू बेटा ब...